जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई..

जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई..
Share

जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई.., श्री हरि कीर्तन मन्दिर घण्टाघर मेरठ के द्वारा जगदीश मण्डप में चल रही भव्य रासलीला के तृतीय दिन पं0 श्री कैलाशचन्द शर्मा के द्वारा मीरा चरित्र का बहुत रसमयी वर्णन किया।

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई, जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
कलाकारों द्वारा किये गये मंचन से पं0 कैलाश जी ने बताया कि बाल्य अवस्था से ही मीरा जी का लगाव गिरधर जी में हो गया और एक संत के द्वारा गिरधर गोपाल जी को मीरा जी ने अपनी भक्ति से प्राप्त कर लिया। जब मीरा जी का विवाह भोजराज जी से हुआ वह अपने ससुराल विदा होकर गई तो ससुराल में उनका भजन-कीर्तन करना उनके जेठ राणा विक्रम सिंह को पसन्द नहीं आया और उन्होंने बहन के साथ मिलकर मीरा जी को कष्ट देने व मारने के उपाय करने लगे किन्तु राणा विक्रम सिंह हर उपाय में निष्फल रहे जिसका रक्षक स्वयं गिरधर गोपाल हो भला उसको कोई कष्ट कैसे पहुँचा सकता है। मीरा जी ने अपनी भक्ति के द्वारा राणा विक्रम सिंह और संसार के समस्त प्राणियों को अपनी भक्ति में विश्वास के द्वारा यह समझाया कि भक्ति में कितनी शक्ति है। मीरा जी के इस चरित्र को दर्शन कर दर्शक भाव-विभोर हो गये और कलाकारों द्वारा किये गये मंचन ने दर्शकों का मन मोह लिया। इस अवसर पर कृष्णलाल आहूजा, जगदीश लाल आहूजा, गिरधारी लाल आहूजा, नीरज नारंग, पवन आहूजा, ललित अरोड़ा, तीर्थराम इश्पुन्यानी, ओमप्रकाश इश्पुन्यानी, ओमप्रकाश छाबड़ा, सुरेन्द्र आहूजा, भुवन छाबड़ा आदि उपस्थित रहे।

@Back Home


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *