मेडिकल में पेशेंट सेफ्टी  मॉक ड्रिल 

मेडिकल में पेशेंट सेफ्टी  मॉक ड्रिल, एलएलआरएम मेडिकल मेरठ में आग हादसों के दौरान मरीजों की सुरक्षा को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम
Share

मेडिकल में पेशेंट सेफ्टी  मॉक ड्रिल, एलएलआरएम मेडिकल मेरठ में आग हादसों के दौरान मरीजों की सुरक्षा को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में मॉक ड्रिल भी की गयी।मीडिया प्रभारी डॉ वी डी पाण्डेय ने बताया कि मेडिकल कालेज के अग्नि सुरक्षा के प्रभारी अधिकारी प्रोफेसर डॉ संजीव कुमार (जनरल सर्जन) ने इमरजेंसी हॉस्पिटल कोड जैसे कोड रेड, कोड ब्लू, कोड ब्लैक, कोड येलो, कोड पिंक, कोड परपल आदि के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि अस्पताल में यदि कोई घटना या दुर्घटना होती है तो असपताल के सेंटर एड्रेसल सिस्टम (अनाउंसमेंट सिस्टम) से कोड को अनाउंस किया जाता है जिसे सिर्फ स्वास्थ्य कर्मी ही समझ पाते हैं मरीज एवम उनके तीमारदारों को कोड के विषय में जानकारी नहीं होती है इसलिए मरीजों तीमारदारों में अफरा तफरी नहीं मचती अस्पताल का स्टाफ मरीज और तीमारदारों को सूझ बूझ के साथ सुरक्षित स्थान तक ले जा कर दुर्घटना से बचा लेते हैं। डा संजीव ने यह भी बताया कि कोड रेड आग लगने पर, कोड ब्लू हार्ट अटैक आने पर, कोड येलो त्रासदी आने पर, कोड पिंक बच्चा खो जाने पर, कोड परपल शारिरिक शोषण पर अनाउंस किया जाता है। मेडिकल कालेज के अग्नि सुरक्षा के सह प्रभारी अधिकारी प्रोफेसर डॉ अमरेंद्र चौधरी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के सभी भवनों में, अस्पताल में पानी की निर्वहन पाइप लाइन की व्यवस्था है साथ ही जगह जगह अग्निशामक ( फ़ायरस्टिंगयुशर) रखे हुए हैं। सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक में अग्निशमन संयंत्रों की विशेष व्यवस्था है। मेडिकल कॉलेज में किसी भी तरह की आग लगने की स्थिति में मौके पर उपलब्ध अग्निशामक (फ़ायरस्टिंगयुशर) का प्रयोग किस प्रकार करना है यह विस्तार से समझाया। कोड रेड का मॉक ड्रिल कराते हुए अग्निशमन विभाग के अग्निशमन अधिकारी आकाश चौहान ने चिकित्सालय में उपस्थित डॉक्टरों, छात्र छात्राओं, नर्सिंग स्टाफ, कर्मचारियों को अग्नि सुरक्षा के नियम बताये तथा किसी भी तरह की आगजनी, शार्टसर्किट व आग लगने की स्तिथि में बिना घबराए मरीजों, जान माल को सुरक्षित कैसे किया जाय विस्तार से समझाया। अग्निशमन विभाग के फायर मैंन जितेंद्र सिंह ने बताया की उपलब्ध अग्निशामक अलग-अलग तरह की आग में प्रयोग में लाए जाते हैं जैसे यदि आग शॉर्ट सर्किट से लगी हो तो कभी भी उस पर पानी नहीं डालना चाहिए तथा जिस अग्निशामक में से पाउडर के रूप में आग बुझाने का पदार्थ निकलता है उसका प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया की यदि आग लकड़ी में कागज में लगी हो तो उस पर पानी का प्रयोग किया जा सकता है। जब भी भवन में आग लगी हो तो कभी भी ऊपर की ओर नहीं जाना चाहिए सभी लोगों को ऊपर की मंजिलों से नीचे उतर के आना चाहिए तथा कहीं सुरक्षित स्थान पर एकत्र होना चाहिए क्योंकि आग लगने के बाद धुआं ऊपर की ओर जाता है जिससे यदि ऊपर मरीज या कोई अन्य उपस्थित है तो धुएं के कारण उसका दम घुट सकता है। इसलिए आग लगने पर हमें सावधान रहना चाहिए तथा उस स्थान से अन्यत्र कहीं हट जाना चाहिए। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर आर सी गुप्ता ने कहा की मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय मैं अग्निशमन संयंत्र उपलब्ध है अगर किसी तरह की आगजनी की घटना होती है तो हम उससे निपटने में समर्थ है। पेशेंट सेफ्टी के लिए इमरजेंसी हॉस्पिटल कोड की मॉक ड्रिल प्रत्यक स्वस्थ्य कर्मी के लिए आवाश्यक है उसी के क्रम में मॉक ड्रिल कराई जा रही है। इस अवसर पर सरदार वल्लभ भाई पटेल चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ श्यामा सुंदर लाल, डा वी डी पाण्डेय, डा प्रदीप यादव, डा प्रेम प्रकाश मिश्रा, अग्नि सुरक्षा के सहप्रभारी अधिकारी डॉ अमरेंद्र चौधरी, सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक की नर्सिंग इंचार्ज, इंचार्ज एमरजेंसी शेरली भंडारी,अग्निशमन अधिकारी आकाश चौहान, फायर मैन जितेन्द्र सिंह, जुनियर तथा सिनियर रेजिडेंट डॉक्टर, छात्र छात्रायें, नर्सिंग स्टाफ, कर्मचारिगण आदि उपस्थित रहे।

@Back Home


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *