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पांच संदिग्धों को ले जाने की चर्चा
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का मेरठ के अलावा हापुड़, बुलंदशहर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर समेत कई जनपदों के स्लीपिंग मॉड्यूल और एजेंटों से पुराना कनेक्शन रहा है। आईएसआई के ऐसे मददगारों की धरपकड़ के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने मेरठ के देहात के इलाकों में छापामारी की। एनआईए और एटीएस ने खासतौर से मवाना, किठौर और परीक्षितगढ़ में कई जगहों पर दबिश दी। चर्चा है कि चार-पांच संदिग्ध लोगों को सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी पूछताछ के लिए उठाकर ले गए। हालांकि मेरठ के एक पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि यहां से कोई हिरासत में नहीं लिया गया।
मन्नान से लेकर संदीप तक ‘टेरर कनेक्शन’
दरअसल, वेस्ट यूपी के पहले जिले सहारनपुर से लेकर इल्म की नगरी कहे जाने वाले अलीगढ़ तक आतंकियों की जड़े गहरी हो रही हैं। दहशदगर्दी की इस साजिश का गढ़ मेरठ बन रहा है, जहां से पिछले दिनों कई आतंकी पकड़े जा चुके हैं। वहीं इंडियन मुजाहिदीन का संस्थापक सुभान अब यहां अपनी पनाहगाह बना चुका हैं। आईएसआई के इशारे पर एजाज सैन्य हथियारों और उपकरणो, ऐंटी टैंक गाइड मिसाइल समेत सैन्य क्षेत्रो की जानकारी हासिल कर चुका हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र रहे मन्नान वानी का लिंक किसी से छिपा नहीं हैं। इसके अलावा बीती 10 जुलाई को मुजफ्फरनगर से लश्कर आतंकी संदीप शर्मा उर्फ आदिल की गिरफ्तारी भी हो चुकी हैं। वहीं, सहारनपुर में दो माह पहले नौ संदिग्ध पकड़े जा चुके हैं।
किसकी शह पर फैली आईएसआई की जड़ें?
बड़ी बात यह कि सुरक्षा एजेंसियों ने बीते कुछ समय में पश्चिम यूपी से जिन आईएसआई एजेंट्स को गिरफ्तार किया है, उनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। आईएसआई एजेंट जाकिर अली उर्फ जाकिर उर्फ जाकिर अहमद खां, सुरैया , शाहिद, मुनक्का उर्फ शमीम, सज्जो,सलीम कुरैशी, शाह हसन अंसारी ,अब्दुल हक, अफसर अली , खलील हुसैन, अमीर अहमद उर्फ भूरा अहमद, मोहम्मद नासिर, मुकीम. आसिफ अली , सुनीत कुमार, सलीम उर्फ पतला कुछ ऐसे नाम हैं, जिन्हें बीते कुछ समय में गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियां अब उन लोगों की तलाश कर रही हैं, जिनकी शह पर वेस्ट यूपी में आतंकी जड़ें पनप रही हैं। साथ ही मेरठ रेंज के आईजी रामकुमार ने भी बुलंदशहर में आईएसआई एजेंट की गिरफ्तारी के बाद पश्चिम यूपी में संदिग्ध लोगों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं।स्लीपिंग मॉड्यूल की क्या भूमिका
स्लीपिंग मॉड्यूल पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करते हैं। आईएसआई के ट्रेंड एजेंटों, जासूसों से लेकर आतंकियों को एक तरह से सुरक्षा कवच और सुविधाएं उपलब्ध कराने के अलावा जरूरी सूचनाएं उपलब्ध कराना इन स्लीपिंग मॉड्यूल का काम होता है। इन स्लीपिंग मॉड्यूल के संपर्क काफी गहरे होते हैं। आईएसआई एजेंटों को स्थानीय स्तर पर सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए स्लीपिंग मॉड्यूल साथ रहते हैं। खासतौर से सैन्य इलाकों में इनकी पूरी मदद ली जाती है। कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें आईएसआई के जासूस महत्वपूर्ण सूचनाएं पाने के लिए सैन्य क्षेत्र में जा घुसे थे। हाल ही में मेरठ में तैनात रहा सेना का सिग्नल मैन कंचन सिंह भी आईएसआई को सूचनाएं साझा करने में पकड़ा गया था।

