मेडिकल में पहली बार यह ऑपरेशन, एलएलआरएममेडिकल कालेज मेरठ में पहली बार ऑर्बिटल अथेरक्टोमी विधी द्वारा किया गया सफल ऑपरेशन किया गया। एलएलआएम के लिए यह बड़ी उपलब्धी है। मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डा वी डी पाण्डेय ने बताया कि ऑर्बिटल अथेरक्टोमी एक नई तकनीक है जो कि अभी तक विदेशों में ही इस पद्धति से एंजोप्लास्टी कि जाती थी, अब वह पद्धति भारत में भी उपलब्ध हो गयी है इस प्रक्रिया में एक मशीन होती है जिससे एक वायर जुड़ा होता है उस वायर में सिरे पर एक हीरा लिपित क्राउन (ताज) होता है जो कि बिना किसी टांका या बीना चीरा के पैर के नस के रास्ते से मरीज के हृदय को रक्त पहुंचने वाली कोरोनरी आर्टरी में जाकर आर्टरी में जमा कैल्सियम (चुना) साफ कर सकते हैं तथा स्टंट लगा सकते हैं। डा सी बी पाण्डेय सहायक आचार्य हृदय रोग विभाग ने कहा कि मेरठ निवासी 62 वर्षीय शिव कुमार शर्मा पिछले 22 साल से हृदय रोग से ग्रस्त हैं इनके कोरोनरी आर्टरी में स्टंट 2001 में दिल्ली के जी बी पंत अस्पताल में डाला गाया था। पिछले कुछ साल से शिव कुमार शर्मा को लेटने, चलने एवं सांस लेने पर सीने में दर्द होता था। दिल्ली के निजी और सरकारी अस्पताल में जब उनकी एंजियोग्राफी की गई तो पाया गया कि उसके हृदय की सभी तीन नसों में पत्थर जैसे ऊपर से लेकर नीचे तक कैल्शियम का ब्लॉकेज जमा हुआ है। मरीज की सभी तीन नसों में कैल्सियम जमा होने के कारण एंजियोप्लास्टी संभव नहीं थी उनको ओपन हार्ट बाईपास सर्जरी की सलाह दी गई जिसके लिए शिव कुमार शर्मा तैयार नहीं थे। हृदय रोग विभाग की ओ पी डी में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सी बी पाण्डेय से सलाह ली। उनकी एंजियोग्राफी की गई पाता चला की उनके हृदय की सभी तीन नालियां बंद हैं तथा उनमें कैल्सियम जमा होने के करण वायर भी पास करना मुश्किल है। मरीज की जान खतरे में थी। मरीज के जीवन की रक्षा के लिए डा पाण्डेय ने यह निर्णय लिया कि इस मरीज का ऑपरेशन नई विश्व स्तरीय अत्याधुनिक विधी ऑर्बिटल अथेरक्टोमी का उपयोग कर एंजियोप्लास्टी की जाए। मरीज एवम उनके तीमारदारों ने सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी। डॉक्टर सी बी पाण्डेय और डॉक्टर शशांक पाण्डेय एवम उनकी कैथ लैब की टीम ने नई प्रक्रिया को अपनाते हुए महज 1 घंटे में बीना चीरा लगाए सफल ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है, और उन्हें जो समस्या थी कि चलने, लेटने में सीने में दर्द होता था वह भी ठीक हो गई। प्रधानाचार्य डा आर सी गुप्ता ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित राजकीय संस्थान मेडिकल कालेज मेरठ में ऑर्बिटल अथेरक्टोमी का पहली बार उपयोग कर एंजियोप्लास्टी करने वाले डा. सी बी पाण्डेय ने फिर से एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है मैं उनको एवम उनकी टीम को सफल ऑपरेशन करने के लिए बधाई देता हूं। प्रधानाचार्य ने यह भी कहा कि मरीज के पैर के रास्ते से बिना चीर फाड़ के ऑर्बिटल अथेरक्टोमी पद्धति द्वारा ऑपरेशन किया गया अब मरीज पूर्णतः स्वस्थ है एवं सामान्य जीवन जी रहा है। आर्बिटल अथेरक्टोमी एक नई थेरेपी है जिसका उपयोग एंजियोप्लास्टी और स्टंटिंग से पहले नस के अंदर के कैल्शियम ब्लॉक को निकालने के लिए किया जाता है, जिन मरीजों की नसों में ऊपर से लेकर नीचे तक कैल्शियम जमा होता है जिसे मेडिकल भाषा में CTO (chronic total occlusion) या डिफ्यूज डिसीज कहा जाता है, वह सामान्य एंजियोप्लास्टी के द्वारा करना संभव नहीं होता है, और उन मरीजों को बाईपास सर्जरी की सलाह दी जाती है, पर अधिक उम्र होने के चलते हार्ट का पंप कमजोर हो जाता है और उसमें खतरा रहता है ऐसे में मरीज डरता भी है, पर अब उन मरीजों का ऑर्बिटल अथेरक्टोमी पद्धति के द्वारा एंजियोप्लास्टी करना संभव है। अभी तक यह पद्धति विदेश में उपलब्ध थी और इस ऑपरेशन को कराने के लिए विदेश जाना पड़ता था, पर अब यह ऑपरेशन मेडिकल कालेज मेरठ में होना गौरव की बात है। मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आम जनमानस से अपील करता हूं कि वो मेडिकल कालेज मेरठ में उपलब्ध सुविधा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।