
हाथों में जो डिग्री है वो नौकरी दिलाएगी या फिर हाथों में हथकड़ी पहनाकर जेल में भेज देगी सलाखों के पीछे
लखनऊ। भले ही गैर कानूनी है और गंदा भी है। इसमे उन बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ जो अपने मेहनत के बूते पर मुकाम हासिल करते हैं लेकिन पहले हापुड़ और अब KLS Instutes of Ingenring & Techonlog College को लेकर जो यूपी STF ने खुलासे किए है वो शिक्षा को जिन्होंने कारोबार बना कर रख दिया है उनके लिए तो है ही साथ ही शिक्षा जगत को भी शर्मसार करने वाले है।

जांच से ही पता चल सकता है कि जो डिग्री हासिल की है उससे नौकरी मिलेगी या हाथों में हथकड़ियां लगेंगी
बूट बाइक घोटाले के आरोपी बिजेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा हापुड़ में संचालित की जा रही मोनाड यूनिवर्सिटी में छापे की कार्रवाई में जो चौकाने वाली जानकारी मिली है वो डराने भी लगी है। मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री और मार्कशीट की सेल लगी थी। विश्वविद्यालय के चेयरमैन चौधरी विजेंद्र सिंह हुड्डा और प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह समेत करीब दर्जन भर को गिरफ्तार किया। ये लोग पूरे देश में फर्जी डिग्री के सेल आउटलेट खोल कर बैठे हुए थे। मोनाड का नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैला हुआ था। इससे खरीदी गई डिग्रियों के बूते बड़े संख्या में लोग सरकारी नौकरी पा गए बताए जाते हैं। इस काली कमाई में और कौन-कौन हिस्सादार था इसका खुलासा होना बाकि है। मोनाड एक लाख से ज्यादा डिग्री जारी कर चुका है।
एसटीएफ के अनुसार, यह गिरोह विभिन्न कोर्सों की फर्जी डिग्रियां बनाकर छात्रों को पचास हजार से से पांच लाख तक में बेचता था। इन डिग्रियों का उपयोग सरकारी और निजी नौकरियों में किया जाता था। गिरोह के सदस्य विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में कार्यरत थे, जो इस फर्जीवाड़े में शामिल थे। इस जगह से मनचाही डिग्री और अन्य दस्तावेज गैरकानूनी तरीके से तैयार किए जाते थे। समय-समय पर दूसरे राज्यों की टीम भी यहां जांच के लिए आती रही हैं। कुछ दिन पहले ही गुजरात की एक टीम भी यहां जांच के लिए आई थी और कई दिन तक रुककर जांच की थी। करीब 58 एकड़ में फैले विश्वविद्यालय प्रांगण में इस सत्र में छह हजार से अधिक छात्र फार्मेसी, इंजीनियरिंग, मानविकी, प्रबंधन, कानून, कृषि, यूजी-पीजी और डाक्टरेक्ट कार्यक्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
यह गिरोह विभिन्न कोर्सों की फर्जी डिग्रियां बनाकर छात्रों को पचास हजार से से पांच लाख तक में बेचता था। इन डिग्रियों का उपयोग सरकारी और निजी नौकरियों में किया जाता था
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