कैंट बोर्ड़ में 25 करोड़ी रूझान

कैंट बोर्ड: CBI खंगालेगी फाइल
Share

कैंट बोर्ड़ में 25 करोड़ी रूझान, मेरठ कैंट बोर्ड में रक्षा मंत्रालय से आवंटित किए गए 25 करोड़ के रूझान आने शुरू हो गए हैं। ताजा रूझान करीब चार दिन पहले के हैं, जिसमें कैंट बोर्ड का एकाउंटेंट राजेश जाैन को हटाकर स्टाफ में सबसे जूनियर माने जाने वाले रिकार्ड कीपर दिनेश वर्मा काे कैंट बोर्ड के बहीखातों को संभालने की जिम्मेदारी देते हुए उन्हें खजांची बना दिया गया है। केंद्र की  25 करोड़ी मदद का दूसरा साइड इफैक्ट यह हुआ है कि सबसे सीनियरों में शुमार राजेश जौन को जूनियर वाला काम सौंपा गया है यानि उन्हें दिनेश जो काम कर रहे थे उसकी जिम्मेदारी दी गयी है। 25 करोड़ी इस बड़े साइड इफैक्ट को लेकर स्टाफ में जबरदस्त हलचल है। स्टाफ में सुगबुगाहट है कि यह बदलाव यूं ही नहीं है। दअरसल राजेश जौन की यदि बात की जाए तो वह फुल फ्लैश एकाउंटेंट हैं। उन्हें पता है कि 25 करोड़ की जो मदद मिली है उसको कैसे और कहां माकूल मद में खर्च किया जाना है। मसलन कैंट बोर्ड प्रशासन पर जो लाइलबिटी हैं, किसको पहले देना है। कितना कर्मचारियों का और किस मद में बकाया है। ये तमाम जानकारियां और काबलियत राजेश जौन में  मानी जा रही हैं। मसलन आंख बंद कर विकास कराने के नाम पर इस रकम का बंदरबाट उतनी आसानी से नहीं होने देते जितनी आसान 25 करोड़ी साइड इफैक्ट के चलते सत्ता परिवर्तन के बाद मुमकीन हो सकेगा। स्टाफ भी मान रहा है कि दिनेश जिस काबलियत से रिकाड कीपर का काम देख रहे थे वैसी काबलियत एकाउंटेंट बनने के बाद शायद नहीं दिखा सकें। इस मामले में राजेश जौन की परफॉरमेंस ही कैंट बोर्ड के हित में बेहतर रहती। दरअल दिनेश को लेकर कहा जा रहा है कि वह आसानी से अंडर प्रेशर लिए जा सकते हैं। गैर-मुनासिब खर्च पर राजेश जौन की तर्ज पर वह फाइल पर कोई टिका टिप्पणी संभवत: अंकित न कर पाएं। ये तमाम ऐसे बिंदु हैं जिनको लेकर कैंट बोर्ड में किए गए सत्ता परिवर्तन आदेश सवालों के घेरे में हैं। जानकारों की मानें तो संभवत सोमवार को राजेश जौन को रिकार्ड कीपर के पद पर भेजकर दिनेश की बतौर एकाउंटैंट ताजपोशी कर दी जाएगी। इसके साथ ही 25 करोड़ी विकास की बयार शुरू होने की भी उम्मीद इंजीनियरिंग सेक्शन जगाए बैठा है। जानकारों की मानें तो 25 करोड़ी साइड इफैक्ट के अलावा दिनेश के पक्ष में पूर्व सीईओ मेरठ कैंट बोर्ड नवेन्द्र नाथ से उनकी नजदीकी भी बतायी जाती है। स्टाफ की मानें तो नवेन्द्र नाथ के लिए दिनेश उनके दत्तक पुत्र तुल्य हैं। कारण कुछ भी हों, लेकिन कैंट बोर्ड के खजाने की लिहाज से एकांउट सेक्शन के लिए यह बदलाव हानिकारक माना जा रहा है औरआने वाले समय में यह परिवर्तन कुछ भी गुल खिला सकता है। चर्चा यह भी है कि पहली बार रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के मोबाइल पर मौखिक आदेश पर दस मिनट में ही अल्टा-पल्टी कर दी गयी।

@Back Home


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *