कैंट बोर्ड-बेसब नहीं ये बेकरारी, कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष विपिन सोढ़ी की तत्कालीन सीईओ नावेन्द्र नाथ से अदावत यूं ही नहीं है। उनकी ये बेकरारी बेसब नहीं। इसके पीछे उन्हें दिए गए गहरे जख्म हैं। जख्म भी ऐसे कि यदि वर्तमान सीईओ और डीईओ तथा पश्चिम यूपी सब एरिया का सैन्य प्रशासन एक्शन मोड़ में आए तो सब कुछ ऐसे बिखर जाएगा कि चाहकर भी नहीं समेटा जा सकेगा। पूर्व उपाध्क्ष की एक याचिका पर नावेन्द्र नाथ को हाईकोर्ट ने तलब कर लिया है। खुद इसकी जानकारी विपिन सोढी ने प्रेस को दी। उन्होंने बताया कि जुलाई माह में नावेन्द्र को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा गया है। अब पूरे मामले की टाइमिंग की यदि बात की जाए तो पूरे मामले का कनेक्शन साल 2019 से है। जब सीईओ प्रसाद चव्हाण व एडम कमांडर रोहित पंत थे। रोहित पंत व विपिन सोढी की दोस्ती जग जाहिर थी। उसी दौरान सेना की एक यूनिट की ओर से एक पत्र सीईओ व डीईओ को भेजा गया जिसमें करियप्पा स्ट्रीट स्थित बंगला 105 की सैन्य कामकाज के लिए जरूरत की बात कही गयी थी। इसके बाद आरवीसी व एक अन्य यूनिट के कर्नल रैंक के दो अफसरों ने बंगला रिज्यूम किए जाने की रिपोट सब्मिट कर दी। इस बीच प्रसाद चव्हाण का तवादला हो जाता है। उनकी जगह नावेन्द्र नाथ को सीईओ कैंट का दायित्व मिलता है। कुछ समय बात तत्कालीन डीईओ का भी तवादला हो जाता हे। डीईओ का चार्ज एक सप्ताह के लिए नावेन्द्र नाथ के पास आ जाता है। उसी दौरान बतौर डीईओ करियप्पा स्ट्रीट बंगला 105 के रिज्मशन के आदेश कर दिए जाते हैं। यह कोई छोटा झटका नहीं था। उसके बाद कुछ नाटकीय व राजनीतिक घटनाक्रम होता है, बोर्ड के उपाध्यक्ष पद से उनको हटा दिया जाता है। बस यही से आरपार का एलान होता है। लेकिन जंग शुरू होती है नावेन्द्र नाथ के प्रमोशन आदेश आने के बाद। इस जंग का साइड इफैक्ट बतौर सीईओ नावेन्द्र नाथ जाते जाते बगला 105 के रिज्मशन को लेकर एक और आदेश कर जाते हैं। नहीं हो सका विपिन सोढी से संपर्क: इस मामले में पक्ष जानने के लिए कई बार संपर्क किया गया, लेकिन विपिन सोढ़ी की काल नहीं लगी।