कसौटी पर खरे नहीं उतरे अफसर, मेरठ। निराश्रित गौंवशों की वजह से हो रहे परेशानी खासतौर से किसानों को होने वाली परेशानी को देखते हुए सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले सितंबर माह में जो घोषणा की थी, उस घोषणा को पूरा करने के मामले में मेरठ के अफसर खरे नहीं उतर सके। अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे पशु धन विभाग ने बाकायादा मीडिया के समक्ष लखनऊ में कहा था कि सीएम योगी के निर्देश पर पशु धन विभाग निराश्रित गौवंशों की समस्या का निदान करने में जुटा है। मार्च 2023 तक इस समस्या का निदान कर दिया जाएगा। इसके लिए सीएम से समय मांगा गया है। यह थी घोषणा
निराश्रित गौवंश की समस्याओं को लेकर सीएम योगी की चिंता के मददे नजर बीते साल सितंबर माह में सूबे के पशु धन विभाग ने एलान किया था कि प्रदेश में निराश्रित गौवंश की समस्या छह माह में खत्म कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए प्रदेश के हर ब्लाक में निराश्रित गौवंश ब्लाक बनाने के निर्देश दिए हैं। एक संरक्षण केंद्र पर तीन हजार तक छुट्टा गौवंश रखे जा सकेंगे। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले छह माह में प्रदेश में आवारा घूम रहे 3.5 लाख गोवंश से निजात मिल जाएगी। साथ ही निराश्रित गौंवश को आसरा भी मिल जाएगा। साथ ही यह भी दावा किया गया था कि करीब 8.5 लाख निराश्रित गौवंशों को आश्रय स्थल पर पहुंचा दिया गया है। जो गौवंश अभी भी निराश्रित हैं और छुट्टा घूम रह हैं उनका समस्या का निस्तारण करा दिया जाएगा। ऐसा दावा पुरजोर तरीके से किया गया था। जमीनी हकीकत
निराश्रित गौवंशों को लेकर एक ओर सीएम योगी के दावे और दूसरी ओर इससे जुड़े विभागों की जमीनी हकीकत की यदि की जाए तो आज सोमवार को इस संवाददाता को शहर के तमाम मुख्य सड़कों पर आवारों गौंवंश इधर उधर घूमते मिले। सबसे बुरा हाल गढ़ रोड का था। सुबह करीब दस बजे मेन रोड पर नंदन सिनेमा के सामने आवारा गौवंश सड़कों पर बैठे नजर आए। कमोवेश यही स्थिति कुछ आगे जाने पर नई सड़क मोड़ पर नजर आयी। पूरे महानगर में ऐसे इलाकों की भरमार है जहां निराश्रित गौवंश लोगों के लिए जानलेवा समस्या बन गए हैं। सबसे बुरा हाल तो शहर के कूड़ा डलावघरों पर दिखाई दिया। तमाम कूड़ा डलावघरों पर छुट्टा और निराश्रित पशु पेट भरते नजर आए। यह हालत केवल शहर ही नहीं बल्कि कैंट क्षेत्र के काठ का पुल वाले नाले पर बनाए गए डलावघर पर भी नजर आयी। कैंट की यदि बात की जाए तो बड़े डाकखाने वाले कूडा डलावघर प सबसे बुरी हालत थी। शहर में घंटाघर चौराहा जहां एसपी सिटी का कार्यालय है, वहां से लेकर रेलवे रोड और केसरगंज इलाके में तथा उससे कुछ आगे मछेरान में जहां कभी महताब सिनेमा हुआ करता था, उससे थोड़ा आगे बढ़े तो वहां भी आवारा निराश्रित गौवंश सड़कों पर नजर आए। गढ़ रोड पर निराश्रित गौवंश को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता विपुल सिंहल ने बताया कि ऐसे गौवंश को लेकर यदि जमीनी हकीकत की बात की जाए तो सिविल लाइन का इलाका इस समस्या से सबसे ज्यादा ग्रसित है। उन्होंने बताया कि वह अक्सर सड़कों पर कब्जा कर बैठने वाले गौंवशों के चित्र अपने मोबाइल कैमरे में कैद अधिकारियों को भी भेजते रहते हैं।
रात के अंधेरे में हैं छोड़े जाते निराश्रित गौवंशों को लेकर जब पड़ताल की गयी तो पता चला कि गांव देहात के लोग जो निराश्रित गौवंशों की समस्या से परेशान हैं और सिस्टम उनको लेकर लापरवाह बना है, वो लोग रात के अंधेरे में ट्रकों में भर कर गांव से दूर महानगर क्षेत्र में कहीं भी इन गौवंशों को छोड़ जाते हैं। इतना ही नहीं मेरठ के समीपवर्ती जनपदों से भी देर रात निराश्रित गौवंशों को ट्रकों में भर-भर कर महानगर की सीमा में छोड़ा जा रहा है। यदि पशु धन विभाग और पुलिस मिलकर संयुक्त अभियान चलाए तो संभवत: रात के अंधेरे में शहर में छोड़े जाने वाले निराश्रित पशु धन पर रोक लगायी जा सकती है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। साइड इफैक्ट निराश्रित गौवंशों से यदि साइड इफैक्ट की बात की जाए तो सबसे बड़ा साइड इफैक्त तो महानगर के अति व्यस्त जिन इलाकों में निराश्रित गौवंशों की भरमार हैं, वहां दिन भर जाम की स्थिति रहती है। कई बार लोग जब इन्हें भगाने का प्रयास करते हैं तो ये हमला भी बोल देत हैं। ऐसी कई घटनाएं हैं जिनमें निराश्रित गौवंश के हमले में लोग जख्मी हुए हैं।
ऐसे गौवंशों के लिए चारे की समस्या प्रमुख है। ये गौवंश अक्सर कूडा डलावघरों पर ठिकाना बना लेत हैं। वहां पन्नी में फैंके गए खाने के सामान के सााथ ये पन्नी भी खा जाते हैं उससे बीमार होकर उनकी मौत हो जाती है। निगम की गौशाला ओवर लोडेड: निराश्रित गौंवश को लेकर यदि निगम की कान्हा गौशाला बराल परतापुर की बात की जाए तो उसमें क्षमता से अधिक गौवंश रखे गए हैं। कम से कम मेरठ में तीन और गौवंश आश्रय स्थल बने तो बात बने। इलाज तक मय्यसर नहीं: निराश्रित गौंवशों की यदि बात की जाए तो किसी हादसे का शिकार व घायल होने पर उनको इलाज तक मय्यसर नहीं होता है। रोटेरियन पायल जैन सरीखे पशु प्रेमी भले ही घायल गौवंशों की मदद कर दें, लेकिन मेरठ में मौजूद पशु अस्पतालों से ऐसे घायल गौवंशों की उम्मीद आमतौर पर लोग नहीं रखते हैं।
वर्जन
महानगर में निराश्रित गौवंशों को लेकर नगर निगम गंभीर हैं। करीब 16 सौ गौंवंश पकड़े भी गए हैं। 11 सौ से ज्यादा गौवंश कान्हा गौशाला बराल परतापुर में रखे गए हैं। वर्तमान में अभी भी करीब एक हजार से ज्यादा निराश्रित गौवंश संभव हैं। जो कान्हा गौशाला में गौवंश रखे गए हैं उनकी देखभाल अच्छी तरह से की जा रही है। उनके इलाज आदि तथा भोजन की समुचित व्यवस्था है। लेकिन अभी भी काफी गौवंश ऐसे हैं जिन्हें आश्रय स्थल की जरूरत है।
डा. हरपाल सिंह
नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम मेरठ
निराश्रित गौंवशों को लेकर उनकी गिनती व टैगिंग का काम करने वाले पशु पालन विभाग के जिला पशु अधिकारी अखिलेश कुमार से संपर्क का प्रयास किया तो उन्होंने काल रिसवी नहीं की, जिसकी वजह से पता नहीं किया जा सका कि पशु पालन विभाग कितना गंभीर है।