कैंट बोर्ड: सीबीआई के शिकंजे की आहट

कैंट बोर्ड: सीबीआई के शिकंजे की आहट
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कैंट बोर्ड: सीबीआई के शिकंजे की आहट, मेरठ कैंट बोर्ड  पर भी सीबीआई के शिकंजे की आशंका व्यक्त की जा  रही है। दरअसल हुआ यह कि ठेकेदार से दोस्ती निभाने के चक्कर में कैंट बोर्ड प्रशासन ने बड़ा घपला कर डाला, लेकिन उससे भी बड़ी खबर यह है कि भारत सरकार को वित्तीय हानि पहुंचाने के लिए अंजाम दी गयी यह गड़बड़ी कमांडर की नाक के नीचे  अंजाम दी गयी, लेकिन इसकी भनक कमांडर को नहीं लगने दी गई। सुनने आया है कि जो दो बड़े घपले डोर टू डोर तथा मेनफोर्स के ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए अंजाम दिए गए हैं, उनकी खबर गोपनीय शिकायत से सीबीआई को पहुंचा दी गयी है या पहुंचा दी जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो फिर सीईओ  पर शिकंजा कसने के साथ ही सीबीआई का एक और चैप्टर मेरठ कैंट बोर्ड में खुल जाएगा। वहीं दूसरी ओर यह भी सुनने में आ रहा है कि  कैंट प्रशासन की यह कारगुजारी भी सीबीआई जांच के दौरान ही पकड़ में आयी है, लेकिन अभी इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं की जा सकी है, लेकिन स्टाफ में इसको लेकर जबरदस्त चर्चा है। पता चला है कि डोर टू डोर ठेकेदार को विगत 5 अगस्त 2022 को सीईओ ज्योति कुमार ने पत्र लिखकर सालिड वेस्ट मेनेजमेंट के कार्य में मशीन और लेबर एग्रीमेंट की शर्तो व मानकों के अनुसार ही लगाने की हिदायत दी थी। हुआ यह कि सालिड वेस्ट मेनेजमेंट में लेबर व मशीनरी लगाने में कटौती की बात पकड़ में आयी थी, इसी के चलते सीईओ ज्योति कुमार ने ठेकेदार को चेतावनी स्वरूप उक्त नोटिस जारी किया था, लेकिन आरोप है कि नोटिस को ठेकेदार ने गंभीरता से नहीं लिया। एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक लेबर व मशीनरी नहीं लगायी गयी, इसके बावजूद सीईओ की कलम से ठेकेदार को दो माह का भुगतान कर दिया गया। इसको भारत सरकार को वित्तीय हानि पहुंचाने के तौर देखा जा रहा है। भारत सरकार को वित्तीय हानि पहुंचाने का ऐसा ही एक ओर दूसरा मामला इन दिनों स्टाफ के बीच खासा चर्चित है, जिसमें करीब एक करोड़ का फटका भारत सरकार को लगा दिया गया, सुना जाता है। दरअसल कैंट बोर्ड ने मेनफोर्स का ठेके दिया था। ठेकेदार पर आरोप है कि उसने जो लेबर कैंट बोर्ड में लगायी गयी, उसका भुगतान नहीं किया। यह मामला विगत दिनों मेरठ में जांच को आए डायरेक्टर मध्य कमान के समक्ष भी कर्मचारियों ने उठाया था। नियमानुसार जब तक ठेकेदार लेबर का पूरा भुगतान नहीं कर देता तब तक उसको सिक्योरिटी राशि रिलीज नहीं की जानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। आरोप है कि ठेकेदार से दोस्ती निभाने के चक्कर में केवल लेबर के हितों का ही सौदा नहीं किया गया बल्कि सिक्योरिटी राशि की करीब एक करोड़ की रकम ठेकेदार को रिलीज कर भारत सरकार को भी वित्तीय हानि पहुंचाने का काम किया गया है। यहां तक सुना जाता है कि इन मामलों की भनक चंद कदम की दूरी पर सब एरिया मुख्यालय में बैठे कमांडर तक को नहीं लगने दी गई, लेकिन अब यह मामला सीबीआई के जानकारी में या तो ला दिया गया है या फिर गोपनीय शिकायत भेजे जाने की तैयारी है। यदि ऐसा हुआ तो फिर सीईओ पर सीबीआई का शिकंजा कसना तय है। वहीं दूसरी ओर जानकारी मिली है की बीते एक साल के दौरान छावनी इलाके में जितने भी अवैध निर्माण व भारत सरकार की जमीन पर अवैध कब्जे कर वहां अवैध निर्माण किए गए हैं, उनकी भी वीडियो व फोटो के साथ विस्तार से जानकारी सीबीआई के गाजियाबाद स्थित कार्यालय को भेजी गई है। जानकारों की मानें तो यह मामला कैंट प्रशासन के लिए बड़ी मुसीबत का सबब बन सकता है, जिसके चलते माना जा रहा है कि कैंट बोर्ड के बुरे दिन आने वाले हैं।

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