फाइलों में सील-मौके पर गुलजार-बोम्बे मॉल

फाइलों में सील-मौके पर गुलजार
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फाइलों में सील-मौके पर गुलजार-बोम्बे मॉल, हाईकोर्ट के आदेश पर हनुमान चौक रंगसाज मोहल्ला 176 जिस बोम्बे माल को कैंट बोर्ड ने साल 2007-08 में भारी भरकम ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बाद सील कर दिया था, वहीं बोम्बे मॉल कैंट बोर्ड प्रशासन के आला अफसरों की नाक के नीचे पूरी तरह से गुलजार है। बोम्बे मॉल की रौनक पूरे मेरठ को दिखाई देती है, अनजान तो केवल कैंट बोर्ड प्रशासन नजर आता है। या फिर यह मान लिया जाए कि जानबूझ कर अंजान बने हैं। कैंट बोर्ड के 22B कांड़ के जख्म अभी सूखे भी नहीं है कि बोम्बे माल कैंट बोर्ड को जख्म देने पर उतारू है। जानकारों की मानें तो बोम्बे मॉल भी बहुत जल्द ही कैंट बोर्ड को 22B कांड़ सरीखे जख्म देने जा रहा है। यह कैँट बोर्ड प्रशासन के गले की फांस बनेगा। विधि विशेषज्ञों की राय में ऐसा होना तय है और इसके लिए कैँट बोर्ड के एई पीयूष गौतम व जेई अवधेश यादव सरीखे ही जिम्मेदार होंगे, लेकिन सीईओ ज्योति कुमार इसका संज्ञान क्यों नहीं ले रहे। पूर्व में इस पर सील की कार्रवाई इंजीनियरिंग सेक्शन ने की थी। अब ऐसा क्या हो गया जो बोम्बे माल की हाईकोर्ट के आदेश पर लगायी गयी सील तोड़कर वहां बाकायदा मार्केट गुलजार कर दिया गया है। साल 2007 में बोम्बे मॉल में यथास्थिति के आदेश के बावजूद हाईकोर्ट ने अवमानना मानते हुए इसकी ऊपर की दो मंजिल ध्वस्त करा दी थी। इसके साथ ही ग्रांउड फ्लोर सील कर दिए जाने के भी आदेश दिए थे। कैंट बोर्ड की फाइलों में यह आज भी सील है। यह बात अलग है कि सील तोड़कर वहां दुकानें संचालित की जा रही हैं। लेकिन उससे भी बड़ी हैरानी कैंट बोर्ड इंजीनियरिंग सेक्शन की रहस्मय चुप्पी है। सवाल पूछा जा रहा है कि हाईकोर्ट के आदेश पर जब सील लगायी गयी थी तो ऐसा क्या हुआ जो सील तोड़ दी जाती है और इंजीनियरिंग सेक्शन ने आज तक उसकी एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करायी और लीगल सेल ने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट को सूचित क्यों नहीं किया।

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