इज नागेन्द्र नाथ बैक टू बोर्ड, क्या नागेन्द्र नाथ की कैंट बोर्ड में वापसी हो रही है। या उनकी वापसी हो चुकी है। शनिवार को ये तमाम सवाल कैंट बोर्ड के स्टाफ के वाट्सअप ग्रुप में धूम मचाए हुए थे। हालांकि यह भी सही है कि सर्विस के लॉस्ट पीरियेड में नागेन्द्र नाथ मेरठ से जाना नहीं चाहते थे। लेकिन उनको प्रमोशन दिया गया। सीबीआई ने जो मामला उनके खिलाफ चलाया उससे वह बाइज्जत बरी ही नहीं हुए मिनिस्ट्री ने उन्हें प्रमोशन भी दिया। लेकिन करीबियों की मानें तो इससे खुश नहीं थे, लेकिन कुछ भाजपाइयों व भंग बोर्ड के मैंबरों से तनातनी के चलते उनके खिलाफ कैंट बोर्ड के सेनेट्री सेक्शन के इंस्पेटर योगेश यादव ने गंभीर आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया। योगेश यादव के बचाव में कैंट बोर्ड में मनोनीत सदस्य समेत तमाम तमाम भाजपाई भी आ गए। मामला काफी आगे बढ़ गया। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह मामला मिनिस्ट्री तक जा पहुंचा। हालांकि यहां से जाने से पहले और डीईओ हरेन्द्र को चार्ज देने से पहले योगेश यादव को नाप दिया गया।
आय से अधिक संपत्ति के आरोप
योगेश यादव पर जिन आरोपों के तहत कार्रवाई की गयी है उसका पूरा लबोलुआव आय से अधिक संपत्ति का बनता है। लेकिन जानकार इसमें भी एक लकुना मानकर चल रहे हैं। दरअसल योगेश के खिलाफ जो कार्रवाई के आदेश किए गए हैं, वो उसके द्वारा नागेन्द्र नाथ के ऊपर लगाए गए आरोपों के बाद दिए गए हैं। आरोप पत्र सब एरिया मुख्यालय में थमकर योगेश छुटटी लेकर आपरेशन कराने को चले गए।
नागेन्द्र रिटर्न के साइड इफैक्ट
यदि मान लिया जाए कि नागेन्द्र नाथ रिटर्न इन कैंट बोर्ड तो इसके साइड इफैक्ट क्या होंगे यह बड़ा सवाल है। उनकी वापसी का योगेश व उसके खेमे पर क्या असर पडेगा। उनका बाकि का कार्यकाल कैंट बोर्ड में कैसा रहेगा। जानकारों का कहना है कि अभी उनकी वापसी के आदेश की पुष्टि नहीं है, लेकिन यह भी सौ फीसदी सही है कि वह वापसी के लिए जोड़तोड़ में लगे हैं क्योंकि सीईओ जालंघर कैंट मेरठ कैंट में आने को इच्छुक नहीं। इससे मिनिस्ट्री को भी अवगत करा दिया गया है।