चीन से बड़े खतरे की आहट, देश के परंपरागत शत्रु चीन से भारत को बड़े खतरे की आहट सुनाई देने लगी है। इस बार वाया तिब्बत चीन भारत के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। एलएसी के नजदीक इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के साथ अब तिब्बतियों की रिकॉर्ड संख्या में सेना में भर्ती कर रहा है। पीएलए ने साल के पहले हिस्से में 472 तिब्बती युवाओं को भर्ती किया है। इनमें से 240 कॉलेज में पढ़ रहे छात्र हैं। इन तिब्बतियों के लिए कई ऐसी योजनाएं भी लागू की जा रही है जिससे वह ना सिर्फ यहां बस जाएं बल्कि पीएलए में शामिल होकर चीन की सेना की ताकत बने। चीन को लगता है कि तिब्बतियों को अपनी फौज में भर्ती करने से उसे तिब्बत के एकीकरण में मदद मिलेगी। एलएसी के नजदीक यह सैनिक बेहतर ढंग से डटे रह सकते हैं। द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो सालों में भारत के साथ तनाव के बीच चीनी सेना को लंबे वक्त के लिए लद्दाख में टिकना पड़ा। ठंड की वजह से चीन की रेगुलर सेना के कई जवान कमजोर दिखाई दिए, जबकि तिब्बत के युवा इन परिस्थितियों में ज्यादा मजबूत साबित हुए। भारत से टकराव के बाद चीन ने तिब्बती सैनिकों को पीएलए में ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल करने की रणनीति बनाई है। इसके लिए एलएसी के करीब नइनचि में स्कूली बच्चों के लिए समर कैंप के बहाने सेना से रूबरू कराया गया है। इन कैंप में 8 से 16 साल के बीच की उम्र के बच्चों को मिलिट्री स्टाइल ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वह आसानी से पीएलए में शामिल किया जा सके। चीन सिक्किम के दूसरी ओर तिब्बत के यादोंग और इसके पास के गांव के बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर अपना मिलिशिया ग्रुप तैयार कर रहा है। इनकी तैनाती उन बॉर्डर इलाकों में की जा रही है जहां से व्यापार होता है। चीन ने बाकायदा स्पेशल तिब्बत आर्मी यूनिट तैयार की है। इसका नाम रखा गया है मिमांग चेटोन।तिब्बती भाषा में इसका मतलब है पब्लिक के लिए।