खामी की तो अब खैर नहीं, मेरठ। चंद सिक्कों और छोटे लालच के लिए शिक्षा के मंदिर में काम के नाम पर कमाई करने के आदि हो चुके स्टाफ की अब खैर नहीं है। महानिदशेक शिक्षा ने ऐसी गलत कमाई करने वालों पर नकेल की तैयारी कर ली है। दरअसल में हुआ यह कि प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में वित्तीय गड़बड़ी रोकने और त्वरित कार्रवाई के लिए विभाग ने नई पहल शुरू की है। विभाग ने तय किया है कि बीएसए बीईओ की ही तरह अब हर माह सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी भी अपने क्षेत्र के स्कूलों का भ्रमण कर वित्तीय मामलों की प्रगति देखेंगे। इस दौरान किसी तरह की गड़बड़ी मिलने पर वे बीएसए को इसकी रिपोर्ट देंगे। बेसिक शिक्षा विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत विद्यालय स्तर पर खरीद आदि काम किए जाते हैं। कई बार ऐसा देखने में आया है कि इसमें विद्यालय स्तर पर की गई गड़बड़ी या कमियों की जानकारी उच्च स्तर पर काफी देर से होती है या तब होती है जब कोई अधिकारी विद्यालय में निरीक्षण के लिए पहुंचता है। ऐसे में जब तक मामला उच्च स्तर तक पहुंचता है, कई बार संबंधित अधिकारी व जिम्मेदार बदल जाते हैं। विभाग ने निर्देश दिया है कि सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी हर माह कम से कम पांच शिक्षण दिवस में संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी के साथ अलग-अलग विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे। इस दौरान पाई जाने वाली वित्तीय कमियों का उल्लेख करते हुए अपनी संस्तुति के साथ संयुक्त रिपोर्ट बीएसए को देंगे। बीएसए इसके आधार पर आवश्यक कार्रवाई करते हुए विद्यालय स्तर पर इसके लिए आवश्यक निर्देशों का अनुपालन कराएंगे। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को निर्देश दिए हैं कि निरीक्षण के दौरान बीएसए व मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक कंपोजिट ग्रांट के प्रयोग के संबंध में क्रय प्रणाली प्रक्रिया, सामग्री की गुणवत्ता व अभिलेखों का रखरखाव सुनिश्चित करेंगे। साथ ही अनुदान के प्रयोग में अनियमितता पाए जाने पर दोषी प्रधानाध्यापक, विद्यालय प्रबंध समिति के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। इसी के साथ जिला स्तर पर अलग से विद्यालयों में हुई खरीद का निरीक्षण किया जाएगा।