अवैध कालोनियों से आबाद लावड़ रोड

kabir Sharma
8 Min Read

मेरठ। रुड़की रोड सोफीपुर से सटा लावड़ रोड का प्राधिकरण के जोन-बी-वन का इलाका इन दिनों मेरठ विकास प्राधिकरण के कुछ खास अफसरों की छत्रछाया में अवैध कॉलोनियों से आबाद है। अवैध कॉलोनी यानि कंकरीट का जंगल आबाद करने के लिए यहां हरे-भरे पेड़ों पर आरी चलायी जा रही है। लावड़ रोड और इससे सटे इलाकों में करीब दर्जन भर अवैध कॉलोनियां कुछ अरसे के दौरान ही आबाद की गयी हैं। यहां अवैध कॉलोनियां काटने वाले केवल अवैध कॉलोनी ही नहीं काट रहे हैं, बल्कि माफिया की तर्ज पर अवैध कॉलोनियों का धंधे का विस्तार भी कर है। जिस तरह से माफिया संगठित गिरोह की तर्ज पर काम करते हैं, ठीक उसी तर्ज पर अवैध कॉलोनियां काटने वाले भूमाफिया काम कर रहे हैं। यह वजह है जो लावड़ रोड अवैध कॉलोनियों से आबाद है। यहां तेजी से अवैध कॉलोनियों का काम चल रहा है।

लावड़ रोड पर जितनी भी बड़ी अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं मसलन राधा गार्ड और शिव कुंज सरीखी कालौनियों की यदि बात करें तो ये केवल कालौनियां ही अवैध नहीं है, बल्कि इनमें बड़े-बड़े मार्केट भी मैनरोड पर बनाए गए हैं। राधा कुंज हो या फिर शिव कुंज इन दोनों ही कालोनियों में कालोनी के बाहर दुकानें बनाकर पूरा मार्केट आबाद कर दिया गया है। मसलन अवैध कालौनी ही नहीं अवैध मार्केट भी यहां मौजूद है। करीब सौ दुकानों के मार्केट दोनों कालोनियो में बनाए गए हैं। कुछ दुकानें आबाद भी हो गयी हैं। दरअसल जैसे जैसे कालोनी आबाद हो रही है, वैसे ही वैसे इनके मार्केट भी आबाद हो रहे हैं। दरअसल दौराला, पल्लवपुरम, मोदीपुरम, गंगानगर, लावड़ रोड और इसके आसपास का जितना भी अवैध कालोनियों के लिए बदनाम इलाका है उन सभी में अब तमाम भूमाफिया केवल कालोनी के साथ अवैध मार्केट भी आबाद कर रहे हैं।

अवैध कालोनियों के खिलाफ प्राधिकरण की कार्रवाई की बात करें तो करीब दो साल पहले जब राधा कुंज कालोनी का काम शुरू हुआ तो इसको लेकर काफी कुछ मीडिया की सुर्खी बना था। उसके बाद इसके लिए जिम्मेदार अफसरों की नींद टूटी और प्राधिकरण उपाध्यक्ष के ध्वस्तीकरण के आदेश के अनुपालन के नाम पर पर राधा कुंज का पिछले हिस्से में बनाए गए कुछ पिलर गिराए और फर्श जेसीबी की मदद से उखाड़ा, लेकिन राधा कुंज का फ्रंट का हिस्सा छुआ तक नहीं ताकि जो लोग यहां फ्लैट या मकान दुकान खरीद रहे हैं उनको कालोनी काटने वालों व कालोनी को लेकर कोई गलत संदेश ना जाए। इस दौरान सील भी लगायी गयी। राधा कुंज पर तो सील भी लगी और जेसीबी भी चली, लेकिन शिव कुंज पर तो ऐसी कोई कार्रवाई ही नहीं की गयी। पूरी कालोनी बनकर आबाद भी हो रही है उसकी दुकानें भी बेची जा रही हैं। कई दुकानें आबाद भी हो गई, लेकिन प्राधिकरण के किसी अफसर ने शिवकुंज में आकर कभी झांका भी हो ऐसी कोई जानकारी नहीं मिलती।

