नई दिल्ली। सीज फायर के फैसले पर अनेक पूर्व सेनाध्यक्षों ने हैरानी जतायी है। एक प्रिंट मीडिया ग्रुप ने इसको लेकर कवरेज किया है। उन्होंने इसके संबंध में कई पूर्व सेनाध्यक्षों की राय को समाचार के तौर पर साझा किया है। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक की ओर से बताया गया है कि इतिहास पूछेगा इससे क्या हासिल किया है। जनरल मनोज नरवाणे के हवाले से पूछा गया है कि यह तीसरी बार हुआ है, अब शायद मौका ना मिले। सैन्य मामलों से जुड़े विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी के हवाले प्रकाशित किया गया है हमने पहले भी ऐसे फैसले किए है। बढ़त के बाद कदम खींचे हैं।
अमेरिका ने तो 1971 में इससे भी बुरे अंदाज में भारत से युद्ध रोकने को कहा था। सातवें बेडे की धमकी दी थी, लेकिन आयरन लेडी ने कह दिया कि सात नहीं सत्तर बेडे़ भेजो।
इसके इतर भी तमाम लोग जिनकी तादात काफी ज्यादा है उनका मानना है कि जब सीज फायर ही करना था तो भारतीय सेना के चालिस जवानों का बलिदान क्यों। आतंकी हमले तो पहले भी होते रहे हैं। इस बार मौका शानदार मिला था। भारतीय सेना काफी शानदार प्रदर्शन कर रही थी। अमेरिका के प्रेशर में आकर उसकी आज्ञा सरीखा मानकर यह कुछ ठीक नहीं किया गया। अमेरिका ने तो 1971 में इससे भी बुरे अंदाज में भारत से युद्ध रोकने को कहा था। सातवें बेडे की धमकी दी थी, लेकिन आयरन लेडी ने कह दिया कि सात नहीं सत्तर बेडे़ भेजो। एशिया का भूगोल जब तक बदल नहीं दिया तब तक युद्ध नहीं रूका। युद्ध के रूकते ही नए राष्ट्र बंगलादेश का उदय हुआ।
लीड के बाद सीज फायर के फैसले से इत्तेफाक नहीं
झूठ परसते हैं चैनल देखना अब तो बंद करो