कैंट बोर्ड: रिवर्स गेयर की आहट, मेरठ कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन के बड़े साहब का रिवर्स गेयर पड़ना तय है। इसकी आहट साफ सुनाई और हालात दिखाई देने लगे हैं। जानकारों की मानें तो बड़े साहब का रिवर्स गेयर पड़ने के साथ ही मेरठ कैंट बोर्ड में पर्याप्त संख्या बल के हिसाब से जेई हो जाएंगे। हालांकि जितना स्टाफ वर्तमान में है, उसकी यदि आउटपुट की बात की जाए तो वो भी जरूरत से ज्यादा है। लेकिन यहां बात हो रही है इंजीनियरिंग सेक्शन के बड़े साहब की। बड़े साहब का रिवर्स गेयर डालने में कैंट बोर्ड के जिन अधिकारियों को बेहद गरीबी माना जा रहा है, उनका भी योगदान कम नहीं आंका जा सकता। हालांकि जहां तक इस पूरे प्रकरण की बात है तो इसके लिए दूसरे से ज्यादा खुद बड़े साहब की वर्किंग आउटपुट जिम्मेदार मानी जा रही है। तमाम कायदे कानूनों को ताक पर रखकर (जेई से एई के प्रमोश का देश की किसी भी छावनी या कैंट एक्ट में प्रावधान नही है। एई की डायरेक्ट भर्ती का प्रावधान कैंट एक्ट में दिया गया है) जेई से एई का प्रमोशन कुछ करीबी बड़े अफसरों की कारगुजारी के चलते हुआ था, तब यह शर्त पीडी मध्य कमान ने जोड़ दी थी कि प्रत्येक तीन माह में परफारमेंस रिपोर्ट कैंट बोर्ड से पीडी मध्य कमान को भेजी जाएगी। इस बात को कई साल बीत गए लेकिन एक बार भी परफॉरमेंस रिपोर्ट नहीं भेजी गयी और इस बीच में उन्हें लाल पेन से पैनल्टी भी मिल गयीं। यह बात जब उच्च पदस्थ अधिकारियों की पकड़ में आयी तो रिवर्स गेयर का खतरा मंडराने लगा। हालांकि सुनने में आया है कि रिवर्स गेयर से बचने के लिए इन दिनों कुछ खास अफसरों की परिक्रमा की जा रही है। सर प्लीज मेरी परफॉरमेंस रिपोर्ट अच्छी लगा दीजिए लेकिन अब पछताए होता क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। रिवर्स गेयर के घटनाक्रम का एक साइड इफैक्ट यह भी सामने आया है कि जो लोग इंजीनियरिंग सेक्शन के बड़े साहब के करीबियों में गिने जाते हैं, अब वो भी कन्नी काटते नजर आ रहे हैं। शायद यही कारण है कि इस मामले को मैनेज करने मदद से हाथ खड़े कर दिए गए हैं। दरअसल कोशिश थी कि फाइलों में बैकडेट में कुछ अच्छा लिख दिया जाए, लेकिन ऐसा करना 420 की संज्ञा में आएगा इसलिए संबंधित लेखाकार विभाग के अनुभागाध्यक्ष ने इन कागजों को लेकर फाइल में लगाने से इंकार कर दिया। दूसरी ओर कैंट बोर्ड के सीईओ साहब को भी उनके करीबियों ने चौकन्ना कर दिया है और सलाह दी है कि रिवर्स गेयर की आग की तपिश से दूर रहना ही बेहतर होगा, क्योंकि मामला सीधे चार 420 बनता है। यदि रिवर्स गेयर पड़ते ही बोर्ड को एक जेई के साथ-साथ अब तक हुई आर्थिक हानि की भी रिकबरी की रकम भी मिल जाएगी और यह भी सुगबुगाहट है कि उन्हें कंप्लसरी रिटायर भी किया जा सकता है।