फजीहत के बाद भी हालात जस के तस

फजीहत के बाद भी हालात जस के तस
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फजीहत के बाद भी हालात जस के तस,
डेयरी फार्म, बिजली बंबा बाईपास, टैंक चौराहा रुड़की रोड समेत करीब दर्जन भर शिकार के ठिकाने
मेरठ। पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी भले ही दावे कुछ भी करें लेकिन कई बार फजीहत होने के बाद भी शहर में ट्रैफिक पुलिस की अवैध उगाही रुकने का नाम नहीं ले रही है। स्टाफ के दिन की शुरूआत ही पूरे शहर में संगठित होकर अवैध उगाही से होती है। अवैध उगाही की बात करें तो कई ऐसे पाइंट जिनकी पहचान ही अवैध उगाही के लिए बन गयी है। इनमें सबसे ज्यादा बदनाम कैंट का डेयरी फार्म, रुड़की रोड टैंक चौराहा व कंपनी का कंकरखेड़ा कट और बिजली बंबा बाईपास के इलाके हैं। ट्रैफिक पुलिस की अवैध वसूली के चलते कुछ वाहन चालक विवश होकर ग्रामीण क्षेत्र के भीतरी सीमा से होकर गुजर जाते हैं। दिल्ली और हरियाणा के ट्रक ट्रैफिक पुलिस के निशाने पर रहते हैं।

