सीईओ कैंट पर भारी अवैध निर्माण

सीईओ कैंट पर भारी अवैध निर्माण
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सीईओ कैंट पर भारी अवैध निर्माण,  बोर्ड बैठक में जिस अवैध निर्माण को लेकर रिपोर्ट मांगी गयी थी तथा जहां पहरा बैठाए जाने के आदेश थे और जिस अवैध निर्माण को रूकवाने को खुद सीईओ कैंट जा पहुंचे थे वहां पर यदि अवैध निर्माण कर लिए तो यह कैंट बोर्ड मेरठ के पूरे स्टाफ और खुद सीईओ पर भी सवाल पैदा करता है। साथ ही यह भी कि अवैध निर्माण के मुददे पर कैंट बोर्ड के अफसर केवल भू-माफियाओं से नूर कुश्ती लड़ने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। यहां बात की जा रही है मेरठ शहर के बेहद भीड़ वाले आबूलेन इलाके जय प्लाजा की। यहां गौरतलब है कि पूरा का पूरा जय प्लाजा ही अवैध निमार्ण करा दिया गया है, लेकिन जिस बिल्डिंग कांप्लैक्स को अवैध निर्माण घोषित कर दिया गया हो उसमें एक और अवैध निर्माण कर लिया जाए और वो भी हरियाली का कत्ल कर तो अधिकारियों से पूछा तो जाएगा कि वो किसी के लिए काम रहे हैं। भारत सरकार की डयूटी बजा रहे हैं या फिर आबूलेन के जय प्लाजा में अवैध निर्माण कराने वाले जय प्रकाश अग्रवाल की। आबूलेन के जय प्लाजा में जो दूसरा अवैध निर्माण किया गया है वो तत्कालीन सीईओ नवेन्द्र नाथ के कार्यकाल में किया गया। नवेन्द्र नाथ के पास जब मामले की शिकायत पहुंची तो वह स्वयं भी वहां जा पहुंचे थे। वहां सील लगाकर काम बंद करा दिया गया।  कुछ दिन तो काम बंद रहा, लेकिन उसके बाद फिर नूर कुश्ती के नाम पर निर्माण शुरू हो गया। उसके कुछ समय बाद जब नवेन्द्र नाथ का मेरठ से तवादला हो गया तो जय प्लाजा के अवैध निर्माण ने तेजी पकड़ ली। नवेन्द्र नाथ के जाने  के बाद मेरठ कैंट बोर्ड में ज्योति कुमार आ गए। साथ ही अवैध निर्माण में भी तेजी आ गयी। कैंट बोर्ड की पिछले दिनों हुई एक बोर्ड बैठक में कमांडर राजीव कुमार ने आबूलेन के अवैध निर्माण को लेकर कठोर नाराजगी का इजहार किया था। उन्होंने सीईओ से उक्त अवैध निर्माण की रिपाोर्ट तलब कर  ली थी। लेकिन बड़ा सवाल यही कि इतना सब कुछ होने के बाद भी कैसे भारी भरकम निर्माण कर लिया गया। यदि निर्माण कर लिया गया तो फिर ध्वस्तीकरण सरीखे कार्रवाई में देरी क्यों। ये तमाम सवाल हैं जिनका उत्तर कैंट बोर्ड अफसरों को देना होगा। इस बीच जानकारी मिली है कि मामले की शिकायत रक्षा मंत्रालय को भी एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने भेज दी है।


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