साइबर क्राइम से डरें नहीं-एडीजी MRT,
मेरठ/साइबर क्राइम के खिलाफ केवल और केवल आमजन की अवेयरनेस ही प्रभावी व कारगर हथियार है। मोबाइल की अंजान कॉल रिसीव करने से पहले खुद मैनटली प्रीपेयर करें। डरें या घबराएं तो बिलकुल नहीं। यदि इतना भर कर लें तो साइबर क्राइम नाम के खौफ की कमर खुद व खुद टूट जाएगी। फिर पुलिस भी तो हर वक्त मदद के लिए तत्पर है। साइबर अपराध की घटनाओं में तेजी चिंता का विषय है, लेकिन इससे खुद के महफूज रखा जा सकता है। पुलिस ने काफी अपराधी पकडेÞ भी हैं।
यह बात एडीजी धु्रवकांत ठाकुर ने कही है। शनिवार को एडीजी अपने आॅफिस में जनवाणी से रूबरू थे। उन्होंने तमाम सवालों पर खुलकर अपनी बात रखी। साथ ही साइबर क्राइम पर पुलिस की वर्किंग की जानकारी दी और यह भी बताया कि बिलकुल भी डरें या घबराएं नहीं। एडीजी से की गई बातचीत के अंश नीचे दिए गए हैं:
सवाल:-साइबर अपराध भी बहुत तेजी से फल फूल रहा है। लोग अपराधियों के झांसे में आकर अपनी मेहनत से कमाई पूंजी को गंवा रहे हैं। कैसे रोका जा सकता है इन घटनाओं को।
एडीजी:-केवल और केवल अवेयरनेस से। मोबाइल पर आने वाली अंजान कॉल रिसीव करने से पहले खुद को हमेशा मानसिक रूप से तैयार रखें। यह भी ना भूले की पुलिस अपनी मदद के खड़ी है।
सवाल:-महानगर की यातायात व्यवस्था के लिए क्या कदम उठा रहे हैं, क्योंकि शहर का ट्रैफिक बिल्कुल अराजक स्थिति में है, इसके चलते भी तमाम घटनाएं व दुर्घटनाएं होती हैं?
एडीजी:-यातायात के लिए मेरठ में काफी काम हुआ है। लेकिन शहर के लोग जब तक रूल्स का पालन नहीं करेंगे बात नहीं बनेगी। केवल चालान भर काट देना समस्या का समाधान नहीं। लोगों को खुद से पहल करनी होगी कि टैÑफिक रूल्स का पालन करेंगे।
सवाल:-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की ड्यूटी तो लगती है लेकिन इसके लिए गंभीर नहीं होते। यहां वहां खड़े होकर बाहर की गाड़ियों को रोककर वसूली आदि में लगे थे। इससे भी चौराहों पर ट्रैफिक प्रभावित होता है।
एडीजी:-ऐसा नहीं है। एक आध की वजह से पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया जाए। शहर भर के तमाम चौराहे कंट्रोल रूम में लगी सीसीटीवी कैमरे की कैद में हैं। कंट्रोल रूम में हर वक्त मानिटरिंग होती रहती है। इसके अलावा यदि कोई शिकायत मिलती है तो कठोर कार्रवाई भी की जाती है। तमाम पुलिस अधिकारी भी सजग हैं।
सवाल:-एक समय था, जब मेरठ और आसपास के जिलों में अपहरण उद्योग खूब चलता था। वह सब तो बंद हो गया लेकिन दूसरी तरीके के अपराध शुरू हो गए। हत्या, लूट जैसी घटनाएं लगातार होती जा रही है। इनमें कमी नहीं आ पा रही है।
एडीजी:-वक्त के साथ जोन में क्राइम का पैटर्न बदला है। पहले जघन्य अपराधों के लिए यह इलाका जान जाता था, लेकिन वर्तमान में यहां सोशल क्राइम ज्यादा है। बागपत जनपद में महिला की जघन्य हत्या काफी कुछ सोचने को मजबूर करती है। हत्या की यह वारदात भीतर तक हिला देने वाली है। इस प्रकार की घटनाएं बताती हैं कि मेरठ और आसपास अपराध का ट्रेंड बदल रहा है। छोटी-छोटी बातों पर हत्या जैसी जघन्य वारदातें होना गंभीर है। इसके लिए कानूनी वजह ज्यादा जिम्मेदार हैं।
सवाल:-बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए आपकी क्या कार्य योजना है?
एडीजी:-रेंज के सभी जनपदों की पुलिस संगठित होकर कार्य कर रही है। इसका परिणाम भी सामने हैं। तमाम वारदातों के खुलासे किए गए हैं।
सवाल:-छेड़छाड़ की घटनाओं पर भी अंकुश नहीं लग पा रहा है। इसके चलते रात में महिलाओं का घर से निकलना एक चिंता का सबब बना रहता है। इसे रोकने के लिए क्या कोई कार्य योजना है।
एडीजी:-महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस कई स्तर पर काम कर रही है। जागरूकता के अभियान चलाए जा रहे हैं। महिला अपराधों को लेकर गंभीरता बरते जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं।
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प्रोफाइल
1994 बैच के आईपीएस डीके ठाकुर बतौर एडीजी जनवरी 2024 में मेरठ आए थे। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर अंडरट्रेनी एएसपी गोरखपुर में हुई। उसके बाद एएसपी प्रयागराज रहे। एसपी व एसएसपी के तौर पर वह चित्रकुट, गोंडा, अंबेडकरनगर, कानपुर देहात, हरदोई, सुलतानपुर, बागपत, उन्नाव, बनारस व लखनऊ रहे। इसके अलावा एसपी इंटेलीजेंस हेडक्वार्टर, सीबीआई, एसीबी, जीओआई, बिजिलेंस आदि में रहे। डीके ठाकुर 43 पीएसी के कमांडेंट भी रहे हैं। आईजी बरेली, एडीजी यूपी 112 एटीएस रहे हैं। डीके ठाकुर को एक शानदार पुलिस अफसर के तौर पर मिले मेडल्स की भी लंबी लिस्ट है।