देवी महिमा का किया बखान, श्री ब्रज राधिका दुर्गा मंदिर दुर्गापुरम गढ़ रोड मेरठ में श्रीमद् देवी भागवत कथा में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ जी महाराज ने कहां कि 20 तो एक होता है लेकिन उसके फल अनेक होते हैं इसी कारण मां भगवती तो एक है लेकिन उसकी लालिमा आपने अपने असंख्य लालो (पुत्रो)की रक्षा करती है। उन्होंने कहा कि मधु कैटभ की उत्पत्ति विष्णु भगवान के कान के मैल से हुई थी। मैंने कहा मधु के अर्थ है मीठा और कैट आपका मतलब है कड़वा अर्थात मनुष्य के जीवन में भी दो कान हैं जिसे सामाजिक जीवन में अच्छाई यानी मधु और कड़वा सुनता है उसे इस प्रकार अपने जीवन का संतुलन बनाना चाहिए क्योंकि मधु कैट अपने भी अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल किया और भगवान विष्णु से ही टकराने का दूसरा किया उन्हें अपनी शक्ति पर गुमान था ब्रह्मा जी ने उनकी उनको उद्दंडता देखते हुए भगवान से उनको दंड देने की प्रार्थना की जब मधु क कैटभ का दुस्साहस ज्यादा बढ़ गया तो भगवान विष्णु ने उनकी मती हरली इसी कारण मधु कैटभ न्यू प्रभु से वरदान देने की बजाय मांगने का कहा भगवान ने भी मुस्कुराकर उन्हें वरदान देने का संकल्प करा लिया उस संकल्प में यह निश्चय कर लिया कि उनकी मृत्यु भगवान के हाथों ही हो जाएं और ऐसा ही हुआ इसी कारण श्री हरि का नाम मधुसूदन और कोटव अरि भी कहा जाता है । उन्होंने भगवान के बारे में बताया कि भ से भूमि ग गगन, व से वायू आ से अग्नि न से नीर इनसभी तत्वों को भगवान खतरा है मनुष्य के जीवन मे भी5 इंद्रियां होती है जिसके जाल में वो फस रहता है उन्होंने कहा कि रस के मोह में भौरा श्रवण से हिरन स्वाद में मछली हाथी बल में फस जाता है तो मनुष्य तो 5 के मोह में है।यज्ञ भी 3 प्रकार के होते है, सात्विक यज्ञ:सज्जनों के, राजसिक यज्ञ:राजाओं व तामस यज्ञ :असुरों के लिए। कथा व्यास पर आईआईएमटी के वाइस चांसलर योगेश मोहन गुप्ता, विनीत अग्रवाल शारदा, पश्चिम क्षेत्र के संयोजक आलोक सिसोदिया, मंदिर समिति के अध्यक्ष मनोज कुमार गर्ग, कथा के मुख्य यजमान श्रीमती सीमा एवं संजय अग्रवाल अमित गुप्ता, नरेंद्र राष्ट्रवादी, अनुज वशिष्ठ पार्षद ने आशीर्वाद लिया।ṇ