कथा संवाद से टटोली खांटी लेखनी, कथा संवाद के सशक्त आयोजन से जमीन से जुड़े माने जाने वाले खांटी लेखनी थामने वालों को टटोलने का सशक्त व सफल प्रयास किया गया। गाजियाबाद में होटल रेडबरी में आयोजित “कथा संवाद” का शुभारंभ शकील अहमद की कहानी के मसविदे “बन्ने मियां की दुल्हनिया” से हुआ। मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के “कथा संवाद” को संबोधित करते हुए सुप्रसिद्ध लेखक, कवि व अनुवादक सुशांत सुप्रिय ने कहा कि “कथा संवाद” जैसे कार्यक्रम हमारी सोच और कहन को विस्तार देने के साथ नवांकुरों को गढ़ने की परंपरा भी निभाते हैं। इंटरनेट के दौर में कहानी की वाचिक परंपरा को पूर्णतः लोप हो गया है। मुख्य अतिथि अवधेश श्रीवास्तव ने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में बढ़ते बाजारवाद ने साहित्य को पीछे धकेल दिया है। साहित्यकार सुभाष चंदर ने मनु लक्ष्मी मिश्रा की कहानी “निर्णय” को मौजूदा दौर में दांपत्य जीवन पर गहरा रहे संकट को रेखांकित करने वाली रचना बताया। रंगकर्मी अनिल शर्मा ने कहा कि शादीशुदा दंपति के बच्चे न होना बुजुर्ग अभिभावकों की चिंता का बड़ा विषय बनता जा रहा है। डॉ. प्रीति कौशिक ने कहानी का शीर्षक “डर” सुझाते हुए कहा कि कहानी बेटी बचाओ अभियान का बेहतरीन उदाहरण पेश करती है। पत्रकार सुभाष अखिल की लघु उपन्यासात्म कथा “बाजार बंद” पर भी चर्चा की। अवधेश श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह के गंभीर आयोजनों को हमें टीवी डिबेट जैसे निम्नस्तर तक जाने से बचाए रखना है।
लेखक रविन्द्र कांत त्यागी ने कहा कि लेखक संवेदनशील होता है। डाॅ. पुष्पा जोशी की “रमोती” पर रंगकर्मी अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव ने चर्चा की। रचनाकार देवेंद्र देव के “अहिल्या” पर आलोक यात्री, डॉ. बीना शर्मा, वागीश शर्मा, लीना सुशांत, बी. एल. बतरा आदि ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। संचालन आलोक यात्री ने किया। विमर्श में गोविंद गुलशन, अमर पंकज, प्रमोद कुमार कुश ‘तन्हा’, तेजवीर, सुशील शर्मा, रवि शंकर पाण्डेय, पराग कौशिक, देवेंद्र गर्ग, सौरभ कुमार, अंजलि, अभिषेक कौशिक, विनोद कुमार विनय, साजिद खान, ओंकार सिंह, दर्शना अर्जुन ‘विजेता’ आदि ने हिस्सेदारी निभाई।