आबूलेन पर करोड़ों कीमत की जगह भी रडार पर

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आबूलेन पर करोड़ों कीमत की जगह भी रडार पर,

बंगला-173 का ही एक बड़ा पार्ट है कैंट बोर्ड पार्किंग स्थल, अब है वहां विवाह मंडप

मेरठ के आबूलेन स्थित बंगला 173 ही नहीं उससे सटी करीब 52 हजार स्कवॉयर फुट कैंट बोर्ड की पार्किंग वाली जगह के भी सीईओ ऑफिस में बैठने वाले अफसरों के हाथ से निकलने की आशंका जतायी जा रही है। आबूलेन के सर्किल रेट की यदि बात करें तो इसकी कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है। यहां पहले कैंट बोर्ड का वाहन पार्किंग स्थल हुआ करता था और बाद में यहां मंडप बना दिया गया। आरोप है कि मंडप कैंट बोर्ड के रेवेन्यू सेक्शन के तत्कालीन हैड की कारगुजारियों की भेंट चढ़ गया इतने की बुकिंग नहीं हुई थी जितना की इस कुल खर्चा आ गया। आबूलेन स्थित बंगला 173 का ही पार्ट  इस 52 हजार स्कवॉयर फुट के टुकड़े के रखरखाव के नाम  तब कैंट बोर्ड के स्टॉफ ने जो लूट मचायी थी उसमें अफसर से लेकर निचले कर्मचारी तक सभी सभी के हाथ सने थे।

डीईओ ने की थी सीईओ को हैंड ओवर

आबूलेन स्थित जिस 52 हजार स्कवाॅयर फुट का यहां  जिक्र किया जा रहा है साल 1997 में यह बेशकीमती जमीन तत्कालीन रक्षा संपदा अधिकारी ने कैंट बोर्ड को बाकायदा लिखा पढ़ी के बाद हैंड ओवर की थी, लेकिन इस जगह को लेकर कैंट बोर्ड प्रशासन के अफसरों ने जो कुछ कारगुजारियां की हैं वो सब बोर्ड की फाइलों में अब दफन हो गया है। यदि दोबारा से फाइलों की धूल झाड़ झाड़ने की हिम्मत जुटायी जाए तो हो सकता है कि कई के चेहरे बेपर्दा हो जाएं। वही दूसरी ओर 52 हजार स्कवॉयर फुट जगह पर भी 173 को खुर्दबुर्द करने वालों की नजर है यह भी जग जाहिर है। कैंट अफसर भले ही कुछ भी दावें क्यों ना करते रहें।

फाइलों में सील-मौके पर भव्य शोरूम

आबूलेन बंगला 173 का एक बड़ा हिस्सा जहां जूतों व कपड़ों के अवैध निर्माण कर शोरूम बना दिए गए हैं वो हिस्सा कोर्ट के आदेश के चलते फाइलों में आज भी सील है। फाइलों में जो हिस्सा सील है वहां पर शोरूम बना दिया जाना इससे साफ हैं कि कैंट बोर्ड के अफसर कैसी ड्यूटी कर रहे हैं। इतना ही नहीं जिस सील वाले हिस्से की बात की जा रही है इस बंगले के सौदे के साथ ही फाइलों में सील इस हिस्सा का भी सौदा तय हो गया सुनने में आया है। केवल इसका ही नहीं बल्कि यहां काविज अन्य से भी बंगले से जाने का सौदा कर लिया गया है। पशु चिकित्सा का सरकारी दफ्तर भी शिफ्ट कराने की पटकथा तैयार कर ली गयी है। केवल कुछ ही समय की देरी है। जानकारों का कहना है कि केवल 173 ही नहीं छावनी क्षेत्र में भारत सरकार की संपत्ति कई बंगले खुर्दबुर्द किए जा रहे हैं और यह सब डीईओ व सीईओ के कुछ मठाधीशों की मदद से किया जा रहा है।

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