बहुत कठिन है डगर-नेता व अफसर हैं बेखबर

बहुत कठिन है डगर-नेता व अफसर हैं बेखबर
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बहुत कठिन है डगर-नेता व अफसर हैं बेखबर, मेरठ /  एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए डगर बेहद कठिन हैं और नगर निगम व पीडब्लूडी के अफसरों व जिनको अपनी नुमाइंदगी दी है, यदि उनकी बात करें तो वो पूरी तरह से बेखबर हैं। जब भी मिलते सड़कों को लेकर बातें और दावे तो बहुत करते हैं, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाती। अंतोगत्वा ठीकरा अफसरों पर फोड़ दिया जाता है। महानगर की सड़कों की यदि की जाए तो कई इलाकों में सड़क के नाम पर केवल अवशेष रह गए हैं। सबसे बुरा हाल शहर की मलीन, दलित व मुस्लिम बस्तियों का है। पिछले दिनों इन बस्तियों की सड़कों की सुध लिए जाने की गुहार को लेकर पूर्व पार्षद अब्दुल गफ्फार के नेतृत्व में तमाम दलों के पार्षद नगरायुक्त से मिले भी थे। उम्मीद थी कि सड़कों की सेहत सुधारी जाएगी, लेकिन उम्मीद टूट गयी। बारिश के साथ ही सड़कों दशा पहले से ज्यादा खराब हो गई। इतनी खराब कि शहर के कई रास्तों से गुजरने में डर लगने लगा है। दिन में कई बार क्षतिग्रस्त रास्तों पर दो पहिया वाहन सवार चोटिल होते हैं। शहर के भूमिया पुल चौराहे से लिसाड़ी रोड होते हुए आगे जाने की यदि कभी नौबत आ जाए तो मुंह से अनायास निकलेगा कि आखिर इस ओर आए तो आए क्यों। श्याम नगर से चार खंबा रोड, हुमांयू नगर मेन रोड, खैरनगर, वैली बाजार, कबाड़ी बाजार, शहर के भीतर ज्यादातर सड़कों के बारिश के बाद अवशेष रह गए हैं।
सीईओ साहब बदहाल हैं कैंट की सड़कें
शहर की नहीं कैंट की सड़कें भी पुरसा हाल नहीं। कैंट इलाके में कुछ सड़कें एमईएस तो कुछ कैंट बोर्ड के जिम्मे हैं। लोगों का कहना है कि सड़कें भले ही कोई भी बनाएं लेकिन बना दी जानी चाहिए। कैंट के टैंक चौराहे पर जहां से रुड़की रोड से आते हुए माल रोड की ओर मुड़ना होता है सड़क पर करीब तीन फुट गहरा और आठ फुट चौड़ा गडढ़ा हो गया है। यहां ड्यूटी करने वाले टैÑफिक के सिपाही बताते हैं कि दिन में करीब दर्जन भर बाइक सवार गिरते हैं। टैÑफिक संभालने के साथ-साथ लोगों को भी संभालना पड़ता है। माल रोड की दुर्दशा किसे से छिपी नहीं है। इसके लिए जिम्मेदार कैंट अफसरों को लगता है अभी फुर्सत नहीं है। माल रोड स्थित रक्षा संपदा आफिस से जीरो माइल चौराहे की ओर जाने वाले रास्ते पर हालत इतनी ज्यादा खराब है कि अब तो वहां गुजरते हुए भी वाहन चालक डरने लगते हैं। सड़क के गड्ढों की गहराई इतनी ज्यादा हो गई है कि चार पहिया वाहन के भी पलटने की आशंका बनी रहती है। जिन इलाकों का जिक्र किया गया है वो महज वानगी भर हैं, दरअसल पूरे महानगर की हालत खराब है।
आउटर रोड भी हैं डरातीं
महानगर की आउटर रोड जिनके रखरखाव का काम पीडब्लूडी का है उनकी भी बुरा हाल है। इतना बुरा कि पीक आवर ना हो तो भी जाम लगा रहता है। रुड़की रोड, गढ़ रोड, हापुड़ रोड, मवाना रोड और दिल्ली रोड इनको देखने की जिम्मेदारी पीडब्लूडी अफसरों की है। लेकिन जो हाल सड़कों का बना है उससे लगता है कि पीडब्लूडी के अफसर अभी फुर्सत में नहीं हैं।
अमित अग्रवाल बोले जल्द शुरू होगा काम
कैंट विधायक अमित अग्रवाल का कहना है कि सड़कों की मरम्मत का काम शीघ्र शुरू कराया जाएगा। हालात वाकई खराब है। बारिश का मौसम निपटते ही इस संबंध में पूरा प्रयास किया जाएगा।
लगता है फुर्सत में नहीं मेयर व निगम चीफ
बदहाल सड़कों को लेकर जब महापौर हरिकांत अहलूवालिया और निगम चीफ से संपर्क का प्रयास किया तो दोनों के मोबाइल घंटी जाती रही, उन्होंने काल रिसीव नहीं की।
बद से बदत्तर हाल है सड़कों का
सड़कों का मुद्दा कई बार उठा चुके पूर्व पार्षद अब्दुल गफ्फार का कहना है कि शहर की सड़कों का बुरा हाल है। उनके केवल अवशेष मात्र रह गए हैं। लगता है अफसरों की गाड़ियां इन रास्तों नहीं गुजरती हैं।

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