गवन के आरोपी को हाईकोर्ट से राहत,
मेरठ जिले के मदरसों में चार करोड़ छात्रवृत्ति वितरण के गबन के मामले में तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक विभाग के बाबू के विरुद्ध गलत चार्ज शीट लगाये जाने हाइकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
निचली अदालत की अग्रिम कार्यवाही पर लगाई रोक
मेरठ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के छात्रवृत्ति वितरण को लेकर 13 साल पहले हुए घोटाले में आरोपी वरिष्ठ सहायक संजय त्यागी को बड़ी राहत दी है है ।यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की अदालत ने याची की ओर से दाखिल 482 प्रार्थना पत्र पर याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया. । कोर्ट ने याची के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोजन स्वीकृति पर रोक के बावजूद गलत तरीके से ई .ओ. डब्लू. के द्वारा चार्जशीट दाखिल किए जाने पर निचली अदालत की अग्रिम कार्रवाई पर रोक लगा दी है और सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है । हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि मामला मेरठ जिले का है वर्ष 2010-11 में सरकार द्वारा मदरशो के प्रबंधको के खाते में छात्रवृत्ति के चार करोड रुपए ट्रांसफर किए गए थे इसके वितरण में पाई गई अनियमिताओं के कारण तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी श्रीमती सुमन गौतम और कार्यालय के लिपिक संजय त्यागी समेत कई मदरसा संचालकों के खिलाफ 98 मुकदमे मेरठ जिले में दर्ज किए गए थे ।मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन मेरठ को सौंपी गई। इस चर्चित घोटाले में सह आरोपी वर्तमान बागपत जिले की अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम को झूठा फसाये जाने पर पूर्व में हाइकोर्ट के द्वारा उनके खिलाफ किसी भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा चुकी है।
याची की अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायालय को बताया कि दो बार विभागीय जांच और विजिलेंस जांच में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन की जांच में स्वयं माना गया है कि शासकीय धन के गबन का आरोप प्रमाणित नहीं पाया गया एवं ई.ओ.डब्ल्यू के द्वारा भारत सरकार की किसी भी गाइडलाइन और नियमावली का उल्लेख नहीं किया गया है,जबकि 2014 में शासनादेश आया कि छात्रवृत्ति बच्चो के खातों में ट्रांसफर की जाएगी । इसके बावजूद जिला विकास अधिकारी व कमिश्नर मेरठ ने याची के विरुद्ध आयोजन हेतु सक्षम न्यायालय द्वारा संज्ञान लिए जाने हेतु स्वीकृति प्रदान कर दिया था जिस पर यांची ने हाइकोर्ट में रिट याचिका दाखिल किए जाने पर हाइकोर्ट ने अभियोजन स्वीकृति पर रोक लगा दिया था । इसके बावजूद जानबूझकर प्रशासन को गुमराह कर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन की उपरीक्षक नीतू राणा के द्वारा याची के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल कर दिया।जबकि तत्तकालीन जिलांअल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एस एन पांडेय के द्वारा साजिश के तहत याची के विरुद्ध 98 मुकदमे दर्ज कराए गए ।जिनके विरुद्ध आय से अधिक सम्पति की जांच भी चल रही है । न्यायालय ने अगली सुनवाई की तारीख 2 जुलाई नियत की है।