कैंट बोर्ड के पूर्व सीईओ पर संकट आसन्न, मेरठ कैंट बोर्ड के पूर्व सीईओ नागेनद्र नाथ पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। या यूं कहें कि आने वाले दिनों में उन्हें कानूनी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल माह जुलाई में उन्हें व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट में पेश होना पड़ेगा। इसके अलावा ए टू जेड कंपनी को भुगतान का मामला भी नागेन्द्र नाथ के गले की फांस बनता नजर आ रहा है। इस भुगतान में तमाम खामियों की बात कही जा रही है। कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष विपिन सोढी एडवोकेट ने बोर्ड के पूर्व सीईओ नागेन्द्र नाथ को मुसीबत में फंसाने वाली पटकथा की स्क्रिप्ट तैयार कर ली है। शुक्रवार की दोपहर 12 बजे ए टू जेड पेमेंट व अन्य मामलों को लेकर धमाके की तैयारी है। वहीं दूसरी ओर यदि नागेन्द्रनाथ की बात की जाए तो उनकी मुसीबतों का दौरान और उस मुसीबत के साइड इफैक्ट उनके प्रमोशन के साथ ही शुरू हो गए। जैसे ही मिनस्ट्री से आदेश आए तो कैंट बोर्ड के सेनिटेशन इंस्पेक्टर योगेश यादव ने नागेन्द्र के खिलाफ जांच की बात कहते हुए मोर्चा खोल दिया। जवाब देने में देरी नहीं की और लगे हाथों एक अन्य मामले में योगेश को बर्खास्त कर दिया गया। प्रमोशन के आदेश आने के बाद भी अरसे तक विरोधियों से लोहा लेने वाले नागेन्द्र नाथ को आखिरकार मैदान छोड़ना पड़ा। उनके मैदान छोड़ते ही चार्ज डीईओ हरेन्द्र पर आया तो उसके भी साइड इफैक्ट कार्यालय अधीक्षक यानि बड़े बाबू के पद से जयपाल तोमर की विदाई और जफर की ताजपोशी के रूप से सामने आए। हालांकि यह बात अलग है कि चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात यह ताजपेशी साबित हुई। चंद रोज पहले एक बार फिर जपयपाल तोमर का राजतिलक और जफर को बनवास दे दिया गया। ये चीजें कहीं न कहीं नागेन्द्र नाथ से कनेक्ट हैं और ये चीजें यूं ही नहीं नागेन्द्रनाथ को सत्ता का हस्तांतरण महंगा पड़ गया, वर्ना सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन मंझे हुए खिलाड़ी की तरह नागेन्द्र भी जाते जाते तीन ऐसे आदेश कर गए हैं जिन पर यदि अमल किया जाए तो हालात विस्फोटक होंगे।