कई संदिग्ध रडार पर 
सूत्रों की मानें तो एनआईए और एटीएस के रडार पर मेरठ के कई संदिग्ध हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसे स्लीपिंग मॉड्यूल की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है, जिनमें नाम पूर्व में एजेंटों से पूछताछ में सामने आ चुके हैं। उनकी गतिविधियों और संपर्कों को देखा जा रहा है।वेस्ट यूपी में आतंकी कनेक्शन
अब तक ये पकड़े गए

26 अक्तूबर 2018 : बुलंदशहर में जाहिद निवासी खुर्जा को गिरफ्तार किया गया
19 अक्तूबर 2018 : मेरठ कैंट से सेना का सिग्नल मैन कंचन सिंह पकड़ा गया
27 नवंबर 2015 : एसटीएफ ने मेरठ कैंट से आईएसआई एजेंट इजाज दबोचा
16 अगस्त 2014 : मेरठ से संदिग्ध आईएसआई एजेंट आसिफ अली गिरफ्तार
10 जनवरी 2009 : सहारनपुर से आईएसआई एजेंट आमिर अहमद उर्फ भूरा गिरफ्तार
12 दिसंबर 2008 : सीआरपीएफ कैंप में आतंकी हमले से जुड़े लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी फहीम अंसारी गिरफ्तार।
21 जून 2007 : बिजनौर में भारी मात्रा में आरडीएक्स के साथ हूजी के दो आतंकी गिरफ्तार
23 अगस्त 2005 : लश्कर-ए-तैयबा के चीफ कोऑर्डिनेटर अबू रज्जाक मसूद का मुजफ्फरनगर कनेक्शन मिला।
10 मार्च 2005: मेरठ से खलील हुसैन शाह नाम का आईएसआई एजेंट गिरफ्तार।
18 अप्रैल 2004: मेरठ से रूबी बेगम नाम की आईएसआई एजेंट गिरफ्तार।
14 मार्च, 2003: मुजफ्फरनगर से जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकी सज्जाद और इत्तफाकुल गिरफ्तार।
15 जुलाई 2002: मुजफ्फरनगर से एक आईएसआई एजेंट गिरफ्तार।
09 जुलाई 2002: मुरादाबाद से हिज्बुल मुजाहिदीन से ताल्लुक रखने वाले पांच आतंकी गिरफ्तार।
21 जून 2002 : पाक को भारतीय सेना के गोपनीय दस्तावेज मुहैया कराने वाले एक एजेंट को पकड़ा गया।
22 मार्च 2002:  हापुड़ से लश्कर-ए-तैयबा के चार आतंकी पकड़े गए
08 जनवरी, 2002:  गाजियाबाद में एक आईएसआई एजेंट को मुठभेड़ में मार गिराया गया।
1 मई 2001 : सहारनपुर से आईएसआई का एजेंट पकड़ा गया।
30 अप्रैल 2001 : पाकिस्तान से ट्रेंड आतंकी हापुड़ के एक मदरसे से पकड़ा गया।

27 दिसंबर 2018

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की घुसपैठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी अंदर तक हो चुकी है। करीब 17 साल में पश्चिम के अलग-अलग जिलों से आईएसआई के एजेंट और आतंकियों के साथियों समेत डेढ़ दर्जन से ज्यादा संदिग्ध पकड़े जा चुके हैं। कई एजेंटों से पूछताछ में साफ हो चुका है कि मेरठ समेत कई जिलों में आईएसआई के लिए काम करने वाले स्लीपिंग मॉड्यूल की जड़ें काफी गहरी हो चुकी हैं। बुधवार को एनआईए और एटीएस ने आतंकी नेटवर्क को तोड़ने के लिए 16 जिलों में एक साथ ही छापेमारी सटीक इनपुट मिलने के बाद की। आतंकियों के नापाक मंसूबों को नाकामयाब करने में सुरक्षा एजेंसियों को सफलता भी हाथ लगी है। जांच एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार आईएसआई भारत में नए साल और 26 जनवरी के आसपास आतंकी वारदात को अंजाम दिलाने की फिराक में लगी है। इनपुट के अनुसार आईएसआई का निशाना दिल्ली, एनसीआर और वेस्ट यूपी का कोई जनपद हो सकता है। इसके अलावा इसकी भी चर्चा है कि देश को अस्थिर करने के लिए आईएसआई के निशाने पर प्रमुख नेता और संस्थान हैं। इस इनपुट पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) के साथ ही देश की तमाम खुफिया और जांच एजेंसियां सतर्क हो गईं।

