हंगामा करने वाले लोगों ने कैंट बोर्ड पूर्व उपाध्यक्ष सुनील वाधवा का नाम लेते हुए कहा कि यदि वो होते तो ये बस नहीं होता। उन्हें तो रात को दो बजे भी उठाकर ले आते थे। लेकिन इन लोगों ने उन्हें बनने नहीं दिया। जो बन गए हैं वो कुछ काम नहीं कर रहे हैं। इस मौके पर तमाम लोग सुनील वाधवा व बीना वाधवा को याद कर उन लोगों को कोस रहे थे जो बन गए हैं और काम नहीं कर रहे हैं। लोगों का कहना था कि वाधवा के रहते वो कभी भी इतने परेशान नहीं हुए।
जामुन मोहल्ले में लोगों के घरों में कीचड़ व कीडे, कोई मर तो नहीं गया पर पर कैंट बोर्ड सदस्य के खिलाफ फूटा लोगों का गुस्सा, कैंट बोर्ड के एई ने पहुंचकर किसी तरह लोगों को शांत कर संभाले हालात


मेरठ/ नरक है! घरों में कीचड़ व कीडे, कैंट बोर्ड के वार्ड तीन में पीडब्लूडी द्वारा किए जा रहे नाली निर्माण में हो रही देरी की वजह से यहं कई घरों व गलियों में कीचड़ फैल गयी है। घरों में नाली की गंदगी की वजह से कीडेÞ रेंगने लगे हैं। पुलिया टूटी होने की वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं, लोग चोटिल हो रहे हैं। इसी को लेकर गुरूवार को कैंट बोर्ड के मनोनीत सदस्य के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने मनोनीत सदस्य डा. सतीश के क्लीनिक पर जाकर हंगामा कर दिया। महिलाओं का आरोप है कि डा. सतीश ने बजाए समस्या का समाधान करने के कह दिया कि कोई मर कोई गया है। इसके लेकर जमकर हंगामा हुआ। उसके बाद लोग पुलिया पर जा पहुंचे जहां निर्माण चल रहा है। हंगामे की जानकारी मिलने पर कैंट बोर्ड के एई पीयूष गौतम, सेनेट्री सेक्शन हेड बीके त्यागी व जेई अवधेश यादव वहां पहुंच गए। एई ने किसी प्रकार हंगाम कर रहे लोगों को शांत किया और कहा कि परेशानी नहीं होने दी जाएगी। जो ठेकेदार यह काम करा रहा है उसको भी वहीं तलब कर लिया। हालांकि उसका कहना था कि इस काम में अभी छह माह लग जाएंगे। इस पर लोग भड़क उठे। उनका कहना था कि मई जून की गर्मी में इस गंदगी में कैसे रहा जाएगा। एई पीयूष गौतम ने लोगों की बात सही मानी और कहा कि उनके रहते परेशान नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था बनाए जाने की बात कही और उसी वक्त कार्य के लिए नपाई तुलाई भी शुरू कर दी। सेनेट्री सेक्शन हेड बीके त्यागी ने लोगों से कहा कि वह सफाई करा देते हैं। कैंट बोर्ड का पूरा अमला वहां जब पहुंच गया, तब कहीं जाकर लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि वहां डा. सतीश शर्मा भी पहुंच गए। उन्हें बताया कि किसी तरह से राहत दी जा सकती है।