कैंट बोर्ड: मौन समाधि में बड़े साहब, छावनी इलाके में अवैध निर्माणों की बाढ़ और अवैध निर्माणोंर् के नाम पर खुला खेल, भर्ती घोटाले के नाम पर भ्रष्टाचार के चलते सीबीआई का छापा, बोम्बे बाजार व सदर शिव चौक सरीखे छावनी के कई इलाकों में अवैध निर्माणों के साथ भारत सरकार की जमीनों पर कब्जों का सिलासिला, बोर्ड की बैठकों में अवैध निर्माणों को लेकर नाराजगी के साथ कमांडर का बोर्ड के इंजीनियरिंग व सेनेट्री सेक्शन समेत बोर्ड के पूरे सिस्टम को आइना दिखाना, लेकिन इसको लेकर शोरशराबा करने की कतई जरूरत नहीं है, क्योंकि बोर्ड के बड़े साहब अभी मौन समाधि में हैं। पिछले दिनों जो भी घटनाक्रम हुआ, मसलन अवैध निर्माणों की शिकायत का संज्ञान लेकर रक्षा मंत्रालय का उनकी जांच के लिए डायरेक्टर मध्य कमान डीएन यादव को मेरठ छावनी में जांच को भेजना। बाउंड्री रोड स्थित बंगला 22बी समेत तमाम मामलों को लेकर डायरेक्टर मध्य कमान की तलख टिप्पणियां। जांच के दौरान ही 22बी के ट्रेड लाइसेंस कांड का खुलासा और उसमें सेनेट्री सेक्शन व इंजीनियरिंग सेक्शन के बड़े साहबों की कारगुजारियों को बेपर्दा कर दिया जाना और बजाए मिसाल बनाने वाली कार्रवाई के केवल पुचकार भरी डांट फटकार की तर्ज पर कार्रवाई का किया जाना। इन तमाम बातों के निहितार्थ से तो यही लगता है कि बोर्ड के बड़े साहब अभी समाधिस्थ मुद्रा में हैं। तमाम योगाचार्य बताते हैं कि इस मुद्रा में जाने के बाद किसी भी शख्स को कोई उसकी व उसके अंडर में काम करने वालों की कारगुजारियों के बारे में क्या कह रहा है, इससे कोई मतलब नहीं रखता है, उसको केवल खुद से और निहितार्थ से ही सरोकार होता है। इन दिनों वैसा ही कुछ कैंट बोर्ड में मंजर है। पूरे छावनी क्षेत्र में अवैध निर्माणों की बाढ़ आयी हुई है। अवैध निर्माणों के नाम पर खुलेआम सौदेबाजी के आरोप बोर्ड के इंजीनियरिंग सैक्शन के एई व जेई पर लगाए जा रहे हैं व पूर्व में भी लगाए जा चुके हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसके बाद भी किसी प्रकार की कार्यवाही की उम्मीद दूर दूर तक नजर नहीं आ रही है। क्योंकि बोर्ड के बड़े साहब तो अभी मौन समाधी की मुद्रा में हैं और कमांडर साहब मौन मुद्रा में हैं। थोड़ा इंतजार कीजिए…