आरोपी को हाईकोर्ट का अरेस्ट स्टे,
मेरठ/इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के छात्रवृत्ति वितरण में 12 साल पहले हुए 34 लाख गबन के मामले में श्रीमती सुमन गौतम ,अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ,सहारनपुर के विरुद्ध छात्रवृति गबन के मामले में दर्ज सभी मुकदमे को समाहित करने के बाद चल रही जांच संख्या 65/15 में गिरफ्तारी पर रोक लगाई है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ व सुभाष चंद्र शर्मा की अदालत ने याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया।
याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने दलील दी कि वर्ष 2009 से वर्ष 2012 में सरकार द्वारा मेरठ के चार मदरसों सिवाल हाईस्कूल, न्यू सिवाल इंटर कालेज, सिवाल मकतब व सिवाल फकोनिया के प्रबंधक मुश्ताक अहमद के खाते में भेजी गई छात्रवृत्ति 34 लाख रुपये भेजे जाने पर वितरण में पाई गई अनियमिताओं के कारण याची के तबादला होने पर प्रबंधक के विरुद्ध मेरठ के तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शेषनाथ पांडेय ने पहली मूल एफ आई आर दर्ज कराया था।
अधिवक्ता ने बताया कि याची मूल एफ आई आर में नामजद नही है। याची ने सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मदरसा संचालको के खातों में छात्रवृत्ति भेजी थी जो संचालक के द्वारा छात्रों को छात्रवृत्ति का वितरण नियमानुसार कर दिया गया था ।
याची अधिवक्ता ने बताया कि वादी शेषनाथ पांडेय ने एफ आई आर दर्ज होने के पश्चात प्रबंधक के द्वारा दिये शपथपत्र व अभिलेखों के अवलोकन करने पर कोई अनिमितता नहीं पाए जाने के आधार पर स्वयं पुलिस को आवश्यक कार्यवाही करने के आदेश पर पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट 2014 में प्रेषित कर दिया था। निचली अदालत मे अंतिम रिपोर्ट पर पिछले 10 साल से वादी को नोटिस जारी किया जा रहा है, लेकिन वादी आज तक निचली अदालत में प्रस्तुत नही हुआ और अंतिम रिपोर्ट विचाराधीन रहते बिना अदालत के अनुमति के आर्थिक अपराध संगठन ने पुन: जांच शुरू कर याची को गिरफ्तार करना चाहती है।
याची अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि मई 2012 में याची का तबादला मेरठ से शामली हो गया था। वर्तमान समय में याची सहारनपुर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात है। याची ने वादी के विरुद्ध एस सी/एस टी आयोग सहित शासन में शिकायत किये जाने पर बदले की भावना से मेरठ में लगभग 3 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति वितरण के गबन के मामले याची व उनके पटल सहायक संजय त्यागी को 99 मुकदमो में झूठा फसा दिया, जबकि वादी के विरुद्ध भ्रस्टाचार ,आय से अधिक संपत्ति व अन्य कई मामले में जांच भी चल रही है। हाइकोर्ट के निर्देश पर सारे मुकदमे समाहित होकर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन के द्वारा जांच संख्या 65/15 चल रही है। पिछले 13 साल से आज तक कोई भी गबन की धनराशि की वसूली नही हुई। याची पहले से ही अन्य 3 केस में जमानत पर है। याची निर्दोष है।आर्थिक अपराध संगठन ने पूर्व में विभागीय जांच में गबन का कोई आरोप नही पाया था। अधिवक्ता के बहस को सुनकर हाइकोर्ट ने शिकायतकर्ता तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शेषनाथ पांडेय जो वर्तमान समय मे संयुक्त निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण के पद पर लखनऊ में तैनात हैं, को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में राज्य सरकार सहित पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध संगठन मेरठ व अन्य को जवाब दाखिल करने का आदेश पारित किया और याची के विरुद्ध चल रही जांच संख्या 65/15 पुलिस रिपोर्ट प्रेषित करने तक गिरफ्तारी पर रोक लगाने का निर्देश दिया है।