एक ही झटके में भू-माफिया पस्त, खुद को बड़ा भू-माफिया समझने वाला एक ही झटके में चारों खाने चित्त हो गया। हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ना तो खुदा मिला ना बिसाले सनम। कहां तो करोड़ों के वारे के न्यारे की तैयारी कर ली गयी थी और कहां जो लागत लगायी थी मसलन मूल भी अब खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। जिनके कंधों पर रखकर यह भूमाफिया अक्सर ऐसे मामलों में बंदूक चलता है, इस बार उन कंधों ने भी भूमाफिया की बंदूक को झटक दिया। सिर्फ स्यापा करने के अलावा भूमाफिया कुछ नहीं कर पा रहा है। यह है पूरा मामला:- मेरठ के एक बड़े भूमाफिया में हस्तिनापुर से सटे बहसूमा में एक मार्केट बनाया। उस मार्केट के बगल में ही सरकारी जमीन का एक टुकड़ा पड़ा था। इस सरकारी जमीन पर भूमाफिया की नजर पड़ी और इस पर इन्वेस्ट कर करोड़ों के बारे के न्यारे की तैयारी कर ली गयी और इस योजना को अमल में लाए जाने का प्लान भी तैयार हो गया। प्लान पर काम भी शुरू कर दिया। दरअसल उस सरकारी जमीन पर मेरठ कैंट निवासी शरद अग्रवाल (राम प्रकाश) दत्तक पुत्र जगन्नाथ का कब्जा था। यह कब्जा कैसे था, यह कहानी अलग है। भूमाफिया और शरद अग्रवाल के बीच सौदा पट गया। किसी अमन अग्रवाल नाम के शख्स के नाम जमीन के टुकड़े की लिखा पढ़ी हो गयी और वहां काम भी शुरू करा दिया गया। लेकिन इस बार भूमाफिया चूक कर गया। दरअसल उसने गलत जगह हाथ डाल दिया। जिस जमीन पर उसने हाथ डाला उस पर भाजपा और उस इलाके के एक कदावर नेता की नजर थी। बस फिर क्या था। यह तो साफ था कि भूमाफिया जिस जगह पर मार्केट बना रहा है वो जमीन सरकारी है, इसकी शिकायत शासन तक जा पहुंची। शिकायत सच्ची थी, इसलिए प्रशासन के स्तर पर इस शिकायत पर बहसूमा नगर पालिका प्रशासन से रिपोर्ट तलब कर ली गयी। रिपोर्ट में बताया गया कि जिस जगन्नाथ के जिस हात्थे में मार्केट बनाया जा रहा है, वह सरकारी जमीन है। बस फिर क्या था। जिला प्रशासन ने तत्काल वहां कार्रवाई कराते हुए सरकारी जमीन पर कथित रूप से कब्जा कर बनाए जा रहे मार्केट पर सील लगवा दी। सील की कार्रवाई के बाद सुनने में आया है कि इस भूमाफिया ने कदावर नेताओं से अपने कनेक्शन को कैश करने का प्रयास किया, लेकिन बताया जाता है कि जो भी मददगार कदावर नेता थे जब वो मामले की तहत गए और पता चला कि दूसरी ओर भी भाजपा के एक बड़े और कदावर नेता ने इस भूमाफिया के नीचे से जमीन खींच ली है तो उन्होंने भी मदद के लिए हाथ बढाने के हाथ खींच लिए। अब सुनने में आया है कि चारों ओर से मदद के हाथ खींच लिए जाने के बाद पाला बदलते हुए बजाए मामले की पैरवी के यह सरेंडर की मुद्रा में आ गया है। सरेंडर भी सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध रूप से मार्केट बनाने के मामले की शासन स्तर से कार्रवाई कराने वाले भाजपा के बडे नेता की शर्त पर हो रहा है। जानकारों का कहना है कि इस बार घाटे का सौदा कर लिया था जिसके चलते इन्वेस्ट तो खतरे में पड़ा ही साथ ही करोडों के वारे के न्यारे का सपना भी टूट गया।