जयपाल का राजतिलक-जफर को बनवास, मेरठ कैंट बोर्ड में इन दिनों अंदरूनी घमासान मची है। हालांकि जानकारों की मानें तो सीईओ कैंट कुछ चीजों को सही करने का प्रयास भर कर रहे हैं, इसको नेिगेटिव नहीं देखा जाना चाहिए। चीजें सही होंगी तो सिस्टम भी खुद ही खुद ठीक हो जाएगा। इसीक्रम में आफिस सुप्रीटेंडेंट के पद पर एक बार फिर जयपाल तोमर की ताजपोशी व जफर को बनवास का एलान हुआ है। दरअसल दवा घोटाले के प्रकरण के चले जफर को आफिस सुप्रीटेंडेट के पद से हटा दिया गया था। उनके बाद ब्रिजेश सिंह काे यह कुर्सी मिल थी। ब्रिजेश सिंहल के रिटायर्ड होने के बाद यह मलाईदार मानी जाने वाली कुर्सी पर जयपाल तोमर की ताजपोशी कर दी गयी। हालांकि उनकी वरिष्ठता को लेकर भी कुछ सवाल उठाए गए, लेकिन तमाम सवालों के इतर उन्हें यह कुर्सी सौंप दी गयी। लेकिन सीईओ नागेन्द्र नाथ केके कैंट बोर्ड से तवादले या कहें प्रमोशन के साथ ही जयपाल तोमर की कुर्सी पर संकट के बादल मंडराने लगे थे और संकट आया भी। बतौर कार्यवाहक सीईओ का चार्ज रक्षा संपदा अधिकारी के हाथ में कुछ समय के लिए आया तो कई चौंकाने वाले आदेश रातों रात कर दिए गए। इन आदेशों की मार में जयपाल तोमर की भी कुर्सी आ गयी। उन्हें हटाए जाने के आदेश कार्यवाहन सीईओ यानि रक्षा संपदा अधिकारी ने कर दिए और एक बार फिर से कैंट बोर्ड के लिए संकट मोचन माने जाने वाले जफर की तोजपोशी बतौर कार्यालय अधीक्षक के पद पर कर दी गयी। हालांकि इसको लेकर भी तमाम कहानियां सुनने को मिली, लेकिन रक्षा संपदा अधिकारी ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जफर बाबू की ताजपोशी कर दी। अब एकाएक चौंकाने वाला आदेश आया और एक बार फिर से कार्यालय अधीक्षक के तौर पर जयपाल तोमर का राजतिलक और जफर के लिए बनवास का हुकूम सुना दिया गया है। आदेश केवल जफर को बनवास व जयपाल तोमर के राजतिलक का ही नहीं हुआ है। कुछ अन्य भी आदेश किए गए है। दरअसल सीईओ कैंट लगता है कि कारगुजारी करने वालों को नापने के मूड में आ गए हैं।