भगवान का मथुरा प्रस्थान-कंस का वध,
शिप्रा सनसिटी में भारतीय धरोहर संस्था द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन कथाव्यास श्री पवन नंदन द्वारा महारास लीला, कंस वध, रुक्मिणी विवाह, द्वारका स्थापना आदि का भी वर्णन हुआ। संगीत और भक्तिभाव ने भक्तों को मंत्रमुद कर दिया. पूज्य संत एवं विख्यात राम कथा वाचक श्री विजय कौशल जी का सानिध्य और आशीर्वाद भी भक्तगणों को प्राप्त हुआ कथाव्यास जी ने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। हैं। कथा के दौरान भक्तिमय संगीत ने श्रोताओं को आनंद से परिपूर्ण किया। कथावाचक ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती हैं। कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश हैं। कथाव्यास पवन नंदन जी ने बताया कि लीला और क्रिया में अंतर होती है। अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है। इसे ना तो कर्तव्य का अभिमान है और ना ही सुखी रहने की इच्छा, बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। कथाव्यास ने कहा जब जीव में अभिमान आता है, भगवान उनसे दूर हो जाता है। लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है, उसे दर्शन देते है. आयोजन समिति की और से सभी भक्तो के लिए प्रसाद की व्यस्था करी, इस धर्मार्थ कार्य में प्रमुख रूप से कपिल त्यागी, अजय शुक्ला, धर्मेंद्र सिंह, सुचित सिंघल, सीपी बालियान, उमा शंकर तोमर, मनोज डागा, पार्षद धीरज अग्रवाल, पार्षद संजय सिंह,सुरेंद्र अरोड़ा,अनिल मेहंदीरत्ता,राम वरुण सिंह, नीरज त्यागी आदि उपस्थित रहे/