सौ साल बाद बेलगांव में कांग्रेस

सौ साल बाद बेलगांव में कांग्रेस
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सौ साल बाद बेलगांव में कांग्रेस,

बेलगांव। सौ साल बाद बेलगांव में हुई कांग्रेस की बैठक में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खडगे ने दिल को छू जाने वाले अनेक बातें कहीं। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस के इतिहास में बहुत सुनहरा दिन है। गांधीजी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के सौवें वर्ष पर बेलगांव में महात्मा गांधी नगर में ऐतिहासिक नव सत्याग्रह बैठक हो रही है। 100 साल पहले यहीं 26 दिसंबर 1924 को 3 बजे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी। इससे पहले मौलाना मुहम्मद अली कांग्रेस अध्यक्ष थे। इस मौके पर सेवादल के संस्थापक Dr. N S Hardikar को याद कर मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। यहीं से कांग्रेस के इतिहास में रोज सुबह राष्ट्रीय ध्वज समारोह पूर्वक फहराने और शाम को उतारने का सिलसिला आरंभ हुआ। गांधीजी केवल एक बार एक साल के लिए ही कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। लेकिन उन्होंने इसके बाद इतनी लंबी लकीर खींची कि उसकी बराबरी कर पाना किसी भी राजनेता के लिए संभव नहीं है । गांधीजी ने कांग्रेस के संविधान को नया रूप दिया। गांव, गरीब, किसानों औऱ मजदूरों के दिलों में कांग्रेस के लिए मजबूत आधार बनाया। कांग्रेस संगठन को रचनात्मक कामों से जोड़ा। छुआछूत औऱ भेदभाव के खिलाफ मुहिम को कांग्रेस के मुख्य एजेंडे में शामिल किया। आप सभी को गर्व होना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी के पास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत है। हम लोग उनके उत्तराधिकारी है। साथियों, उन दिनों कोहाट और गुलबर्गा जैसे शहरों में हो रहे सांप्रदायिक दंगों से आहत होकर उन्होंने चिंता व्यक्त की थी, और कहा था, “When quarrels become a normal thing of life, it is called civil war and parties must fight it out themselves”. मोतीलाल नेहरू जी ने दंगों की निंदा करते हुए Resolution move किया था। गुलबर्गा, जहाँ से मैं आता हूँ वहाँ दंगों से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना ज़ाहिर की गयी थी। बहुत अफ़सोस की बात है कि 100 साल बाद भी आज का सत्ताधारी दल और उनके नेता खुलेआम भड़काऊ नारे देते हैं और उनके बड़े नेता ही समाज में सदभाव बिगाड़ रहे हैं, समुदायों के बीच नफ़रत फैला रहे हैं। लोगों को लड़ाने का काम कर रहे हैं। महात्मा गांधी ने यहीं से कांग्रेस पार्टी में विभिन्न मत के लोगों के होने के बावजूद, एकता- Unity के महत्व का संदेश देते हुए कहा था कि “जब तक जगत में मस्तिष्क अलग है, तब तक मत भी अलग होगा। लेकिन हम हरेक को ह्रदय से लगाना चाहते हैं।” बेलगांव अधिवेशन की एक और खास बात ये थी कि पहली बार महात्मा गाँधी ने छुआछूत (untouchability) के ख़िलाफ़ एक देशव्यापी अभियान की शुरुआत की। इसे कांग्रेस के राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा बनाया। उन्होंने कहा कि अस्पृश्यता स्वराज की राह की सबसे बड़ी बाधाओं में है। जितना जल्दी हम यह काम करें हमारे हित में है। 1925 में गांधीजी केरल जाकर Viacom सत्याग्रहियों से मिले और उनकी मांग का समर्थन किया था । पिछले 140 वर्षों की यात्रा में पार्टी ने बहुत उतार चढाव देखे। पर कांग्रेस आज भी गांधीजी के विचारों की रोशनी में उनके सिद्धांतों को समर्पित और उसूलों पर कायम है। कर्नाटक मेरा गृह राज्य है। यहीं से मेरी लंबी राजनीतक यात्रा का आरंभ हुआ। आज मुझे बहुत गर्व होता है कि 100 साल पहले महात्मा गांधी ने जिस महान दायित्व को संभाला था उसकी स्मृतियों में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मुझे शामिल होने का मौका मिला है। आज हम जब 100 वर्ष पुराने ऐतिहासिक क्षण को पुनर्जीवित कर रहे हैं तो कर्नाटक में गांधीजी के विचारों की सरकार चल रही है। संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढाते हुए महात्मा बसेश्वर, महात्मा फुले औऱ बाबा साहेब डॉ अंबेडकर जैसे महापुरुषों के दिखाए विचारों पर आगे बढ़ रही है।