सादावर्दी में उगाही
आमतौर पर उगाही करने वाला जो स्टॉफ तड़के से सड़कों पर उतरता है, वह सादावर्दी में होता है। गाड़ियों इशारा करने पर रूक जाएं इसके लिए वार्दी वाले एक होमगार्ड को साथ रखा जाता है। क्योंकि कई बार सादावर्दी वालों को देखकर ट्रक वाले इशारे पर रूकते नहीं। इसलिए उन्हें रोकने के लिए वर्दी वाले होमगार्ड को साथ रखा जाता है। वैसे उगाहीबाज स्टाफ की बॉडी लैग्वेज अलग होती है। आमतौर पर जहां भी ये नजर आते हैं, इनके इशारे पर गाड़ियां रूक जाती हैं।
बाहरी व लोकल का मिट दिया अंतर
आमतौर पर पहले बाहरी गाड़ियां टैफिक के उगाही करने वाले स्टॉफ के निशाने पर हुआ करती थीं। बाहरी नंबर की कोई भी गाड़ी देखकर पूरा स्टॉफ गोश्त पर गिद्ध की मानिंद झपट करता था। सबसे पहला काम गाड़ी की चाबी निकालने का किया जाता था। उसके बाद एक टैÑफिक कर्मी ड्राइवर की बगल वाले सीट पर जा बैठता था। उसका काम यह समझाना होता है कि गाड़ी सीज करानी है या फिर आगे निकलना है। इसके बाद ड्राइवर या परिचालक तमाम पेपर लेकर चैकिंग स्टॉफ के पास जाता, लेकिन सब कुछ ओके होने के बाद कुछ ना कुछ ऐसी कमी निकाल दी जाती जो उगाही का जरिया बन जाती। इतना ही नहीं बाहरी व लोकल का फर्क मिटने से पहले आमतौर पर बाहरी नंबर की गाड़ियों वाले ऐसे रास्तों से निकलने का प्रयास करते थे जहां उगाही बाज टैÑफिक स्टाफ ना मिले।
डेयरी फार्म: कैंट का डेयरी फार्म का इलाका अवैध उगाही के लिए सबसे ज्यादा बदनाम है। यहां तैनात टैÑफिक स्टाफ से बचकर निकला किसी भी वाहन चालक के लिए असंभव है। दरअसल यहां चक्रव्यूह बनाकर उगाही वाला स्टाफ खड़ा होता है। एक अलावा दो बाईक हमेशा स्टैंडबाई पर रहती हैं। यदि कोई भागने का प्रयास करे तो उसको दबोचा जा सके।
बिजली बंबा बाईपास: वाया बिजली बंबा हापुड़ से दिल्ली जाने वाले बाईपास को उगाही का पाइंट बने ज्यादा अरसा नहीं हुआ है। उगाही और भारी रकम की उगाही के लिए अब यह पाइंट स्थापित हो चुका है। दरअसल यहां मौजूद टैफिक स्टाफ ने गाड़ी चालकों को शिकार बनाने के लिए बाकायदा कोठरीनुमा कमरा बना लिया है। सारी डील इस कोठरीनुमा कमरे में होती है। एक बार जो इस कमरे में गया वो फिर काम से गया।
रुड़की रोड गांधी बाग: रुड़की रोड गांधी बाग पर वाहनों से उगाही के दो पाइंट हैं पहला तो टैंक चौराहे वाला और दूसरा उससे चंद कदम आगे चर्च वाला तिराहा। इस तिराहे से होकर वाया कंकरखेड़ा होते हुए दिल्ली व आगे जाने वाले हल्के भारी वाहन गुजरते हैं। अवैध उगाही के नतरिये ये तिराहा स्टाफ के लिए बेहद अहम है। अच्छे कलेक्शन के चलते यहां स्टॉफ भी दिन निकलने के साथ से ही एक्टिव हो जाता है।
ये इलाके भी खासे बदनाम: टैफिक स्टाफ की अवैध उगाही की यदि बात करें तो हरिद्वारा देहरादून की ओर आने वाली जो गाड़ियां वाया मोदीपुरम फ्लाई ओवर से होकर एनएच-58 पर चढ़ती हैं उनको यहीं पर रोका जाता है। यहां भी अक्सर सड़क किनारे लगी गाड़ियों की लंबीय कतार लगी देखी जा सकती है।
शहर ही नहीं बॉर्डर एरिया भी
शहर ही नहीं ट्रैफिक पुलिस ने जिले के बार्डर अर्थात दिल्ली रोड मोहिउद्दीनपुर के पास अपनी नजर गढ़ा दी हैं। ट्रैफिक पुलिस मोहिउद्दीनपुर में रोज भारी वाहनों और हल्के वाहनों की चेकिंग कर चालानी कार्रवाई करती है, लेकिन चेकिंग के नाम पर पुलिस वाहन चालकों से अवैध वसूली करने में भी पीछे नहीं दिखाई देती। परतापुर का मोहिउद्दीनपुर एक क्षेत्र है जो गाजियाबाद जिले के बार्डर को जोड़ता है। दिल्ली रोड पर प्रतिदिन हजारों भारी हल्के व दुपहिया वाहन गुजरते हैं। दिन रात चलने वाली दिल्ली रोड की बात करें तो ट्रैफिक पुलिस मोहिउद्दीनपुर क्षेत्र को अवैध वसूली के लिए सबसे सुरक्षित स्थान मानती है। यहां ट्रैफिक पुलिस का एक एसआई और कुछ सिपाही सुबह सात बजे चेकिंग करने में जुट जाते हैं।
फजीहत के बाद भी हालात जस के तस
अवैध उगाही को लेकर टैफिक पुलिस की कई बार फजीहत हो चुकी है, लेकिन फिर भी हालात जस के तस बने हुए हैं। कुछ समय पहले कैंट विधायक ने जीरो माइल्स चौराहे पर ट्रक उगाही करते हुए रंगे हाथों टैफिक स्टाफ को पकड़ा था। टैफिक स्टॉफ की अवैध उगाही के खिलाफ अनेक बार भाजपाई भी एसएसी से मिल चुकी हैं। महानगर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मुकेश सिंहल ने जिले के प्रभारी मंत्री के से इसकी शिकायत की थी। अवैध उगाही को लेकर ई रिक्शा चालकों का भी हंगामा हो चुका है। संयुक्त व्यापार संघ और मेरठ बार एसोसिएशन भी टैफिक की अवैध उगाही के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं।
ऐसे होती है वसूली
दुपहिया वाहन चालकों को हेलमेट न लगाने और वाहन की आरसी न दिखाने तथा नंबर प्लेट पर आढ़े तिरछे नंबर लिखे जाने या तीन सवारी होने पर ट्रैफिक पुलिस के होमगार्ड उन्हें बीच सड़क पर आगे आकर हाथ देकर रोक लेते हैं। वाहन चालक को ट्रैफिक कांस्टेबल के पास ले जाता है। कांस्टेबल वाहन चालक से कागजात से लेकर ट्रैफिक नियमों की अवहेलना का हवाला देकर उनका पांच सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक का चालान करने की चेतावनी देता है।

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