लखनऊ। मेरठ समेत प्रदेश भर में जाम की वजह बने अवैध ई रिक्शाओं को लेकर हाईकोर्ट, सीएम योगी और डीजीपी नाराजगी का इजहार कर चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद जाम की वजह बने अवैध ई-रिक्शाओं को लेकर गंभीरता बरतने का अफसरों का खासतौर से ट्रैफिक पुलिस का रवैया टरकाने वाला नजर आता है। यह हाल तो तब है जब इसको लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका पर खुद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिट सुनवाइ कर रहे हैं। केवल ट्रैफिक पुलिस ही नहीं बल्कि आरटीओ प्रशासन के अफसर भी जंगल की आग की तरफ तेजी शहर में तेजी से बढ़ रहे ई रिक्शाओं को लेकर गंभीर नजर नही आ रहे हैं।

अवैध ई रिक्शाओं को लेकर जो जवाब ट्रैफिक पुलिस ने जो जवाब हाईकोर्ट में दाखिल किया है उसको इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज कुमार चौधरी ने झूठ का पुलिंदा करार दिया है। उनका कहना है कि जो जवाब दाखिल किए गए हैं, वैसा तो कुछ भी शहर में नहीं हैं। यहां तक कि जिन चौराहों को ई रिक्शा मुक्त किए जाने का दावा हाईकोर्ट में दायर शपथ पत्र में किया गया है वो भी ठीक नहीं। शहर के जिन चौराहों को ई-रिक्शा फ्री जोन बताया जा रहा है वहां बैकगेयर में ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। इस बात की तस्दीक बेगमपुल व्यापार संघ के अध्यक्ष पुनीत शर्मा भी करते हैं। उनका तो यहां तक दावा है कि बेगमपुल के ई-रिक्शा फ्री जोन में उलटे दौड़ने वाले कई ई रिक्शाओं के वीडियाे और फोटो उन्होंने एसपी ट्रैफिक समेत पुलिस प्रशासन के कई अफसरों कां भेजे भी हैं, लेकिन बेगमपुल चौराह के जिस पांच सौ मीटर की परिधि में ई-रिक्शाओं में रोक का दावा किया जा रहा है, उसी परिधि में दिन भर ई-रिक्शाओं का जमघट लगता है। दावों और हकीकत में कोई मेल नहीं, जमीन आसमान का अंतर दिखता है। अफसर चाहें तो खुद इसकी तसदीक मौेके पर आकर कर सकते हैं।
पांच साल में महज 175 चालान और महज 28 किए सीज
सीएम की लगातार फटकार के बाद भी आरटीओ प्रशासन अवैध ई-रिक्शाओं को लेकर कितना गंभीर है इसका अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि पांच साल में केवल 175 ई रिक्शाओं के चालान किए गए और अवैध रूप से चलने वाली केवल 28 ई रिक्शाओं का सीज किया गया। बकौल आरटीओ जनसूचना अधिकारी लगभग 15 हजार ई-रिक्शाएं पंजीकृत हैं। हालांकि यदि शहर में अपंजिकृत ई रिक्शाओं की बात करें तो उनकी संख्या अनुमात: पचास हजार मानी जाती है और यह संख्या लगतार बढ़ती जा रही है। शहर के जाम के लिए मुसीबत बनी अवैध ई-रिक्शाओं की समस्याएं बजाए कम होने के लगातार बढ़ रही है क्योंकि हर दिन शहर में नई ई-रिक्शाएं उतर रहीं हैं। सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन बीस से पचास नई ई रिक्शाएं शहर की सड़कों पर उतर रही हैं।
यह है कार्रवाई की स्थिति
अवैध ई-रिक्शाओं के खिलाफ जो कार्रवाई की गयी है उसको अंदाजा नीचे दिए आंकड़ों से लगाया जा सकता है। इन हालातों के चलते महानगर में रि-रिक्शाओं की वजह से लगाने वाले जाम की मुसीबत से निजात पाना मुमकिन नजर नहीं आ रहा है। साल में जितनी अवैध रिक्शाओं पर कार्रवाई की गई है उससे कई गुना तो सड़कों पर उतर आ रही हैं। इसकी तसदीक नीचे दिए हुए सरकारी आंकड़ाें से भी की जा सकती है। बीते पांच सालों में कई कई कार्रवाई के सापेक्ष 21 मई 2025 को जो जानकारी आरटीओ से भेजी गई है उसके मुताबिक 175 का चालान और 28 सीज किए गए हैं।
साल दर साल
1 जनवरी से 31 दिसबंर 2020 तक 12 का चालान सीज एक भी नहीं, 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2021 तक 8 का चालान सीज एक भी नहीं, 1 जनवरी 31 दिसंबर 2022 तक 43 का चालान 8 को सीज किया, 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2023 तक बीस का चालान 4 को सीज किया, 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2024 तक 27 का चालान 3 को सीज किया व 1 जनवरी से 31 अप्रैल 20 25 तक 65 का चालान 13 को सीज किया। एसपी ट्रैफिक कार्यालय के आंकड़ों की मानें तो साल 2020 में सीज, 2021 में 131 सीज, 2022 में 151 सीज व 2023 अगस्त माह तक 145 अवैध ई रिक्शाएं सीज की गईं।
ट्रैफिक पुलिस की ओर से हाईकोर्ट में दायर कि गए हलफनामे में कहा गया है कि शहर के कुछ प्रमुख चौराहों को ई-रिक्शा फ्री जोन मे तब्दील कर दिया है। पूरे शहर को जाेन में बांट दिया है। ई रिक्शाओं को स्टीकर बांटे गए हैं। एक जोन की ई रिक्शा दूसरे जोन में नहीं जा सकती। सीज किए गए अवैध ई-रिक्शा डेमेज किए गए हैं। उन्हें वापस नहीं दिया गया है। जो कुछ हलफनामे में कहा गया है आरटीआई एक्टिविस्ट का आरोप है कि वाे जमीनी हकीकत से परे हैं। जोन सिस्टम ईरिक्शा चालकों ने भंग कर दिया है। जिन चौराहों को ई रिक्शा मुक्त बताया जा रहा है, वहां बे-रोकटोक ई रिक्शा आ जा रहे हैं। इसके अलावा इन चौराहें आसपास जितने भी इलाके हैं वहां ई रिक्शा चालकों ने गदर मचाया हुआ है। गली कूंचों तक में ई रिक्शाओं का कब्जा नजर आता है।
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