रूमानी थी वो शाम में झूमे सभी,
गाजियाबाद, चांसलर क्लब, चिरंजीव विहार में पथगामिनी साहित्यिक संस्था की गाज़ियाबाद इकाई द्वारा सुप्रसिद्ध साहित्यकार शायर गोविन्द गुलशन की अध्यक्षता में भव्य काव्य गोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस काव्य गोष्ठी के दौरान कई नामचीन साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। गोष्ठी की शुरुआत में अध्यक्ष गोविन्द गुलशन जी को शाल ओढ़ाकर एवं मोती की माला पहना कर संस्थापिका मंजुला श्रीवास्तवा द्वारा उनका स्वागत किया गया। संरक्षिका प्रमिला भारती के गजल संग्रह ‘सहरा में घनी छाँव’ का औपचारिक लोकार्पण किया गया। सभी साहित्यकारों का सम्मान तुलसी के पौधे प्रदान कर किया गया। इस दौरान श्री दीपक श्रीवास्तव को पथगामिनी की गाज़ियाबाद इकाई के अध्यक्ष के तौर पर मनोनीत किये जाने की घोषणा की गई। इकाई की उपाध्यक्ष बीनू सिंह के स्वागत उद्बोधन के साथ ही सुप्रसिद्ध कवियत्री उषा श्रीवास्तव के संचालन में कार्यक्रम में प्रथम बार पधारी बाल कवियत्री दिवाकृति की कविता ‘केवल बच्चे ही नहीं बुजुर्ग भी नादान होते हैं’ द्वारा गोष्ठी का प्रारम्भ हुआ। वरिष्ठ कवियत्री प्रमिला भारती के गाये गीत ‘कुछ बात है जो पैदा हो जाये हर सदा में’ से श्रोता भाव विभोर हो गए। वरिष्ठ कवि, शायर एवं कहानीकार विपिन जैन के सुनाये शेरों पर श्रोतागण वाह-वाह कर उठे। अरुण शर्मा ‘साहिबाबादी’ के माँ पर सुनाये गीत पर लोग भावुक हो उठे। डा.कृष्ण कुमार दीक्षित ने माखन लाल चतुर्वेदी और शरद जोशी की तरह गद्य-पद्य शैली में लेखकों की दशा का यथार्थ चित्रण किया। उन्होंने वर्ष 1939 में प्रकाशित सुप्रसिद्ध महान कवयित्री महादेवी वर्मा की कालजयी कृति ‘यामा’ का प्रथम संस्करण प्रदर्शित किया। इस संस्करण की विशेषता इसमें महादेवी वर्मा के बनाए चित्र भी हैं जो अलग से विभिन्न पृष्ठों पर चस्पा किए गये हैं। गोष्ठी संचालिका उषा श्रीवास्तव ने अपनी कविता के माध्यम से माँ गँगा को मलिन करने वाली कटु स्थितियों पर प्रहार किया। गार्गी कौशिक के गीत ‘चुप न रहती तो और क्या करती’ पर उन्होंने बहुत तालियाँ बटोरीं। ‘नदी की क्या उदासी है भँवर बेचैन होते हैं, है बाँधों की रजामन्दी सितम नदियों पर होते हैं’ से नवनिर्वाचित अध्यक्ष दीपक श्रीवास्तव ‘नीलपदम्’ ने अपने काव्य पाठ की शुरुआत की। संस्थापिका मंजुला श्रीवास्तव ने अपने मुक्तक ‘जीते जी जीते हुए अब यहाँ तक आ गए’ से वाहवाही बटोरी। दरिया प्रतीक के माध्यम से उपाध्यक्ष रेनू राय ने भी एक अच्छी कविता प्रस्तुत की। अमर भारती के अध्यक्ष डा.रमेश चन्द्र भदौरिया के गीत ‘सपनों के मनमीत तुम्ही हो, प्रेम सिन्धु नवनीत तुम्ही हो’ को बहुत पसंद किया गया। वरिष्ठ रचनाकार प्रवीण कुमार की छन्द मुक्त कविता ‘अभी भी गुज़रता हूँ मैं उन रास्तों से’ भी खूब सराही गई। वरिष्ठ शायर असलम रशीद के शेर ‘बिछड़े थे जिस वजह से सीता से राम, मैं उस हिरन को राम कहानी से खीँच लूँ’ को श्रोताओं की बहुत प्रशंसा प्राप्त हुई और लोग वाह-वाह करते रहे। सबसे अंत में गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे गोविन्द गुलशन ने अपने शेर पढ़े तो कार्यक्रम शिखर पर पहुँच गया। ‘कुछ लोग मेरी राह से बचकर निकल गए, अच्छा हुआ निगाह से बचकर निकल गए, तुम थे की तुमने इश्क को बदनाम कर दिया, हम थे कि इस गुनाह से बचकर निकल गए’ से उन्होंने अपने काव्य-पाठ का प्रारम्भ किया। श्रोता प्रसिद्ध शायर को बड़े धैर्य से सुन रहे थे और वाह-वाह करते रहे। उनकी गजल ‘मोहब्बतों की फकत नुमाइश जो हो रही है, वही गलत है’ से कार्यक्रम अपने सर्वोच्च शिखर पर पहुँच चुका था। गोष्ठी के दौरान गोविंद गुलशन, प्रमिला भारती, विपिन जैन, डा.कृष्ण कुमार दीक्षित, डा. रमेश कुमार भदौरिया, असलम राशिद, प्रवीण कुमार, उषा श्रीवास्तव ‘उषाराज’, अरुण शर्मा ‘साहिबाबादी’, गार्गी कौशिक, दीपक श्रीवास्तव ‘नीलपदम्’, ईशा भारद्वाज, शांत्वना सिंह शुक्ला, स्मिता सिंह चौहान, शालिनी शर्मा, रेनू राय, मंजुला श्रीवास्तवा, अर्चना मेहता, दिवाकृति आदि ने काव्य पाठ किया। गोष्ठी की ख़ूबसूरती प्रसिद्ध एवं वरिष्ठ कवियों के समक्ष नए, युवा एवं बाल कवयित्री का काव्य पाठ रहा। कार्यक्रम के अंत में पथगामिनी की गाज़ियाबाद इकाई के अध्यक्ष दीपक श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। यह जानकारी बीनू सिंह उपाध्यक्ष पथगामिनी गाजियाबाद इकाई ने दी है।