शहर में छतों पर दौड़ रही है मौत,
मासूम की मौत के बाद भी नींद में पावर अफसर
शहर सराफा बाजार, नील की गली, खैरनगर, बैली बाजार, कोटला आदि में बिजली के तारों का जाल
मेरठ/शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में बिजली के तारों के रूप में मौत छतों पर दौड़ रही है। कोतवाली के बुढाना गेट इलाके में एक मासूम बच्ची की मौत के बाद उम्मीद की जा रही थी कि शहर में छतों पर दौड़ रही मौत को लेकर परले दर्ज की लापरवाही बरत रहे पावर अफसर शायद कुछ सबक लेंगे, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। जैसे हालात मासूम की मौत से पहले थे, वैसे ही हालात आज भी बने हुए हैं। बस इतना हुआ है कि मासूम के परिजनों को छह लाख का मुआवजा देने के बाद उस इलाके से हाइटेंशन लाइन को हटाने का काम किया गया जहां बच्ची की मौत हुई थी। इसके अलावा कुछ नहीं।
जानते हैं सब कुछ
ऐसा नहीं कि पावर अफसरों को शहर की घनी आबादी वाले इलाकों में छतों के छू रहे हाइटेंशन तारों के रूप में दौड़ रही मौत का इलम नहीं है। वो सब कुछ जानते हैं और जो भी नया अफसर पीवीवीएनएल में आता है, इलाके लोग सबसे पहले हाईटेंशन तारों के रूप में छतों पर दौड़ रही मौत की जानकारी देते हैं। यह बात अलग है कि सब कुछ जानने के बाद भी पावर अफसर पूरी तरह से गाफिल हैं। उनकी लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मासूम की मौत की घटना के बाद एक बार भी इस पूरे इलाके में आकर झांकने तक की जरूरत नहीं समझी।
फंड भी था और प्लान भी, अफसरों ने खडेÞ कर दिए हाथ
शहर की घनी आबादी वाले इलाकों में खातसौर से उस इलाके की जिसको एशिया की स्वर्ण मंड़ी यानि शहर सराफा व नील की गली इलाके के लिए पूर्व सांसद राजेन्द्र अग्रवाल सरकार से पास कराकर फंड और योजना दोनों लाए थे, लेकिन पीवीवीएनएल के अफसरों ने उस योजना को अमलीजामा पहनाना तो दूर की बात प्लान को हाथ से छूकर भी नहीं देखा। राजेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि वह चाहते थे कि बिजली के तारों के रूप में जो साक्षात मौत झांक रही है, उससे सुरक्षा की जाए। इसी को लेकर यह योजना सरकार से पास करायी गयी। इसके लिए फंड की कोई कमी नहीं थी, लेकिन अधिकारियों में इच्छा शक्ति की कमी थी, जिसकी वजह से एक अच्छा काम होते -होते रह गया।
मुसीबत से निजात के बजाए अफसरों की ना
छतों पर दौड़ रही मौत की मुसीबत से निजात दिलाने के बजाए जो योजना पूर्व सांसद लाए थे उसको लेकर पीवीवीएनएल अफसरों ने हाथ हिलाना तो दूर हाथ लगाने तक से इंकार कर दिया। अफसरों ने सफाई दी कि यह नहीं होगा। उन्होंने बजाए समस्या के समाधान के राजेन्द्र अग्रवाल द्वारा लायी गयी योजना के एक्टिवेट होने से साइड इफैक्ट गिनाने शुरू कर दिए। नतीजा यह हुआ कि एक अच्छा काम होते होते रह गया।
मुंबई की मिसाल
मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री विजय आनंद इस मामले में मुंबई की मिसाल देते हैं। उन्होंने बताया कि मेरठ के किसी भी पुराने इलाके में जितनी आबादी एक मोहल्ले की है उससे ज्यादा लोग मुंबई में एक अपार्टमेंट की होती है। और सभी के अलग-अलग कनेक्शन भी होते हैं। वहां पूरा सिस्टम अंडरग्राउंड है। ऐसा नहीं कि वहां फाल्ट नहीं होते। वहां भी फाल्ट होते हैं और अंडर ग्राउंड सिस्टम में वो फाल्ट सही भी किए जाते हैं। जब मुंबई में हो सकता है तो फिर यहां क्यों नहीं।
कई बार उठाया मसला
शहर की घनी आबादी वाले इलाकों में बिजली के तारों के रूप में छतों पर दौड़ रही मौत का मामला कई बार उद्योगबंधु की मासिक बैठक में उठाया जा चुका है। व्यापारी नेता विपुल सिंहल ने बताया कि यह बेहद गंभीर मसला है। लेकिन अभी समाधान से कोसों दूर नजर आता है। इसका समाधान किया जाना बेहद जरूरी है। खंदक बाजार हैंडलूम व्यापारी संघ के प्रधान अंकुर गोयल का कहना है कि खंदक बाजार के खदर मार्केट में भी बिजली के तारों का जानलेवा जाल फैला हुआ है। उन्होंने बताया कि बुढानागेट पर मासूम बच्ची की मौत के दौरान मौके पर पहंचे अधिकारियों के समक्ष उन्होंने कोतवाली, देहलीगेट व लिसाड़ीगेट तथा नौचंदी इलाके में मकानों की छतों को छूकर गुजर रहे बिजली के तारों का मामला जोरशो से उठाया था। इस समस्या का समाधान किया जाना बेहद जरूरी है यदि बात नहीं बनी तो फिर सीएम योगी के समक्ष यह मामला उठाया जाएगा। यह बेहद गंभीर समस्या है।
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