खुल गया निधिवन का रहस्य

खुल गया निधिवन का रहस्य
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खुल गया निधिवन का रहस्य, श्रीधाम वृंदावन में मौजूद  निधिवन का करीब  पांच हजार साल पुराना रहस्य अब रहस्य नहीं रहा। वो रहस्य दुनिया के सामने आ गया। उसी रहस्य की आज बात होगी। लेकिन उससे पहले बात वृंदावन की। दरअसल  निधिवन ही वास्तविक नित्य वृंदावन है।। यहाँ लगभग 1500 ई.मे स्वामी श्री हरिदास जी, जिनका जन्म राजपुर में 1480 व परलोक गमन 1575 ई) का आगमन हुआ था। यह मान्यता है कि वृंदावन स्थित बिहारी जी की प्रतिमा अर्धरात्री उपरांत अचानक गायब होकर निधि वन पहुंच कर कान्हा रूप में आ जाती जहां हर रात कृष्ण-गोपियों संग रास रचाते हैं। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के बाद बंद कर दिया जाता है। इसके बाद निधिवन में कोई नहीं रहता है। निधिवन में दिन में रहने वाले बंदर व लंगूर तथा  पक्षी भी शाम होते ही निध्नि वन को छोड़कर चले जाते है।। निधिवन में तुलसी के पेड़ हैं। यहां तुलसी का हर पौधा आश्चर्यजनक रूप से जोड़े में है। मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण और महारानी  राधा जी रासलीला करते हैं तो ये तुलसी के पौधे गोपियां बन जाती हैं और पौ फटने से पहले ही पुन तुलसी के पौधे में परिवर्तित हो जाते हैं। बांके बिहारी मंदिर से जो प्रतिमा गायब हो जाती है, वह भी अपने स्थान पर पहुंच जाती है।  यहां लगे वृक्षों की शाखाएं ऊपर की ओर नहीं बल्कि नीचे की ओर बढ़ती हैं। ये पेड़ ऐसे फैले हैं कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडे के सहारे रोका गया है। यहाँ विशाल तुलसी के वृक्ष है, बिना जल स्रोत और  जड़ के यह बृक्ष  मानों एक  दूसरे का हाथ पकड़ नृत्य करते प्रतीत होते हैं।  यह भी जाता है कि कृ्ष्ण की सखियां ही तुलसी बृक्ष है इतना विशाल तुलसी वन अन्यत्र कहीं भी नहीं है,।  निधिवन और रंग महल में रात को किसी को प्रवेश नहीं करने दिया जाता।  वृंदावन के पग-पग में राधा-कृष्ण की गूंज सुनाई देती है. निधिवन  में  तुलसी-कदम्‍ब जैसे पेड़ हैं. यहीं झाडियों के बीच एक छोटा-सा  रंग महल है। यही वो महल है, जिसके बारे में मान्‍यता है कि यहां आज भी कान्‍हा रात को रास रचाते हैं. मगर उन्‍हें कोई देख नहीं पाता।  रंग महल में राधा और श्रीकृष्ण के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है।  विशेषकर, शरद पूर्णिमा की रात, निधिवन में प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहता है. निधिवन के सेवायत गोस्वामी बताते हैं, ‘यह कन्‍हैया की माया है, उनकी अब भी रासलीला होती है।  तुलसी की जो लताएं हैं, वही गोपिका बन जाती हैं और वन के अन्‍य पेड़ ग्‍वाल-बाल।  वृंदावन के लोग बताते हैं कि दिन में यहां श्रद्धालुओं के आवागमन पर कोई रोक नहीं है. मगर शाम होते ही निधिवन को खाली करा लिया जाता है. कहते हैं कि यहां जिसने रात को रुककर रासलीला देखने की कोशिश की, वो होश खो बैठा. पागल हो गया। निधि वन के आसपास अनेक मकान हैं। इन मकानों की खिड़कियां शाम ढलती ही बंद हो जाती हैं। इन घरों में रहने वाले कभी भी खिड़की खोलकर निधि वन में रात को क्या होता है यह पता लगाने की लगती नहीं करते। कुछ लोग निधिवन में यही जानने आते हैं कि भला रात को क्‍या होता होगा. निधिवन में राधारानी का प्राचीन मंदिर है.  आधुनिक युग मे भी निधिवन मे ही पूर्ण जीवंतता है। निधि वन के रहस्य को लेकर कुछ लोग यहां रात को चोरी छिपे रूक गए। उनके खिलाफ पुलिस ने कठोर कार्रवाई की। इनमें गौरव शर्मा नाम का शख्स भी शामिल हैं। अनेक बार कुछ अंग्रेजों ने भी रात में चोरी छिपे रूक कर निधिवन के रहस्य को जानने का प्रयास किया। इस प्रकार की घटनाओं के बाद यहां अब शाम को जब कपाट बंद किए जाते हैं तो अधिक सख्ती से चेकिंग की जाती है। यमुना के समीप मौजूद निधि वन अदभूत हे। वृंदावन से जुड़ी ऐसी ही एक कहानी के साथ शीघ्र ही आपसे रूबरू होंगे तब के लिए न्यूज ट्रैकर 24 से शेखर शर्मा को आज्ञा दीजिए नमस्कार। आपसे आग्रह है कि चैनल को सब्सक्राइव व वीडियों को लाइक और कमेंट अवश्य करें

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