ध्वस्तीकरण के नाम पर खानापूर्ति कर सील लगाने के बाद ऐसा लगता है कि प्राधिकरण के किसी अफसर ने यहां आकर झांकर देखने की भी जरूरत नहीं समझी। केवल राधा कुंज ही नहीं बल्कि प्राधिकरण के इस जोन में जितनी भी अवैध कालोनियां काटी गयी हैं या काटी जा रही हैं उनमें यदि किसी पर सील लगायी भी गयी है तो अफसरों ने इस बात का ध्यान रखा है कि सील भले ही लगा दी जाए लेकिन कालोनी का काम नहीं रूकना चाहिए। सील भी लगी और ध्वस्तीकरण भी किए गए लेकिन फिर भी एक भी ऐसी अवैध कालोनी नहीं जिस का काम रुकवाया हो। यहां एक बात और करीब दो साल पहले जब पूरे महानगर में प्राधिकरण की ओर से अवैध कालौनियों के खिलाफ बाकायदा ऐलान का अभियान चलाया गया था और उस दौरान तीन सौ कालोनियां ध्वस्त भी की गयी थीं,तब भी प्राधिकरण के अफसरों ने राधा कुंज या शिव कुंज सरीखी अवैध कालोनियों की ओर आकर झांकने की तभी हिमाकत नहीं की थी।

लावड़ रोड को कंकरीट के जंगल की मानिंद बनाने के लिए यहां भूमाफिया बड़े स्तर पर हरियाली का कत्ल कराने पर अमादा हैं। करीब दर्जन भर कालोनियां यहां आबाद हैं। कुछ का काम चल रहा है या फिर उनका काम अंतिम चरण में हैं। जिन खेतों में ये अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं वहां कभी खेती हुआ करती थी। इनके खेतों के किनाराें पर सैकड़ों हरे भरे पेड‍़ थे। खेतों में लहलाती फसल हुआ करती थी। दरअसल यहां जो पहले खेत थे वो शहरी आबादी के करीब होने की वजह से वहां के तमाम किसान सब्जी की बुआई किया करते थे। जितने भी खेत शहर के आसपास है वहां आमतौर पर किसान सब्जी की बुआई करते हैं। ऐसा इसलिए की शहर की तमाम सब्जी मंड़ियां पास पड़ती हैं, सब्जियां बेचकर दाम भी अच्छा मिल जाता है। लेकिन जब से खेती की जमीन पर भूमाफियाओ की नजर पड़ी है तब से जहां कभी हरियाली हुआ करती थी, खेतों में हरी भरी फसल लहराती थी वहां अब कंकरीट के जंगल नजर आते हैं।

खेतों पर कब्जे के लिए कुछ भी करने से गुरेज नहीं

जिन हरे भरे खेतों की खड़ी फसल पर जेसीबी चला दी जा रही है उन पर कब्जे के लिए भूमाफिया कुछ भी कर गुजरने से गुजरे नहीं करते। जानकारों की मानें तो किसी माफिया की तर्ज पर गरीब किसानाें से उनके खेत छीन लिए जाते हैं। जो किसान बात से राजी नहीं होते उनके यहां बाउंसर भेज दिए जाते हैं। इनके गिरोह में फिल्मी गिरोह की तर्ज पर सब कुछ होता है, मसलन खुद माफिया/भूमाफिया, हथियारों से लैस बाउंसर, भ्रष्ट अफसर, हाथों का खिलौना कुछ पुलिस वाले और तथाकथित पत्रकार जो खुद को पत्रकारिता का भीष्मपितामाह मानते हैं। जिस भी खेत पर इनकी नजर पड़ जाती है फिर किसान की इतनी हिम्मत नहीं जो इंकार कर दे, उसकी वजह सिस्टम के कुछ खास अफसरों से ऐसे भूमाफियाओं के तार जुडे़ होते हैं।

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Would you like to receive notifications on latest updates? No Yes