IIMT-रिसर्च सेंटर का उद्घाटन,
– आईआईएमटी रिसर्च सेंटर फॉर आयुर्वेदा वैदिक साईंस एंड इंडियन हेरिटेज में की जायेंगी जनउपयोगी खोजें
मेरठ। श्रेष्ठ आयुर्वेदिक उपचार के लिये विशेष पहचान बना चुका आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने एक नया आयाम स्थापित किया है। हॉस्पिटल परिसर में आईआईएमटी रिसर्च सेंटर फॉर आयुर्वेदा वैदिक साईंस एंड इंडियन हेरिटेज का शुभारंभ किया गया है। इस सेंटर में आयुर्वेद को लेकर रिसर्च की जायेगी जिसका लाभ असाध्य बीमारियों से पीड़ित लोगों को मिलेगा।
गुरुवार सुबह सर्वप्रथम आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हवन कर भगवान धन्वंतरि को नमन किया गया। इसके पश्चात हॉस्पिटल परिसर में आईआईएमटी रिसर्च सेंटर फॉर आयुर्वेदा वैदिक साईंस एंड इंडियन हेरिटेज का शुभारंभ किया गया। मुख्य अतिथि डॉ0 सत्यप्रभा गुप्ता ने चिकित्सकों से आयुर्वेद चिकित्सा में नयी रिसर्च कर असाध्य रोगों के उपचार हेतु दवाएं बनाने व उपचार की विधि विकसित करने का आह्वान किया।
इसके बाद सेमिनार हॉल में आयोजित कार्यक्रम में आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहनजी गुप्ता ने विशिष्ट अतिथि डॉ0 आलोक शर्मा (रि0 डायरेक्टर आयुष नगर निगम दिल्ली) व डॉ0 जी प्रभाकर राव (डिप्टी एम0एस0 आयुष) का शुभ मंगल कलश देकर स्वागत किया। मां सरस्वती को नमन करने के पश्चात कार्यक्रम संयोजिका डॉ0 मीना टांडले ने अतिथियों का परिचय दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहनजी गुप्ता ने कहा कि इस रिसर्च सेंटर का उद्देश्य आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और धरोहर के संरक्षण और प्रचार को बढ़ावा देना है। यह केंद्र न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में नवीनतम शोध करेगा, बल्कि भारतीय संस्कृति की समृद्धता को भी उजागर करेगा।
डॉ0 आलोक शर्मा ने आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में शुरू किये गये रिसर्च सेंटर की प्रशंसा करते हुए कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है। यह रिसर्च सेंटर निश्चित ही नयी खोज कर नये आयामों को स्थापित करेगा। उन्होंने छात्रों से स्वस्थ रहने के लिये प्राचीन उपचार विधि आयुर्वेद को अपनी दिनचर्या में शामिल करने को कहा।
डॉ0 जी प्रभाकर राव ने अपने संबोधन में छात्रों को आयुर्वेद के महत्व और वर्तमान में आवश्यकता के विषय में जानकारी दी। डॉ0 राव ने कहा कि आयुर्वेद सिर्फ चिकित्सा नहीं बल्कि जीवन प्रणाली भी है। प्राचीन काल से ऐसे मसाले जिन्हें हम अपनी रसोई में खाना बनाने में इस्तेमाल करते हैं या हल्दी जिसे हम भारतीय परंपराओं जैसे विवाह या शुभ कार्य में इस्तेमाल करते हैं वह वास्तव में आयुर्वेदिक औषधि है।
आईआईएमटी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ0 दीपा शर्मा ने कहा, “हमें गर्व है कि हम इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो समाज के लिए अत्यंत लाभकारी होंगे।
कार्यक्रम को डॉ0 विनोद कुमार लावंरिया (रिसर्च ऑफिसर आयुर्वेदा, सीसीआरएएस मुख्यालय नई दिल्ली) डॉ0 पूजा सबरवाल (इंचार्ज एकेडमिक्स एंड ओएसडी सीबीपीएसीएस, गर्वमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली), डॉ0 आनंद मोरे, डॉ0 पीयूष जुनेजा, डॉ0 आर0पी0 पराशर, डॉ0 अनु गुप्ता, एस0एम0 राजू, डॉ0 उमेश तेगड़े ने ऑनलाइन संबोधित किया।
कार्यक्रम संयोजिका डॉ0 मीना टांडले ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर निदेशक प्रशासन डॉ0 संदीप कुमार, आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्राचार्य डॉ0 सुजीत कुमार दलाई, आयुर्वेद चिकित्सक, डीन एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज डॉ0 लखविंदर सिंह, मीडिया प्रभारी सुनील शर्मा, शिक्षक व छात्र मौजूद रहे।