सरकार यदि उसको लागू नहीं करा सकती लागू कराने में अक्षम है तो बेहतर है कि इसको बंद ही कर दिया जाए। कम से कम हाय तौबा तो खत्म हो जाएगी
मेरठ। गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार देने के लिए जिस RTE कानून को लाया गया सरकार यदि उसको लागू नहीं करा सकती लागू कराने में अक्षम है तो बेहतर है कि इसको बंद ही कर दिया जाए। कम से कम हाय तौबा तो खत्म हो जाएगी। GPA की सीमा त्यागी की ओर से इसको लेकर एक पत्र सीएम योगी को भेजकर कहा गया है कि मुख्यमंत्री जी अगर सरकार और अधिकारी RTE के अंतर्गत चयनित गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों के बच्चो के दाखिले स्कूलों में सुनिश्चित करा उनको शिक्षा का मौलिक अधिकार नहीं दिला सकते तो इस RTE अधिनियम को बंद करा दीजिए अभिभावकों अपने बच्चो के दाखिलों के लिए अधिकारियों और स्कूलों के चक्कर काट काट कर थक गए है लेकिन ना तो सरकार ही सुनने को तैयार है और ना ही अधिकारी । इसी उदासीनता के कारण निजी स्कूलों ने अपनी सारी हदें पार कर आरटीई के गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के यहां स्कूल स्टाफ को भेजकर जांच करा उनकी गरीबी का मखौल उड़ाया जा रहा है, 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट और पेन कार्ड मांगा जा रहा है, और ना जाने कितने आवश्यक कागजात मांगे जा रहे है और उसके बाद भी बच्चो के अभिभावकों को स्कूल के गेट से ही सीटे फुल कहकर वापस लौटाया जा रहा है आप कितनी ही शिकायत अधिकारियों से कर ले अधिकारी कहते है कि हम सख्त कार्यवाई करेंगे लेकिन कार्यवाई के नाम पर स्कूलों को नोटिस और चेतावनी की आंख मिचौली खेली जाती है लेकिन आज तक आरटीई के दाखिला नहीं लेने वाले किसी भी एक स्कूल की मान्यता रद्द नहीं की गई जो दिखाता है कि शिक्षा अधिकारी निजी स्कूलों के सामने बेबस और लाचार है वहीं आप सरकार से कितनी भी शिकायत कर लो मजाल है जो सुन ले । इसलिए मुख्यमंत्री जी इस आरटीई अधिनियम को रद्द कर दीजिए ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी बेवजह ये गरीब अभिभावक अपने बच्चो को शिक्षित करने का सपना आपसे लगाए बैठे है।