सीएम का फरमान फिर भी किंग पर अफसर मेहरबान

kabir Sharma
7 Min Read


मेरठ/ नवरात्र में सीएम योगी के मीट की दुकानों को लेकर उन्हें बंद कराने के फरमान हैं, लेकिन पीएल शर्मा रोड स्थित किंग बैकरी के अवैध कांप्लैक्स में कुछ दुकानें जिस फूड सप्लाई कंपनी को दी गयी है उनका तो असली काम ही फ्रोजन मीट की सप्लाई का है, एक ओर सीएम योगी का फरमान और दूसरी ओर किंग के अवैध कांप्लैक्स में जिन्हें दुकानें दी गयी हैं वो वाकई फ्रोजन मीट भी अन्य सामान के साथ सप्लाई करते हैं तो वाकई बेइज्जती सरीखा है।

बेगमपुल और आबूलेन से सटे बेहद तंग इलाके


बेगमपुल और आबूलेन से सटे बेहद तंग इलाके पीएल शर्मा रोड पर मेरठ विकास प्राधिकारण के अफसरों की हिमाकत और वो भी तब जब सूबे में योगी सरीखे सीएम हों। फाइलों में सील पडे इस अवैध कांप्लेक्स में जिस प्रकार से सप्लाई चैन करने वाले कंपनी को डेढ़ मीटर की गली में बनवा दी गयीं। करीब 10 से ज्यादा दुकानों में से तीन दुकानें किराए पर दी गयी और दुकानों को किराए पर लेनी वाली सप्लाई चैन चलाने वाली कंपनी जो कुछ भी घर-घर तक सामान पहुंचाती है, जानकारों की मानें तो उसमें नॉनवेज भी शामिल होता है। घरेलू सामान सप्लाई करने वाली इस कंपनी के बारे में जानकारी रखने वालों की मानें तो गृहउपयोग का सारा सामान इनकी फेहरिस्त में शामिल होता है। किचन में जो कुछ भी यूज होता है, वो सारा सामान कंपनी के डिलीवरी ब्वॉय बाइक व दूसरे जरियों से घर तक पहुंचाने का काम करते हैं। यदि यह जानकारी वाकई सही है तो फिर प्राधिकरण के जिन अफसरों ने पहले इस अवैध कांप्लेक्स का निर्माण कराया और निर्माण में किसी प्रकार की बाधा न आए, उसके लिए इस पर सील लगाई वो तमाम अफसर जिनकी चर्चा इन दिनों इस अवैध कांप्लेक्स को लेकर पूरे महानगर में हो रही है। यहां पंचमुखी हनुमान मंदिर के सामने किंग बेकरी की दुकानों में बेचे जाने वाले नॉनवेज की वजह से यदि कोई फसाद होगा तो उसके लिए वहीं जिम्मेदार होंगे। 30 मार्च से वैसे भी चैत्र नवरात्र शुरू होने जा रहे हैं। किंग बेकरी के अवैध कांप्लेक्स में जिस सप्लाई चैन की बात की जा रही है वो यदि नॉनवेज भी सप्लाई करती है तो इसको लेकर निश्चित रूप से हंगामा होना तय है। इसके लिए सिर्फ और सिर्फ प्राधिकरण के वो अफसर जिम्मेदार होंगे जिन्होंने यह अवैध कांप्लेक्स बनवाने में पूरी मदद की है।


सूत्रों की मानें तो जिस भी निर्माण को टाउन की प्लानिंग करने वाले अफसरों को निर्विध्न पूरा करना होता है, उस पर सेटिंग-गेटिंग होने के बाद पहला सील लगाने का किया जाता है। जैसा कि किंग बेकरी के इस अवैध कांप्लेक्स के अलावा सिविल लाइन इलाके के नेहरू रोड स्थित जीडीए के एक अफसर द्वारा घर में बनवाए जा रहा अवैध होटल है। ऐसे तमाम उदाहरण मिल जाएंगे जिन्हें प्राधिकरण ने सील की कार्रवाई इसलिए की ताकि सवालों से बचा जा सके, लखनऊ से होने वाली किसी भी जांच में खुद की गर्दन फंसने से बचा सकें और जिनसे मोटा रकम ली गयी है उनका काम ना रूके। किंग बेकरी का अवैध कांप्लेक्स बनकर तैयार हो गया। दुकानों की खरीद-फरोख्त शुरू हो गयी है। जब अवैध निर्माण चल रहा था तब भी प्राधिकरण में मौजूद मददगार अफसरों की वजह से दूसरे अफसरों ने यहां काम रोकने की हिमाकत नहीं की और अब बगैर कंपाउंडिंग के दुकानों का कामर्शियल यूज शुरू हो गया है, तब भी प्राधिकरण के कुछ ऐसे अफसर जो दावा करते हैं कि टाउन का नियोजित विकास प्राधिकरण के साथ वो भी आकर झांकने को तैयार नहीं।


किंग बेकरी के अवैध कांप्लेक्स की कंपांडिंग को लेकर ऊपर से लेकर नीचे तक क्या झूठ बोला जा रहा है। यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है कि प्राधिकरण अफसरों ने संवाददाता से खुद स्वीकार किया कि अवैध कांप्लेक्स पर सील लगायी गयी है। यदि अवैध कांप्लेक्स वाकई सील है तो तो फिर पंचमुखी मंदिर के सामने वाली गली में बनायी गयी दुकानों की बिक्री किस प्रकार से कर दी गयी है। जिस सप्लाई चैन वाली कंपनी का चर्चा पीएल शर्मा रोड पर आम है। उस कंपनी के कारिंदे गली की तीन दुकानों में हरकत करते देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं यहां पर बिजली सप्लाई के लिए भारी भरकम जनरेटर भी लाकर रख दिया गया है। इसके बाद भी सुनियोजित विकास प्राधिकरण के साथ का दम भरने वाले अफसर क्या कुंभकर्णी नींद में ही रहेंगे।


किंग बेकरी के अवैध निर्माण के खिलाफ मुहीम छेड़ने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी का कहना है कि जिस तरह का खेल प्राधिकरण के अफसर खेल रहे हैं। उसके चलते जिन टाउन प्लानर का नाम इसको लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में उन समेत तमाम अफसरों वो चाहे फायर एनओसी का काम देख रहे हों या कोई दूसरा सभी को एनजीटी व हाईकोर्ट में घसीटा जाएगा। कांप्लेक्स के लिए भारी भरकम जनरेटर लाकर रख देना वो भी घनी रिहायशी आबादी वाले इलाके में एनजीटी के कायदे कानून का सीधा उल्लंघन है। इसके लिए जितना कसूरवार अवैध कांप्लेक्स बनाने वाला है, उससे ज्यादा कसूर प्राधिकरण के अफसर हैं।

जेल में मिली मुंह मांगी मुराद


Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Would you like to receive notifications on latest updates? No Yes