हाईकोर्ट की फटकार व सीएम योगी के आदेश के बाद भी उदासीन टैफिक पुलिस, हाईकोर्ट में सुनवाई आज, अवैध ईरिक्शाओं के लिए अपने ही बनाए रूट का पालन कराने में ट्रैफिक पुलिस पूरी तरह से उदासीन, खुद तय रूट पर नहीं चलवा पा रहे ईरिक्शा
मेरठ। महानगर के यातायात के लिए मुसीबत सबित हो रहे अवैध ईरिक्शाओं के लिए अपने ही बनाए रूट का पालन कराने में ट्रैफिक पुलिस पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं। यह दशा तो तब है जब हाईकोर्ट लगातार चाबुक चला रहा है और सीएम योगी के आदेश पर प्रदेश भर में अभियान चलाया जा रहा है।
करीब 60 हजार ईरिक्शाओं के संचालित होने का अनुमान है, इनमें से बामुकिश्ल 20 हजार ही वैध माने जा रहे हैं। महानगर के यातायात के लिए मुसीबत साबित हो रहे ईरिक्शाओं के लिए टैफिक पुलिस ने रूट तय कर दिए जाने का दावा किया। इसकी कवायद बीते साल दिसंबर माह में शुरू की गई थी और जानकारी दी गयी थी कि करीब सात हजार ईरिक्शाओं के लिए रूट निर्धारित कर दिए गए हैं। इन्हें स्टीकर बांट दिए जाने का दावा टैÑफिक पुलिस ने किया। यह भी कि अब केवल तय रूट पर ही स्टीकरधारक ईरिक्शा चलेंगे। ईरिक्शाओं के लिए रूट का निर्धारण और स्टीकर जारी करने सरीखी कार्रवाई यूं ही नहीं की गर्इं। दरअसल इसके पीछे हाईकोर्ट का चाबुक का खौफ रहा, जिसके चलते आनन-फानन में शहर के बेगमपुल व में ईरिक्शाओं की वजह से यातायात पर टूट रही मुसीबत से शहर को बचाने के नाम पर रूट का निर्धारिण व स्टीकरण बांटे जाने की जानकारी दी गई। ऐसा नहीं केवल जानकारी दी गयी तमाम ऐसे ईरिक्शा शहर में नजर आने लगे जिनके लिए रूट निर्धारण कर स्टीकर बांटे गए थे। लेकिन यह बात अलग है कि मेरठ टैÑफिक पुलिस खुद के निर्धारित किए गए रूटों पर ईरिक्शाओं को चलवाने में कभी भी गंभीर नहीं नजर आए। जानकारों की मानें तो ईरिक्शाओं को अपने ही बनाए रूट पर चलवाने में इस नाकामी की वजह ठेकेदार की मार्फत की जाने वाली हफ्ता वसूली की खासी चर्चा है। कहा तो यहां तक जाता है कि हफ्ता दिया ही इस शर्त पर जाता है कि किसी प्रकार की बंदिश पूरे शहर में नहीं थोपी जाएगी।
हाईकोर्ट सख्त
आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने बताया कि महानगर के टैÑफिक के लिए मुसीबत बने ईरिक्शाओं की समस्या को लेकर हाईकोर्ट में दायर की गई रिट के बाद ही टैफिक पुलिस कुछ हरकत में आयी है। इस मामले को लेकर जल्द ही अगली सुनवाई होगी। कोर्ट को शहर के पूरे हालत की जानकारी दी जाएगी। दावे भले ही कुछ भी किए जाएं लेकिन सुधार के नाम पर टैÑफिक पुलिस दो कदम आगे और चार कदम पीछे रही है। इस मामले में हाईकोर्ट में पिछली सुनवाई 7 अप्रैल को हुई थी और अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होनी है।
आरटीओ व एसपी टैफिक से मांगा पांच साल का ब्योरा
ईरिक्शाओं व टैÑफिक पुलिस से ईरिक्शाओं को लेकर पांच साल का ब्योरा मांगा गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने बताया कि इसमें पांच साल में शहर में ईरिक्शाओं की संख्या कितनी हो गयीं, कितने रिक्शाएं पंजीकृत हैं। अवैध ईरिक्शाएं कितनी हैं और कितनी सीज की गई हैं। इसके लिए आरटीओ व एसपी टैÑफिक से आरटीआई की मार्फत जानकारी तलब की गयी है।
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