
मेरठ/शहर के टैफिक की बद इंतजामी की बात करने वाले पुलिस प्रशासन व नगर निगम के अफसरों की चिंता में कंकरखेड़ा मेनरोड शामिल नहीं है। उन्हें यहां दिन भर लगने वाले जाम से कोई सरोकार नहीं। कई बार ऐसा भी हुआ है जब यहां लगने वाले जाम में क्रिटिकल मरीजों के ले जाने वाली एम्बुलेंस तक फंस गयी। यहां दिन भर जाम सरीखे हालात रहते हैं, इस रोड पर गाड़ियों के जाम में फंसने की वजह से उनमें बैठे लोग कलपते हैं। गाड़ियों के होरन जाम से निकलने के लिए चिखाड़ते रहते हैं, लेकिन इसके बाद भी कंकरखेड़ा थाना पुलिस जाम की वजह बनने वालों पर बजाए कार्रवाई या उन्हें खदेड़ने के उनसे दोस्ती ही निभा रही है। कभी भी यहां जाम की वजह बनने वालों पर पुलिस का डंडा या फिर निगम सरीखे किसी विभाग की ओर से कभी कोई अभियान चलाया गया हो ऐसा भी याद नहीं आता। इस महत्वपूर्ण मेन रोड पर पूरी तरह से अराजकता की स्थिति बना दी गयी है। इस अराजकता के लिए थाना पुलिस जिम्मेदार है या फिर नगर निगम के वो अफसर जिनकी जिम्मेदारी सड़कों पर अवैध रूप से कब्जे हटाने वालों पर कार्रवाई की है या फिर वो बडेÞ अफसर जो शहर पूरे शहर के टैÑफिक जाम की तो चर्चा करते हैं, लेकिन लगता है कि उनकी प्राथमिकता में कंकरखेड़ा शुमार नहीं है। एडीजी, कमिश्नर डीआईजी, डीएम, एसएसपी, एसपी टैÑफिक सरीखे तमाम अफसर यह साबित करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ते की उन्हें शहर के टैÑफिक जाम की चिंता है। वो कभी बेगमपुल पर जा पहुंचते हैं तो कभी शहर की पुरानी आबादी वाले हापुड़ स्टैंड चौराहे पर या शहर में किसी अन्य स्थान पर जा पहुंचतें, लेकिन वाया बाईपास कंकरखेड़ा मेन रोड होकर शहर में आने जाने वालों को जाम में फंसने की वजह से हो रही मुसीबत इनमें से किसी भी को नजर नहीं आती। जाम में फंस कर लोग परेशान होते रहें इन अफसरों की बला से जाम लग रहा है तो लगे। भले ही जाम में फंसी एम्बुलेंस में ले जाए जा रहे मरीज का दम निकल जाए या फिर किसी की बेहद जरूरी फ्लाई इस जाम में फंस कर छूट जाए, लेकिन पुलिस, प्रशासन, नगर निगम और टैÑफिक पुलिस के अफसर कभी भी कंकरखेड़ा की सुध लेने की अभी तो फुर्सत है नहीं । नगर निगम हो या फिर ट्रैफिक पुलिस स्टाफ का भरी भरकम अमला होने के बावजूद दोनों का स्टाफ कार्रवाई के बजाए ऊपरी कमाई कैसे हो इस पर ज्यादा तवज्जो देता है, भले ही उसके सड़कों पर ठेले लगवाने पडेÞं। सड़कों के दोनों ओर फड़ लगावानी पड़ जाएं। दुकानदारों को सड़कों पर सामान रखने की अनुमति देनी पड़ जाए, प्रतिबंध के बाद भी साप्ताहिक पैठ ही क्यों ना लगवानी पडेÞ या फिर सड़क पर अवैध रूप से पार्किंग करानी पड़ जाए वो सब करेंगे जिससे हफ्ता बंधता हो।
शहर के टैफिक की बद-इंतजामी की बात करने वालों को कंकरखेड़ा मेन रोड पर अवैध कब्जों की वजह से लगने वाले जाम से हो रही मुसीबत से नहीं कोई सरोकार
जाम की मुसीबत की जड़
शहर में टैफिक जाम की चिंता में घुले जा रहे अफसरों को भले ही कंकरखेड़ा मेन रोड का जाम ना दिखता हो, चलो अपने सामाजिक सरकारों के लिए प्रतिबंध हमेशा की भांति जनवाणी ही उन्हें बता देता है कि यहां लगाने वाले जाम की वजह क्या है। जाम की वजह तलाशने वाले अफसर यदि बाईपास से मेन रोड की ओर आएंगे तो हाइवे वाले फ्लाईओवर के आसपास अवैध रूप से खडेÞ होने वाले आटो और ई-रिक्शा यहां से निकलने वालों को रास्ता रोके दूर से ही दिखाई दे जाएंगे। इसके अलावा सर्विस रोड के मोड पर ही डग्गामार गाड़ियां जिनमें मोदीनगर व गाजियाबाद तक हफ्ता देकर सवारियोें की ढुलाई करने वाली बसें भी नजर आ जाएंगे। यहीं पर अवैध रूप बगैर किसी परमिट के सरधना व आगे तक जाने इको गाड़ियां रोड पर कब्जा जमाए नजर आएंगी। कुछ दूरी