कैसे मिलेगा इंसाफ-अफसरों ने IGRS का बनाया मखौल, समाज के अंतिम पायदान पर खड़े शख्स को इंसाफ और मनमानी पर उतारू सिस्टम पर लगाम को यूपी की योगी सरकार ने आईजीआरएस यानि जन सुनवाई पोर्टल शुरू किया। यह सुविधा विशेषतौर पर उन लोगों के लिए मुहैय्या करायी गयी जो यूपी के दूरदराज के इलाकों में रहते हैं और मंडल व जिला स्तर पर अपनी समस्याओं का समाधान होने पर आए दिन सीएम के दरबार में पहुंचने को लखनऊ तक नहीं दौड़ लगा सकते, लेकिन मेरठी अफसरों ने तो आईजीआरएस को ही मखौल बनाकर रख दिय है।
कमिश्नर के आदेश पर भारी उर्दू अनुवाद:
15 फरवरी 2023 को आईजीआरएस पार्टल पर की गयी शिकायत में अवगत कराया गया कि संयुक्त आयुक्त खाद्य मेरठ मंडल कार्यालय में उस्मान अली नाम का कर्मचारी उसके खिलाफ शासन से आने वाली जांचों को सक्षम अधिकारी तक नहीं पहुंचने देता। उस्मान अली की मूल नियुक्त डीएसओ कार्यालय में बतौर उर्दू अनुवादक के पद पर है, लेकिन उच्च पदस्थ अफसरों से सेटिंग गेटिंग कर उक्त उस्मान अली संयुक्त खाद्य आयुक्त कार्यालय में बैठता है, जबकि वहां पर उर्दू अनुवादक काे लेकर कोई काम नहीं है। साथ ही आरोप लगाया गया कि उक्त उसमान अली बैठता संयुक्त आयुक्त खाद्य कार्यालय में, लेकिन हाजरी डीएसओ कार्यालय के रजिस्टर में लगाता है। शिकायत के उपरांत इसकी जांच 1 मार्च 2023 को प्रभारी संयुक्त आयुक्त खाद्य/जिला आपूर्ति अधिकारी विनय कुमार द्वारा की गयी बताकर प्रकरण निस्तारित कर दिया गया। जबकि शिकायतकर्ता का आरोप है कि जांच अधिकारी ने उनसे न तो संपर्क किया न ही उक्त प्रकरण में आरोपी के खिलाफ साक्ष्य मांगे।
प्रभात कुमार कमिश्नर कर चुके हैं कार्रवाई
आईजीआरएस पोर्टल पर उक्त उस्मान अली के खिलाफ प्रमुख सचिव जेएस दीपक उत्तर प्रदेश शासन के 26 नवंबर 2007 के एक आदेश के चलते तत्कालीन कमिश्नर मेरठ मंडल प्रभात कुमार उक्त उस्मान अली को संयुक्त आयुक्त खाद्य आयुक्त कार्यालय से हटाकर उनके मूल तैनाती स्थल डीएसओ कार्यालय में कार्य के आदेश दिए थे। लेकिन आरोप है कि प्रभात कुमार के मेरठ से चले जाने के बाद उक्त कर्मचारी ने विभाग के अफसरों से जोड़तोड. कर पुन: संयुक्त आयुक्त खाद्य कार्यलय में तैनाती करा ली। इस मामले को आइजीआरएस पोर्टल के जरिये सीएम योगी तक पहुंचाने वाले सजग प्रहरी उत्तर प्रदेश शाखा के जिलाध्यक्ष कुलदीप शर्मा की आईजीआरएस को भेजी गई शिकायत में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा गया है कि उक्त उसमान अली ने आस मोहम्मद उर्फ आसू नाम के एक प्राइवेट शख्स को वहां निजी तौर पर लिया है, जिसकी वजह से गाेपनीय सरकारी फाइलों तक आम आदमी की पहुंच हो गयी है।
आशीष दूबे का यूज क्यों नहीं:
उस्मान अली प्रकरण में पूर्व में शासन को अवगत कराया गया कि कार्य की अधिकता के चलते संयुक्त आयुक्त खाद्य कार्यालय में तैनाती दी गई है, इसके इतर इसी कार्यालय के वरिष्ठ कर्मचारी आशीष दूबे के होने के बावजूद अन्यत्र तैनाती दिया जाना विभाग के तत्कालीन अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। इसके पीछे भी उक्त उस्मान अली की साजिश का आरोप विगत 26 जून 2023 को कमिश्नरी को दिए उक्त प्रकरण को लेकर पत्र में लगाया गया है। साथ ही अवगत कराया गया है कि इस संबंध में आईजीआरएस पोर्टल पर जो शिकायत की गयी थी उसकी जांच करने वाले डीएसओ ने शिकायतकर्ता का पक्ष जाने बगैर ही प्रकरण निस्तारित दिखा दिया। कमिश्नर से मांग की गयी है कि उक्त मामले की किसी अन्य अधिकारी से निष्पक्ष जांच करायी जाए।