पांच संदिग्धों को ले जाने की चर्चा
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का मेरठ के अलावा हापुड़, बुलंदशहर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर समेत कई जनपदों के स्लीपिंग मॉड्यूल और एजेंटों से पुराना कनेक्शन रहा है। आईएसआई के ऐसे मददगारों की धरपकड़ के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने मेरठ के देहात के इलाकों में छापामारी की। एनआईए और एटीएस ने खासतौर से मवाना, किठौर और परीक्षितगढ़ में कई जगहों पर दबिश दी। चर्चा है कि चार-पांच संदिग्ध लोगों को सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी पूछताछ के लिए उठाकर ले गए। हालांकि मेरठ के एक पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि यहां से कोई हिरासत में नहीं लिया गया।स्लीपिंग मॉड्यूल की क्या भूमिका
स्लीपिंग मॉड्यूल पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करते हैं। आईएसआई के ट्रेंड एजेंटों, जासूसों से लेकर आतंकियों को एक तरह से सुरक्षा कवच और सुविधाएं उपलब्ध कराने के अलावा जरूरी सूचनाएं उपलब्ध कराना इन स्लीपिंग मॉड्यूल का काम होता है। इन स्लीपिंग मॉड्यूल के संपर्क काफी गहरे होते हैं। आईएसआई एजेंटों को स्थानीय स्तर पर सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए स्लीपिंग मॉड्यूल साथ रहते हैं। खासतौर से सैन्य इलाकों में इनकी पूरी मदद ली जाती है। कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें आईएसआई के जासूस महत्वपूर्ण सूचनाएं पाने के लिए सैन्य क्षेत्र में जा घुसे थे। हाल ही में मेरठ में तैनात रहा सेना का सिग्नल मैन कंचन सिंह भी आईएसआई को सूचनाएं साझा करने में पकड़ा गया था।

कई संदिग्ध रडार पर 
सूत्रों की मानें तो एनआईए और एटीएस के रडार पर मेरठ के कई संदिग्ध हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसे स्लीपिंग मॉड्यूल की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है, जिनमें नाम पूर्व में एजेंटों से पूछताछ में सामने आ चुके हैं। उनकी गतिविधियों और संपर्कों को देखा जा रहा है।वेस्ट यूपी में आतंकी कनेक्शन
अब तक ये पकड़े गए

