कार्रवाई के आदेश पर कार्रवाई कब, मेरठ में कचहरी के गेटों पर चल रही दो अवैध पार्किगों के खिलाफ एसपी सिटी ने कार्रवाई के आदेश दिए थे, लेकिन अपने ही अफसर के आदेशों को लेकर शहर का वीवीआईपी इलाके में तहत आने वाला सिविल लाइन सर्किंल कब कार्रवाई करेगा, यह जरूर एक बड़ा सवाल है। अवैध पार्किंग के मुद्दे को लेकर इन दिनों वरिष्ठ अधिवक्ता अन्य मद्दों के साथ इन दिनों कलेक्ट्रेट में धरने पर हैं। वह लगातार कचहरी की अवैध पार्किगों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं। उनका सवाल सीधे बार और प्रशासन से है कि किस के संरक्षण में ये अवैध पार्किंग संचालित की जा रही हैं। या फिर यह मान लिया जाए कि प्रशासन और बार का अवैध पार्किंग को खुला संरक्षण है। ऐसे ही कई अन्य मुददों को लेकर भी इन दिनों अधिवक्ता नरेन्द्र शर्मा सिस्टम को जगाने के लिए जून की तपती गर्मी के मौसम में कलेक्ट्रेट में धरना दे रहे हैं।
योगी सरकार के आदेश हैं तब यह हाल है
अवैध पार्किंग खासतौर से यातायात के लिए बनायी गयी सड़कों पर कोई स्टैंड नहीं होगा सूबे की योगी सरकार ने कुछ समय पूर्व ही इस आश्य के आदेश जारी किए थे, लेकिन सीएम के आदेशों को लेकर सिस्टम चलाने वाले कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा सड़कों पर संचालित अवैध पार्किंगों को देखकर लगाया जा सकता है। योगी सरकार का आदेश है कि कोई भी वाहन पार्किंग और स्टैंड सड़क पर नहीं होंगे। आदेश का सख्ती से पालन कराने का निर्देश भी है लेकिन मेरठ शहर में अफसरों को शायद सरकार के इस आदेश की कोई परवाह नहीं है। एक तो जिम्मेदार विभागों के अफसरों ने जनता के लिए पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं की ऊपर से ऐसे अवैध पार्किंग स्थलों और स्टैंड के विरुद्ध कोई कार्रवाई भी नहीं की जो शहर में जाम का बड़ा कारण बन रहे हैं। नए मानकों के आते ही शहर में चल रही निगम की 28 में से 24 पार्किंग बंद हो गई। शहर को दस से ज्यादा स्थानों पर मल्टीलेवल पार्किंग की जरूरत है लेकिन निगम और एमडीए आज तक एक भी मल्टीलेवल पार्किंग की व्यवस्था नहीं कर पाएं हैं।
पहले वैध थी आज अवैध
करीब तीन साल पहले तक नगर निगम शहर में 28 स्थानों पर पार्किंग के ठेके छोड़ता था। इनमें से अधिकांश स्थान सड़कों के किनारे, अस्पतालों तथा अन्य बड़े भवनों के बाहर थे। लेकिन प्रदेश सरकार ने जैसे ही पार्किंग के लिए शौचालय, पेयजल, टीन शेड और अन्य सुविधाएं अनिवार्य करते हुए नए मानक जारी किए, वैसे ही निगम की पार्किंग फेल हो गईं। निगम को इनमें से 24 को बंद करना पड़ा। केवल चार स्थानों की पार्किंग ही नए मानकों का पालन कर पाई। आज भी केवल चार स्थानों पर निगम की पार्किंग चल रही हैैं। नगर निगम ने तो इन 24 स्थानों पर अपनी पार्किंग बंद कर दी लेकिन ऐसा नहीं है कि उक्त स्थानों पर वाहनों की पार्किंग बंद हो गई हो। पार्किंग आज भी होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले ये वैध थीं आज अवैध।
ये हैं निगम की वैध पाकिंग
शहर की यातायात की सेहत के लिए मुसीबत बनीें सड़कों पर संचालित की जा रही अवैध पार्किंग का मुददा जब उठा है तो यह भी पूछा जाने लगा है कि कौन-कौन सी पार्किग नगर निगम द्वारा संचालित की जा रही हैं दरअसल नगर निगम द्वारा वर्तमान में केवल सूरजकुंड पार्क, टाउन हाल परिसर, मिमहैंस अस्पताल तथा दयानंद अस्पताल के सामने आबूनाले को पाटकर की जा रही पार्किंग का ही ठेका दिया है। लेकिन शहर का कोई कोना ऐसा नहीं है जहां पार्किंग न हो रही हो। पार्किंग शहर में चप्पे चप्पे पर है। उन्हें चलाने वाले लोग बाकायदा पर्ची भी काटते हैं लेकिन उसमें से एक भी पैसा निगम अथवा सरकारी खाते में नहीं जाता है।
पूरा शहर जाम
वाहनों की अवैध पार्किंग के चलते फिलहाल पूरा शहर जाम रहता है। सड़कों तथा बड़े बड़े कांप्लेक्स और भवनों के बाहर दो पहिया और चार पहिया वाहन सड़क के बीच तक खड़े रहते हैं। जिसके बाद सड़क पर ट्रैफिक के निकलने का स्थान मुश्किल से ही बच पाता है। सरकार ने सड़क और नाला पटरी पर पार्किंग न होने देने और अवैध पार्किंग हटाने का आदेश दिया है लेकिन अफसर हैैं कि उन्हें न सड़कों पर होने वाली पार्किंग दिखाई देती है और न ही उससे लगने वाला जाम।
कचहरी के चारों द्वारों पर भी पार्किंग
कचहरी के चार प्रवेश द्वार हैं। इन चारों पर ही वाहनों की पार्किंग होती थी। कलक्ट्रेट को जाने वाले द्वार पर निगम की पार्किंग थी जिसे बंद कर दिया गया लेकिन तीन द्वार पर पार्किंग का ठेका दोनों बार एसोसिएशन द्वारा दिया जाता है। भले ये तीनों पार्किंग मानक पूरे न करती हों लेकिन पार्किंग बदस्तूर जारी है। इन्हें रोकने की हिम्मत निगम और पुलिस दोनों में से कोई नहीं कर पा रहा है। यह बात अलग है कि मेरठ बार एसोसिएशन ने हाल ही में हनुमान मंदिर के सामने प्रवेश द्वार पर संचालित होने वाली पार्किंग का ठेका निरस्त करने की घोषणा की थी।
नहीं दे पाए एक भी मल्टीलेवल
शहर में वाहनों का दबाव इतना है कि एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर मल्टीलेवल पार्किंग की आवश्यक्ता है। लेकिन निगम एक भी स्थान पर अभी तक मल्टीलेवल पार्किंग उपलब्ध नहीं करा सका है। जब कहीं स्थान प्राप्त करने में सफलता नहीं मिली तो निगम ने अपने कार्यालय परिसर में ही मल्टीलेवल पार्किंग का 46 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया। यह बात अलग है कि इस पर शासन स्तर से आज तक कोई जवाब नहीं मिला है। लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता व भाजपा के पूर्व पार्षद तथा मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री विजय आनंद अग्रवाल बताते हैं कि मेरठ महानगर मे मल्टीलेबल पार्किंग पर अभी रोक है।