पर डिफैंस कालोनी के आसपास सड़क के दोनों ओर पैसे देकर सड़क पर सामान बेचने वाले ठेले और एक जगह टेंट में मेले की तर्ज पर लंबे अरसे से दुकान नुमा फड व गडरिया लुहारों के डेरे दिखाई देंगे। जब सड़क के दोनों ओर ठेले खडेÞ होंगे तो उनसे सामान लेने वाले भी वहां रूकेंगे। नतीजा जाम लगेगा। कंकरखेड़ा हाइवे के फ्लाई ओवर से लेकर कंकरखेड़ा रेलवे फ्लाई ओवर तक इस तरह से जाम की वजह बनने वाले जगह-जगह नजर आंएगे। रेलवे फ्लाई ओवर जहां पुलिस चौकी है, वहां की दशा तो और भी ज्यादा खराब है। वहां तो बाकायदा सड़क पर ट्टर डालकर अवैध कब्जे कराए गए हैं। नगर निगम और थाना पुलिस के हफ्ते के बगैर इस तर्ज पर ये स्थाई अवैध कब्जे संभव ही नहीं है। रही सही कसर शिव चौक पुलिस चौकी के पास खडेÞ होने वाले चाट पकौड़ी व ऐसे ही सामान बेचने वाले पूरी कर देते हैं। यहां पुलिस चौकी ही अवैध कब्जों की जद में नजर आती है।
सेंट फ्रांसिस स्कूल की पार्किग सड़क पर
मेन रोड पर सेंट फ्रांसिस स्कूल है। स्कूल संचालकों ने पार्किंग का इंतजाम सड़क पर किया हुआ है। स्कूल के लगने और छूटने के वक्त यहां जबरदस्त जाम होता है, निकला संभव नहीं होता। स्टाफ व बच्चों को छोड़ने व लेने आने के वक्त अभिभावकों की गाड़ियां सड़क के दोनों ओर खड़ी होती हैं। जब सड़क पर एक साथ इतनी गाड़ियां खड़ी हो जाएंगी तो वहां गुजरने वाली गाड़ियों को निकलने का रास्ता ही कहां बचेगा। स्कूल ने जो सिक्योरिटी गार्ड रखे हैं वो भी जाम में फंसने वाली गाड़ियों को निकलवाने या स्कूल में आने वाले जो लोग अपनी गाड़ियां सड़क पर खड़ी करते हैं उन्हें कायदे से नहीं खड़ी कराते। रही सही कसर इस स्कूल के ठीक सामने मौजूद आशूतोष नर्सिंगहोम की सड़क पर खड़ी होने वाली एम्बुलेंस व डाक्टरों व स्टॉफ की गाड़ियां पूरी कर देती हैं।
लक्ष्य नर्सिंगहोम सबसे बड़ी मुसीबत
कंकरखेड़ा मेन रोड स्थित लक्ष्य नर्सिंगहोम और उसके सामने हर माल सौ रुपए जो सड़क कब्जाए हुए बैठा है ये दोनों भी जाम वजह है। लक्ष्य नर्सिंगहोम की अपनी खुद की कोई पार्किंग नहीं है। इसके डाक्टरों, तिमारदारों व स्टाफ की गाड़ियां मेन रोड पर पार्क होती हैं। थाना पुलिस से सेटिंग के बगैर तो सड़क पर इतनी गाड़ियों की अवैध पार्किंग संभव नहीं है, भले इसकी वजह से जाम लग जाए। हर माल सौ रुपए वाले ने तो सोच लिया है कि सड़क के इस हिस्से को ही पुलिस से लीज पर ले लिया है। जाम की ओर भी बहुत वजह हैं। इनमें प्लेसमेंट सेंटर व जिम, प्राइवेट जीवन फाइनेंस बैंक, इलाहाबाद बैंक, मेन रोड पर सांई मंदिर के समीप पंजाब नेशनल बैंक और वो दुकानदार जो सड़क पर सजाकर सामान बेचते हैं वो भी शामिल हैं।
जब इतने सारे कारण जाम की वजह बनेंगे तो फिर क्यों नहीं इस सड़क पर जाम लगेगा। गाड़ियां फंसे तो फंसती रहें, जाम के नाम पर आला अफसर चिल्लाएं तो चिल्लाते रहें, लेकिन इससे कंकरखेड़ा मेन रोड के जाम की समस्या तो हल होने वाली नहीं।
दिन में जलती है रात में नहीं
कंकरखेड़ा मेन रोड की जाम के अलावा शाम ढलते ही अंधेरा छा जाने की बड़ी समस्या है। यहां जो स्ट्रीट लाइटें लगायी गयी हैं वो दिन में तो अक्सर जलती हुई मिल जाएंगी, लेकिन जैसे ही शाम ढलनी शुरू होगी और अंधेरा पांव पसारने शुरू करेगा ये स्ट्रीट लाइटें बंद हो जाएंगी। मेन रोड होते हुए भी यहां शाम ढलते ही स्ट्रीट लाइटों के दमतोड़ देने की वजह से अंधेरा ही पसरा रहता है। लोगों ने यह भी बताया कि स्ट्रीट लाइटों को लेकर कई बार नगर निगम में जाकर शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन पब्लिक की शिकायतों पर कार्रवाई ना करना निगम अफसरों की आदत में शुमार हो गया लगता है।
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