26 अक्तूबर 2018 : बुलंदशहर में जाहिद निवासी खुर्जा को गिरफ्तार किया गया
19 अक्तूबर 2018 : मेरठ कैंट से सेना का सिग्नल मैन कंचन सिंह पकड़ा गया
27 नवंबर 2015 : एसटीएफ ने मेरठ कैंट से आईएसआई एजेंट इजाज दबोचा
16 अगस्त 2014 : मेरठ से संदिग्ध आईएसआई एजेंट आसिफ अली गिरफ्तार
10 जनवरी 2009 : सहारनपुर से आईएसआई एजेंट आमिर अहमद उर्फ भूरा गिरफ्तार
12 दिसंबर 2008 : सीआरपीएफ कैंप में आतंकी हमले से जुड़े लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी फहीम अंसारी गिरफ्तार।
21 जून 2007 : बिजनौर में भारी मात्रा में आरडीएक्स के साथ हूजी के दो आतंकी गिरफ्तार
23 अगस्त 2005 : लश्कर-ए-तैयबा के चीफ कोऑर्डिनेटर अबू रज्जाक मसूद का मुजफ्फरनगर कनेक्शन मिला।
10 मार्च 2005: मेरठ से खलील हुसैन शाह नाम का आईएसआई एजेंट गिरफ्तार।
18 अप्रैल 2004: मेरठ से रूबी बेगम नाम की आईएसआई एजेंट गिरफ्तार।
14 मार्च, 2003: मुजफ्फरनगर से जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकी सज्जाद और इत्तफाकुल गिरफ्तार।
15 जुलाई 2002: मुजफ्फरनगर से एक आईएसआई एजेंट गिरफ्तार।
09 जुलाई 2002: मुरादाबाद से हिज्बुल मुजाहिदीन से ताल्लुक रखने वाले पांच आतंकी गिरफ्तार।
21 जून 2002 : पाक को भारतीय सेना के गोपनीय दस्तावेज मुहैया कराने वाले एक एजेंट को पकड़ा गया।
22 मार्च 2002:  हापुड़ से लश्कर-ए-तैयबा के चार आतंकी पकड़े गए
08 जनवरी, 2002:  गाजियाबाद में एक आईएसआई एजेंट को मुठभेड़ में मार गिराया गया।
1 मई 2001 : सहारनपुर से आईएसआई का एजेंट पकड़ा गया।
30 अप्रैल 2001 : पाकिस्तान से ट्रेंड आतंकी हापुड़ के एक मदरसे से पकड़ा गया।
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4 जनवरी 2019:-पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई असलहा तस्करों के सहारे वेस्ट यूपी में नापाक मंसूबों को अंजाम देने की फिराक में है। ऐसे सप्लायरों के सहारे ही जाल को मजबूत किया जा रहा है। इनमें से कुछ सप्लायर आईएसआई के लिए स्पीलिंग मॉड्यूल की तरह काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) के इनपुट मिलने पर पुलिस भी एक्टिव हो गई है। पुलिस की हिरासत में नईम ने पूछताछ में भी इसको लेकर कई सनसनीखेज राज खोले हैं। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि 30 साल पहले भी आईएसआई ने हथियार सप्लायरों के जरिये ही वेस्ट में जड़ें फैलाई थीं। अब भी उसी तरह नेटवर्क फैलाया जा रहा है।
फिर वही आईएसआई का दशकों पुराना तरीका
साल 1990 में आईएसआई ने अवैध हथियार, नकली करेंसी को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर समेत कई जिलों में अपनी जडे़ं फैलाई थीं। इकबाल काना और दिलशाद मिर्जा निवासी कैराना साल 1992 में हथियारों की खेप के साथ पकड़े गए थे। जिनके पाकिस्तान की आईएसआई से संपर्क थे। शिकंजा कसते ही दोनों साल 1995 में भारत छोड़कर पाकिस्तान भाग गए थे। इसके अलावा भी कई हथियार सप्लायरों के जरिये आईएसआई ने जडे़ं फैलाईं। ठीक इसी तरह से आईएसआई अब फिर से वेस्ट में हथियार सप्लायरों को मोहरा बना रहे हैं।

ISI ने वेस्ट यूपी में फैलाया बड़ा नेटवर्क, सामने आया चौंकाने वाला खुलासा, यहां बिकते हैं हथियार

Meerut, Pakistani Intelligence Agency ISI has spread networks in the West UP by smugglers

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई असलहा तस्करों के सहारे वेस्ट यूपी में नापाक मंसूबों को अंजाम देने की फिराक में है। ऐसे सप्लायरों के सहारे ही जाल को मजबूत किया जा रहा है। इनमें से कुछ सप्लायर आईएसआई के लिए स्पीलिंग मॉड्यूल की तरह काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) के इनपुट मिलने पर पुलिस भी एक्टिव हो गई है। पुलिस की हिरासत में नईम ने पूछताछ में भी इसको लेकर कई सनसनीखेज राज खोले हैं। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि 30 साल पहले भी आईएसआई ने हथियार सप्लायरों के जरिये ही वेस्ट में जड़ें फैलाई थीं। अब भी उसी तरह नेटवर्क फैलाया जा रहा है।

वही आईएसआई का दशकों पुराना तरीका

साल 1990 में आईएसआई ने अवैध हथियार, नकली करेंसी को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर समेत कई जिलों में अपनी जडे़ं फैलाई थीं। इकबाल काना और दिलशाद मिर्जा निवासी कैराना साल 1992 में हथियारों की खेप के साथ पकड़े गए थे। जिनके पाकिस्तान की आईएसआई से संपर्क थे। शिकंजा कसते ही दोनों साल 1995 में भारत छोड़कर पाकिस्तान भाग गए थे। इसके अलावा भी कई हथियार सप्लायरों के जरिये आईएसआई ने जडे़ं फैलाईं। ठीक इसी तरह से आईएसआई अब फिर से वेस्ट में हथियार सप्लायरों को मोहरा बना रहे हैं।

आईएस और आईएसआई से संपर्क बताया
26 दिसबंर 2018 को एनआईए ने हापुड़, मेरठ और अमरोहा समेत 17 जनपदों में आईएस व आईएसआई एजेंटों से जुड़े संदिग्धों की तलाश में छापेमारी की थी। जिसमें हापुड़ व मेरठ में एनआईए ने हथियार सप्लायर तलाशे। जिनके संपर्क आईएस और आईएसआई से जुड़े होने बताए थे। इससे पहले भी एनआईए लुधियाना में आरएसएस नेता रविंदर गोसाई की हत्या के मामले में वेस्ट यूपी के सप्लायरों से हथियार खरीदने की बात कही थी। इसको लेकर मेरठ समेत कई जनपदों में छापेमारी की थी। आरएसएस नेता की हत्या में आईएसआई का भी कनेक्शन निकला था। इससे पहले भी सुरक्षा एजेंसियां इनपुट दे चुकी है।आईएसआई भी जानती है राधना में बिकते हथियार
नईम से पूछताछ से स्पष्ट हुआ कि आईएसआई भी जानती है कि राधना में अवैध हथियार बिकते हैं। इसको लेकर आईएसआई एजेंट ने पहले नईम के रिश्तेदार साकिब से संपर्क किया और फिर राधना गांव में पहुंच गई। आईएसआई को क्या-क्या जानकारी है और वह किस-किस के संपर्क में है। इसकी जानकारी जुटाने के लिए एनआईए और सुरक्षा एजेंसियां साकिब व नईम का आमना सामना भी करा सकती हैं। एनआईए की पूछताछ में कई और राज खुल सकते हैं। वहीं, अवैध हथियार बनाने के नाम से गांव पहले से बदनाम है। कई नेताओं के संरक्षण में हथियार बनाने और सप्लाई करने वाले पुलिस की कार्रवाई से बच जाते थे।
सप्लायर बच जाते हैं हर बार
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार जोन में एक साल में दस हजार से ज्यादा हथियार बरामद किए गए। तमंचे और पिस्टल फैक्ट्री पकड़ी गईं। असलाह कारीगरों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज देती है। लेकिन सरगना या फिर सप्लायर पुलिस से साठगांठ कर बच जाते हैं। इसलिए पुलिस हथियार सप्लायरों का नेटवर्क तोड़ने में कामयाब नहीं हुई। इसको लेकर कई बार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल भी उठे हैं। हथियार सप्लायरों का नेटवर्क पुलिस के लिए भी चुनौती बन गया है। आईएसआई से कनेक्शन के बाद तो यह और भी खतरनाक हो गया है।लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त
अवैध हथियार सप्लाई होना खतरनाक है। असलाह कारीगर और सप्लायरों की गिरफ्तारी के जोन पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं। सप्लायरों की जडे़ं कहां तक फैली हैं, पुलिस तलाश करे। लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। – एडीजी मेरठ जोन
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21 अगस्त 2923 को शामली से कली को एसटीएफ की मेरठ यूनिट ने दबोचा था। कमीम अपनी मां आमना व पिता नफीस के साथ पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर लौटा था। छानबीन और पूछताछ में पता चला है कि कलीम अपने भाई के साथ मिलकर भारतीय सेना से जुड़ी खुफिया जानकारी लाहौर के किसी आईपी एड्रेस पर भेज रहा था. उसके भाई के साथ मिल कर भारतीय सेना से जुड़ी जानकारियां पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को मुहैय्या करता था।


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