दायर तो पीआईएल की जानी थी, राशन कार्ड से काटी गयी यूनिटों का सरकारी गोदाम से खाद्यान उठाकर कालाबाजारी कर दिए जाने के जिस मामले को लेकर शासन के निर्देश पर एसआईटी ने मेरठ में डेरा डाला हुआ है, उस मामले को लेकर राशन डीलरों की ओर से हाईकोर्ट इलाहाबाद में पीआईएल दायर की जानी थी। जानकारों की मानें तो उस पीआईएल के नाम पर राशन डीलरों से अच्छी खासी रकम भी जमा करा ली गयी थी, लेकिन पीआईएल रूकवाने के लिए डीएसओ कार्यालय में तैनात एक कर्मचारी जो शख्स पीआईएल दायर करने की बात कर रहा था, उसके पास जा पहुंचा और सुनने में आया है कि पीआईएल दायर न किए जाने के नाम पर एक लाख कीमत लगाकर सौंदा तय कर लिया गया। उसके बाद पीआईएल भी दायर नहीं की गयी। बताया जाता है कि जिस पीआईएल को दायर किया जाना था, उसका आधार फूड सेल की उस रिपोर्ट को बनाया गया था, जिसमें उक्त घोटाले में 63 राशन डीलरों के साथ-साथ मेरठ के जिला आपूर्ति कार्यालय में तैनात तत्कालीन डीएसओ व अन्य अधिकारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में कार्रवाई के साथ-साथ विभागीय जांच की भी संस्तुति की गयी थी। फूड सेल ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट साल 2019 में शासन को सौंप दी थी, यह बात अलग है कि फूड सेल की रिपोर्ट पर अधिकारी बजाए कार्रवाई करने के कुंडली मारकर बैठ गए। उसी दौरान फूड सेल की रिपोर्ट में डीएसओ कार्यालय के जिन अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की संस्तुति की गयी थी, उसको शासन से जिलाधिकारी मेरठ कार्यालय को भेज दिया गया था। बाद में प्रशासन ने कार्रवाई के निर्देश के साथ तत्कालीन डीएसओ को वह रिपोर्ट भेज दी थी, लेकिन यह बात अलग है कि कभी भी उक्त घोटाले के आरोपी बताए गए अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकी। फूडसेल की रिपोर्ट में राशन डीलरों के साथ-साथ अधिकारियों पर की गयी कार्रवाई की संस्तुति का आधार बनाकर ही पीआईएल दायर किए जाने की बात को जोरशोर से प्रचारित कराया गया। जिससे डीएसओ कार्यालय के उन कर्मचारियों में खलबली मच गयी जिन पर फूड सेल ने कार्रवाई की संस्तुति की थी और बाद में माला सेट कर लिया गया। राशन डीलरों में इस बात को लेकर जबरदस्त चर्चा भी है कि फूड सेल की रिपोर्ट काे आधार बनाकर पीआईएल दायर करने की बात करने वाले एक लाख रुपए लेकर चुप बैठ गए। वहीं दूसरी ओर सुनने में यह भी आया है कि घोटाले की जांच के लिए भेजी गयी एसआईटी के नाम पर एक बार फिर से शहर के राशन डीलरों से दोहने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस काम में माहिर कुछ राशन डीलरों को बीते शनिवार को डीएसओ कार्यालय में तैनात एक एआरओ द्वारा बुलाकर जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा भी राशन डीलरों में गरम है। दरअसल कोशिश की जा रही है कि एसआईटी की जांच भी पूरी हो जाए और डीएसओ कार्यालय के जिन कर्मियों पर फूड सेल की रिपोर्ट में दाग लगा है वो दाग एसआईटी की जांच में धुलवा दिया जाए। लेकिन दामन पर लगे भ्रष्टाचार व कालाबाजारी इन हथकंडों को अपना कर धो पाएंगे इसकी उम्मीद कम ही है। क्योंकि कुछ लोग पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हैं और कहते भी हैं कि यह योगी की सरकार है जो भ्रष्टाचारियों पर भारी है।