हमने संसद सत्र में संविधान के ऊपर हो रहे चर्चा के दौरान डा० बाबा साहेब अंबेडकर के बारे में गृह मंत्री का घोर अपमानजनक बयान सुना। हमने आपत्ति दर्ज की, विरोध जताया, प्रदर्शन किया।अब तो पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है। किन्तु प्रधानमंत्री और सरकार गलती मानने को तैयार नहीं है। अमित शाह से माफ़ी और इस्तीफ़ा लेना तो दूर, उल्टा आपत्तिजनक बयान का समर्थन किया। गृह मंत्री के बचाव में प्रधानमंत्री ने बयान जारी किया। राहुल गाँधी पर झूठा केस दर्ज कर दिया। ये है आज के हुक्मरान का संविधान और उसके निर्माता के प्रति नज़रिया। परन्तु हम किसी से डरनेवाले नहीं हैं ना ही झुकने वाले हैं। हम नेहरू-गांधी की विचारधारा और बाबा साहब के सम्मान के लिए आख़िरी दम तक लड़ेंगे। बीजेपी के लोग हमारे ऊपर झूठा आरोप लगाते हैं कि हमने बाबा साहब का सम्मान नहीं किया। सब को मालूम है कि संसद में जो बाबा साहेब की मूर्ति 1967 में कांग्रेस ने लगवायी। मुझ जैसे हज़ारों कार्यकर्ताओं की माँग को मानते हुए इंदिरा जी के कार्यकाल में राष्ट्रपति डॉ ० राधाकृष्णनजी ने संसद में मुख्य स्थान पर पहली बड़ी मूर्ति बाबा साहेब की ही स्थापित कराई। इसलिए मैं कहता हूं कि BJP -RSS वाले झूठ बोलना बंद कर दें। प्रधानमंत्री जब पहली बार संसद में चुनकर आए थे तो उन्होंने पुराने संसद की सीढ़ियों पर माथा टेका था जिसके बाद नए संसद का निर्माण हो गया। हमें डर इस बात का है कि इस बार नए संसद भवन में शपथ लेने के पहले इन्होंने संविधान के सामने माथा टेका है ! हमें मालूम है, ये उनका पुराना project है। उन्होंने संविधान, तिरंगा, गांधी, नेहरू, अंबेडकर सभी की आलोचना की है, सभी का विरोध किया है। सभी के पुतले फूंके हैं।  सत्ताधारी दल के लोगों के द्वारा संविधान के प्रस्तावना का अपमान होता रहता है। संवैधानिक प्रवधानों और मूल्यों का आदर नहीं होता है । संविधानिक संस्थाओं को Control किया जा रहा है, मिसाल के तौर पर Election Commission of India को ही देखें, तो यही मालूम होता है कि इनके मन में संवैधानिक संस्थाओं के लिए कोई आदर नहीं है, ये सब पर कब्जा करना चाह्ते हैं। इसलिए हमें यह लड़ाई लगातार लड़नी पड़ेगी।  चिंता की बात यह है कि चुनावी प्रक्रिया में लोगों की आस्था धीरे – धीरे कम होती जा रही है क्योंकि आयोग के निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। कुछ रोज़ पहले इन्होंने अपने conduct of election rules में बदलाव कर लिया ताकि कोर्ट ने जो जानकारी साझा करने का आदेश दिया था उसे रोका जा सके।  आख़िर ऐसा क्या है जिसे छुपाने का प्रयास किया जा रहा है? जिस जानकारी के public domain में होने से अब तक कोई परेशानी नहीं थी, उसे अब Publish करने में क्या दिक्कत आ गई ?  कभी वोटरों का नाम सूची से काटा जाता है। कभी उनको मत डालने से रोका जाता है। कभी वोटर सूची संख्या में अचानक वृद्धि हो जाती है। कभी वोट डालने के अंतिम समय में vote percentage अप्रत्याशित तरीके से बढ़ जाता है। ये कुछ सवाल उठते रहते हैं जिनका satisfactory जवाब नहीं मिलता।  इन सब के बीच केंद्र सरकार की वादाखिलाफी के कारण देश भर के किसान MSP गांरटी और दूसरी मांगो को लेकर आंदोलित हैं। आमरण अनशन तक चल रहा है। पर इस सरकार में अन्नदाता का दुःख दर्द समझने वाला कोई नहीं है।

कितनी बड़ी विडंबना है कि कांग्रेस राज में जब प्रधानमंत्री राजीव गांधीजी थे तो किसानों को बोट क्लब पर आकर अपनी बात रखने की छूट थी। अब वो दिल्ली भी नहीं आ सकते। डा० मनमोहन सिंह की सरकार में हमने किसान 72 हज़ार करोड़ रुपये की ऋणमाफ़ी की। फसल का अधिकतम MSP दिया। उनके हक में भूमि अधिग्रहण कानून बनाया। कई काम हुए।

UPA के दस वर्षों में हमारी सरकार ने जनता को Right based कानून दिया। MGNAREGA, RTI, Right to Food, Right to Education जैसे काम उस समय की कांग्रेस अध्यक्ष, श्रीमती सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री, डा० मनमोहन सिंह के बेहतरीन कार्यकौशल और तालमेल की वजह से संभव हुआ।

हमें अफ़सोस है आज जनता की सुध लेने वाला कोई नहीं है। इसलिए हमें इनकी मदद के लिए आगे आना होगा, उनका सहारा बनना होगा। उनके मुद्दों को उठाने के लिए अपना संघर्ष और प्रयास जारी रखने होंगे।

भारत जोड़ो यात्रा एवं भारत जोड़ो न्याय यात्रा से देश के राजनीतिक वातावरण को बदलने में काफ़ी ताक़त मिली। इसी वजह से 400 पार का मंसूबा रखनेवालों के इरादों पर पानी फिर गया। संविधान के साथ छेड़- छाड़ करने की BJP-RSS की योजना को जनता ने विफल कर दिया।

हमें अपने संगठनात्मक शक्ति को बढ़ाना होगा। हमारे समर्थक जानना चाहते हैं कि हम अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए क्या करने वाले हैं? वैसे लोग जो हमारे समर्थक नहीं है परन्तु केंद्र सरकार से अपनी उम्मीद खो बैठे हैं वो भी जानना चाहते हैं कि हम कैसे अपने आप को मजबूत बनायेंगे।

इसलिए मैं आपको पिछली 29 नवंबर की Working Committee की बैठक में संगठन को मजबूत करने की बात की याद दिलाता हूँ । हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों से निराशा का जो वातावरण बना था, हमने उससे सक्रियता से जूझने का फैसला किया था।

बीते संसद सत्र में हमने दृढ़ निश्चय, रचनात्मकता और ठोस इरादों के साथ सरकार को बैकफुट पर धकेलने में और विपक्ष में नई स्फूर्ति पैदा करने में सफलता पायी है। हमने संगठन में ज़रूरी फैसलों पर और प्रक्रियाओं पर सोच विचार भी किया है।

मैं ये कहना चाहता हूँ कि सन 2025 हमारे संगठन-सशक्तिकरण का साल होगा। हम संगठन में सभी रिक्त पदों को भरेंगे । उदयपुर declaration को पूरी तरह से लागू करेंगे। अपने संगठन को AICC से लेकर मंडल और बूथ तक चुनाव जीतने के लिये आवश्यक कौशल से सुसज्जित करेंगे। हमें ऐसे लोग ढूँढ कर निकालना होगा, जो ideologically committed हैं। जो संविधान की रक्षा के लिए लड़ने को तैयार हैं। जो कांग्रेस पार्टी के Idea of India में विश्वास रखते हैं। ऐसे लोगों को पार्टी से जोड़ना होगा। मुख्यधारा में लाना होगा ।उन्हें संगठन के कार्यों में involve करना होगा, जोड़ना होगा।

केवल मेहनत ही काफी नहीं है, समयबद्ध ठोस रणनीति और दिशा जरूरी है। नयी शक्ति को मौका देने की जरूरत है। स्थानीय एवं नए नेतृत्व को भी उभारने की जरूरत है। हमारे पास विचारों की ताकत है, गांधी-नेहरू की विरासत है और महान नायकों की धरोहर है। हम बेलगांव से नये संदेश और नये संकल्प के साथ लौटेगे। इसलिए हमने इस बैठक का नाम ‘नव सत्याग्रह’ रखा, क्योंकि आज संवैधानिक पद पर आसीन महामहिम भी महात्मा गांधी के सत्याग्रह पर सवाल उठा रहे हैं। जिन्होंने संविधान की शपथ खाई है वो ही झूठ फैला रहे हैं। जो सत्ता में बैठे हैं वो असत्य का सहारा लेकर हम पर आरोप लगाते हैं। ऐसे लोगों को ही हमें बेनकाब करना है, परास्त करना है। साथियों, मैं आपको गांधीजी की ही कही बात याद दिलाता हूँ, वो कहते थे कि “सत्य तब भी टिकता है, जबकि उसके पक्ष में जन-समर्थन न हो”। हमारे पीछे तो सत्य भी है और करोंड़ो लोग भी। इसलिए यह मायूसी का वक़्त नहीं है। हमें एकता के साथ विरोधियों के झूठ को धराशायी करना है। हमें विश्वास के साथ आगे बढ़ना है और चुनौतियों से डटकर मुक़ाबला करना है। और हम ज़रूर कामयाब होंगे।

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