गर्दन पर लटकी तलवार हटने का इंतजार, उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव भी निपट गए, सरकार भी बन गई। सरकार के जश्न की खुमारी भी अब उतरने को है, लेकिन शास्त्री नगर जागृति विहार माधवपुरम पर रेजिडेंशियल खासतौर से शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट के कारोबारियों को उनकी जिंदगी भर की कमाई की गर्दन पर लटक रही तलवार के हटने का अब बेसब्री से इंतजार है। सेंट्रल मार्केट शास्त्रीनगर के अध्यक्ष किशोर वाधवा बताते हैं कि अब लोगों के सब्र का पैमाना छलकने लगा है। अब हालात ऐसी हो गयी है कि यदि तत्काल इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया गया तो लोग कहीं के नहीं रहेंगे। वहीं दूसरी ओर जिस ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की बात आवास विकास परिषद के अफसर कर रहे हैं, वो आदेश हाईकोर्ट के हैं। चिंता इस बात की ज्यादा सता रही है कि यदि किसी दिन कोर्ट ने अफसरों को तलब कर लिया तो संबंधित अफसर बगैर किसी से कुछ कहे सुने जेसीबी मशीन लेकर सीधे ध्वस्त करने पहुंच जाएंगे, जैसा की आजकल नोएडा, दिल्ली गाजियाबाद या एनसीआर के दूसरे बड़े इलाकों में देखने में आ रहा है। उनकी बड़ी चिंता इसी बात को लेकर है। इस सारे फसाद की जड़ की यदि बात की जाए तो शास्त्रीनगर इलाके में आवास विकास की आवासीय कालोनियां कामर्शियल कांप्लेक्सों में तब्दील हो चुकी हैं। यह सब एक दिन में नहीं हुआ है। ऐसा नहीं कि इन्हें रोकने का प्रयास नहीं किया गया। रोकने व कार्रवाई के नाम पर तत्कालीन अफसर केवल अपनी जेबें गर्म करते रहे। इस इलाके में भी लोगों ने बजाए स्थायी राहत हासिल करने के केवल फौरी राहत पर ज्यादा ध्यान दिया। जो भी अफसर कार्रवाई के नाम पर आता उसकी जेब गरम कर दी जाती। किसी ने यह नहीं सोचा था कि कोर्ट से ध्वस्तीकरण के आदेश आ जाएंगे। लेकिन ऐसा हुआ। आदेश के साथ जेसीबी मशीनें भी आयीं तो फिर सांसद, विधायक, एमएलसी व भाजपाइयों के यहां दौड़े, आश्वासन मिला की कुछ न कुछ करा देंगे, लेकिन अभी हुआ कुछ नहीं है गर्दन पर आज भी तलवार लटकी है। बड़ा सवाल किशोर वाधवा का कब हटेगी ये तलवार