ग्रीन बैल्ट, रोड बाइंडिंग, सील, नो टेंशन

ग्रीन बैल्ट, रोड बाइंडिंग, सील, नो टेंशन
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ग्रीन बैल्ट, रोड बाइंडिंग, सील, नो टेंशन, ग्रीन बैल्ट, रोड बाइंडिंग, चार बार सील, जोन के अवर अभियंता की ध्वस्तीकरण की रिपोर्ट उसके बाद भी जोन बी-4 कंकरखेड़ा बाईपास चोटीवाला के बगल वाले प्लाट जो कृषि भूमि है, वहां गुलाब सिंह नाम का शख्स एक आलिशान  मगर अवैध होटल बनवा रहा है। गुलाब सिंह के होटल का अवैध होना तो अपवाद है। जोन बी-4 में गुलाब सिंह के अलावा चोटी वाला और इनके जैसे जितने भी होटल हैं, वो सभी रोडवाइंडिंग व ग्रीन बेल्ट के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। मसलन सभी पूरी तरह से अवैध हैं। सबसे बड़ा और गंभीर लकुना खेती की जमीन को बगैर भू-परिवर्तन कराए ये अवैध निर्माण एमडीए के कुछ भ्रष्ट अफसरों तथा सत्ता से जुड़े नेताओं तथा अपराधियों काे साथ लेकर एक संगठित गिरोह की तर्ज पर बनाए जा रहे हैं। अब क्रोनालॉजी समझ लीजिए इस गठजोड़ की। एडीए के अफसरों को शामिल करना समझ में आता है, क्योंकि जब तक उनकी मुट्टी गरम नहीं होगी और उनका शत प्रतिशत सहयोग नहीं मिलेगा तब तक होटल बनना तो दूर की बात कोई अपने घर का टॉयलेट तक नहीं बना सकता। यहां तो गुलाब सिंह का होटल बनवाने का मसला है। सत्ता व दूसरे सफेदपोशों को इसलिए साथ रखा जाता है ताकि कोई सिरफिर जिसको साम-दाम-दंड़-भेद से मैनज नहीं करने की स्थिति में यदि शासन से कोई जांच जैसी बात होती है तो उससे निपट जा सके। यह सत्ताधारी दल के नेता व सफेदपोशों की मदद के बगैर संभव नहीं है। अपराधिक प्रवत्ति के लोगों का साथ इसलिए ताकि वक्त जरूरत पर इस्तेमाल किया जा सके। वो इसलिए जब कोई किसी भी प्रकार न माने तब आखिरी हथियार के तौर पर इस पर प्रकार के तत्वों का यूज किया जा सके कुल मिलाकर लब्बो लुआव यह है कि काम नहीं रूकना चाहिए। जहां अफसर का जरूरत हो, वो अफसर को आगे किया जाए जहां शासन की किसी जांच में नेता या सफेदपोशों की जरूरत हो वहां उनकी मदद ली जाए और जहां मामला लास्ट स्टेज पर आ जाए मसलन यहां बगैर सबक सिखाए काम न चले वहां किसी एलीमेंट टाइप को भेजकर दिमाग ठिकाने लगवा दिया जाए। ऐसा हो रहा है और मेरठ महानगर में जितने भी अवैध निर्माण चल रहे हैं उनमें इसी तर्ज पर संगठित गिरोह के तौर पर सभी को शामिल कर अपना काम निकाला जा रहा है। वर्ना क्या वजह है कि ऊपर जिस होटल का जिक्र किया गया है उसके ग्रीन बैल्ट, रोड बाइंडिंग व चार बार सील की नोटिंग फाइल पर होने के बाद भी जोन के जोनल अधिकारी होटल की अवैध तामिर को रोकने के लिए एमडीए से जेसीबी मशीनें भेजने को तैयार नहीं। ऐसा क्या जिसको लेकर ध्वस्तीकरण की अवर अभिंयता की रिकमंड के बाद भी जोनल अधिकारी ध्वस्तीकरण की फाइल पर साइन करने के बजाए पीछे हट रहे हैं। इस संबंध में जब जोनल अधिकारी से संपर्क का  प्रयास किया तो उन्होंने काल ही रिसीव नहीं किया। जिसकी वजह से इस पूरे मामले में एमडीए ध्वस्तीकरण से क्यों पीछे हट रहा है, इसकी तह तक नहीं जाया जा सका। एमडीए के नवागत उपाध्यक्ष से जब संपर्क का प्रयास किया तो लेकिन संपर्क न हो सका।

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