खतो किताबत में खोई मेरठ से हवाई उड़ान

kabir Sharma
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मेरठ से हवाई उड़ान अभी नेताओं और अफसरों की खतो किताबत में कहीं गुम है। दावे भले ही कोई कुछ भी करे लेकिन यह साफ कर दें कि अभी हवाई उड़ान की उम्मीद कतई ना रखें, क्योंकि सर्किल रेट रिवाइज होने जा रहे हैं। पहले जो तेइस करोड़ रुपए सरकार से मिलने के बाद हवाई उड़ान शुरू कराने का दावा भाजपा के कुछ नेता कर रहे थे अब उस बात में भी कुछ जान नहीं रह गयी है। सर्किल रेट रिवाइज होने के बाद नए सिरे से जरूरत के लायक जमीन का प्रस्ताव अधिकारी तैयार करेंगे और सरकारी अफसरों के काम की रफ्तार जब से यह हवाई पट्टी बनी है तब से कैसी है यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। अभी जो हालात हैं उसमें तो यही कहा जा सकता है कि ना नो मन तेल होगा ना राधा नाचेगी। जिस पत्र की बात कही जा रही है AAI (Airport authorty of India) वैसे खत पहले भी कई बार भेज चुकी है। दरसल AAI तो तैयार है, लेकिन AAI भी तभी इंतजाम करेगी जब जमीन मुहैय्या करायी जाएगी। सर्किल रेट का मामला जब तक शुरू नहीं हुआ था तब तक तो तेइस करोड़ में बात बन जाती, यह बात अलग है कि मेरठ में दो-दो सांसद, एक मंत्री दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री कई विधायक और सत्ताधारी पार्टी का पूरा कुनबा होते हुए भी महज तेइस करोड़ का इंतजाम सरकार से नहीं करा सके। और जिस तेइस करोड़ की रकम की बात कही जा रही थी वो रहनी भी सरकार के खाते में ही थी यानि ट्रेजरी में, डीएम के अंडर में, लेकिन यहां के नेता वो भी रकम ना मेरठ को दिला सके। यह बात अलग है कि दावे करने में उनका कोई सानी नहीं।

AAI के जिस पत्र को लेकर उछले उछले फिर रहे हैं, यहां यह भी बता दें के उस पत्र के मिलने के बाद अभी लखनऊ ने मेरठ के अफसरों से प्लान मांगा है, जिसमें पूछा गया है कि AAI जो काम करना चाह रही है उसमें कितना खर्च आ जाएगा। अभी अफसर मौका मुआयना करेंगे। रिपोर्ट तैयार करायी जाएंगी। रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। यहां से जो प्रस्ताव जाएगा उस पर कैबिनेट में चर्चा होगी, इतने साल 2027 के विधानसभा चुनाव आ जाएंगे और नेता विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग जाएंगे। कहने को इतना जरूर हो जाएगा कि हवाई उड़ान की सभी तैयारी पूरी कर ली गई हैं, चुनाव में बस चुनाव निबटते ही उड़ान तय है, लेकिन इसके लिए चुनाव में ध्यान रखना होगा।

साल 2014 में मेरठ की परतापुर हवाई पट्टी से उड़ान के लिए AAI से अनुबंध किया गया था। तब से AAI जमीन मांग रही है और जमीन मिलती तेइस करोड़ से हालांकि सर्किल रेट रिवाइज होने के बाद यह रकम बढ़नी तय है, लेकिन AAI को जमीन नहीं दी जा सकी क्योंकि जिस तेइस हजार की जरूरत थी वो रकम हवाई उड़ान शुरू कराने का दम भरने वाले दिला नहीं सके। हां इतना जरूरी है कि इस पूरे मामले में यदि किसी ने पसीना बहाया है तो वह हैं राज्यसभा के सदस्य व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी। केंद्र सरकार की उड़ान योजना में देशभर के शहरों में उपलब्ध हवाई पट्टी का विस्तार करके शहरों के बीच हवाई यात्रा सेवा उपलब्ध कराने की घोषणा की गई थी। उसी योजना में मेरठ के परतापुर में उपलब्ध हवाई पट्टी को भी शामिल किया गया था। इस हवाई पट्टी का विस्तार करके यहां से विमान उड़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया से अनुबंध किया था। उसी के तहत वर्ष 2014 में उसे हवाई पट्टी भी सौंप दी गई थी। लेकिन हवाई पट्टी का विस्तार 11 साल बाद भी नहीं हो सका। कारण जमीन की उपलब्धता न होना है। अनुबंध के मुताबिक प्रदेश सरकार को आवश्यक भूमि एएआइ को निश्शुल्क उपलब्ध करानी है। जमीन न मिल पाने के कारण ही मेरठ का उडान का सपना अधूरा है। नागरिक उड्डयन अनुभाग के विशेष सचिव ईशान प्रताप सिंह ने जिला प्रशासन से हवाई पट्टी के विस्तार के तीनों चरणों के लिए एएआइ द्वारा उपलब्ध कराए गए मास्टर प्लान के तहत आवश्यक भूमि के अधिग्रहण में होने वाले खर्च (वित्तीय भार) की जानकारी मांगी है। इस मामले में डीएम डा. वीके सिंह ने स्पष्ट किया है कि शासन को इस संबंध में पूरा प्रस्ताव पूर्व में भेजा जा चुका है। वर्तमान में जमीन के रेट में वृद्धि हुई है। जल्द नया प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भेजा जाएगा। मेरठ से हवाई यात्रा की सुविधा शुरू होना जनपद के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।

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