मेरठ: अवैध निर्माणों की विजय गाथा से गुलजार मेडा

kabir Sharma
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मेरठ। ।अवैध निर्माणों की विजय गाथा से गुलजार मेडा- अफसर भले शहर का सुनियोजित विकास प्राधिकरण के साथ का दम भरते हों, लेकिन जमीनी हकीकत इसके एकदम उलट है। पूरा शहर वो भले ही खड़ौली हाइवे स्थित अवैध रूप से हरियाली की हत्या कर बनवाया गया वन फेरर हो या फिर इससे सटी अवैध कालोनी विद्या जिसको बनाने वाले भूमाफियाओं ने वन फेरर की तर्ज पर सलावा रजवाहे पर कब्जा कर रास्ता बना लिया हो या फिर पीएल शर्मा रोड स्थित किंग बेकरी का अवैध कांप्लैक्स हो, जिसका मानचित्र आवास में पास कराकर वहां करीब अस्सी दुकानें अवैध रूप से बना दी गयी हों। यहां यह भी बता दें कि किंग बेकरी की ये अवैध दुकानें तब बनी जब मानचित्र के विपरीत निर्माण की शिकायत पर प्राधिकरा के प्रवर्तन दल ने सील लगायी, लेकिन सील के बावजूद प्राधिकरण में अवैध निर्माण को लेकर प्राधिकरण के जिस अफसर की विजय पताका बगैर किसी रोक टोक के फहरार रही है वैसे काम तो उनका टाउन की प्लानिंग कराना है ताकि मेरठ के लोगों को एक सुनियोजित व सुसज्जित शहर मिल सके, लेकिन बजाए टाउन की प्लानिंग कर मेडा से चंद कदम की दूरी पर सिविल लाइन के नेहरू रोड पर पुराने मकान को तोड़कर अवैध रूप से बनाए जा रहे होटल के निर्माण में मददगार बन अवैध निर्माण करने वालों की विजय का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। होटल वन फेरर हो या फिर खड़ौली की अवैध कालोनी विद्या अथवा पीएल शर्मा रोड का अवैध किंग बेकरी कांप्लैक्स या फिर नेहरू रोड का मेडा के प्रवर्तन दल की सील के बावजूद बनकर तैयार हो गया अवैध होटल ये इन सभी का अवैध निर्माण तभी संभव हो सका जब बजाए टाउन की प्लानिंग के लिए ऐसे अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के बजाए उनसे हाथ मिलाकर अवैध निर्माणों की विजय करा दी। वन फेरर, खडौली की अवैध कालोनी विद्या, पीएल शर्मा रोड का अवैध किंग बेकरी कांप्लैक्स, लावड रोड का अवैध बरातघर ओम वैंकट/मंडप या फिर मेडा दफ्तर जहां नवागत वीसी खुद मौजूद हैं उनसे चंद कदम की दूरी पर सील के बावजूद बनकर तैयार करा दिया गया अवैध होटल ये तमाम अवैध निर्माण तभी संभव हो सके जब इन्हें प्राधिकरण के विजय का साथ मिला। यहां विजय का तात्पर्य किसी हार जीत वाली विजय से नहीं बल्कि टाउन प्लानर विजय सिंह जिनकी जिम्मेदारी इस प्रकार के अवैध निर्माणों पर अंकुश व प्रहार की है, उनकी कारगुजारियां को बेपर्दा करना भर है। जिन अवैध निर्माणों का यह जिक्र किया गया है वो केवल वानगी भर है। प्राधिकरण के टाउन प्लानर विजय सिंह की अवैध निर्माणों की विजय गाथा का यदि लेखाजोखा तैयार करा लिया जाए तो पूरा ग्रंथ तैयार हो जाएगा। मेरठ महानगर में जितने भी अवैध निर्माण वो चाहे एनएच-58 हाइवे पर एनजीटी के कायदे कानूनों को बूटों तले कुचलकर कराए गए हो या फिर शहर के बेहद तंग लाल का बाजार, कागजी बाजार, नील की गली, जत्ती वाड़ा ठठेरवाड़ा या फिर भटवाडा सरीखे इलाकों की महज एक से डेढ मीटर की गलियों में पुराने मकानों को तोड़कर बगैर किसी नक्शे के करा दिए गए हो, यदि पूरी ईमानदारी और बगैर किसी दवाब के इनकी जांच करा ली जाए तो हर बड़े अवैध निर्माणों के पीछे टाउन प्लानर विजय सिंह का हाथ पाएंगे।

बाढ ही खा रही है खेत

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सूबे के सीएम योगी ने मेरठ जैसे शहर के सुनियोजित विकास के लिए टाउन प्लानर जैसे बेहद महत्वपूर्ण पद पर विजय सिंह को शहर की बेहतर प्लानिंग की मंशा से ही भेजा था, लेकिन सीएम की मंशा पर भी जिस तरह से पानी फेर दिया गया, उसके बाद तो मेडा के तमाम उच्च पदस्थ अफसरों पर सवाल ही नहीं उंगली भी उठायी जा रही हैं और पूछा जा रहा है कि जो अवैध निर्माण प्रत्यक्ष नजर आ रहे हैं किसी प्रकार की पर्दादारी तक नहीं हैं उनको क्यों नहीं जमींदोज किया जा रहा है या फिर यह मान लिया जाए कि टाउन प्लानर विजय सिंह के भ्रष्ट कारमानों के बोझ के तले पूरा प्राधिकरण प्रशासन दबकर रह गया है। महानगर में बेतकरीब अवैध निर्माण देखकर भी मेडा के अफसर बजाए कार्रवाई के खुद को अब असहाय महसूस कर रहे हैं। टाउन प्लानर की बात करें तो उनका काम टाउन की बेहतर प्लानिंग है लेकिन जो सामने नजर आ रहा है उसको देखकर तो यही कहा जा सकता है कि जब बाढ़ ही खेत को खाने लगे तो फिर रखवाली कौन करे जब टाउन की प्लानिंग ही पूरे टाउन को अवैध निर्माणों के जंगल में तब्दील करा देंगे तो फिर इस शहर को कौन बचाएगा। सुनियोजित विकास प्राधिकरण के साथ फिर कैसे हो सकेगा। अवैध निर्माणाें के चलते जब इस शहर का स्वरूप ही बिगाड़ दिया जाएगा तो फिर कौन इस शहर को बचाने के लिए आगे आएगा। फिलहाल यानि अब तक जो हालात हैं उसके बाद तो यही कहा जा सकता है कि अवैध निर्माण कराने वालों कि विजय पताका के नीचे पूरा प्राधिकरण नजर रहा है, लेकिन नवागत वीसी के आने के बाद अवैध निर्माणों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को उम्मीद की किरन नजर आ रही है। आरटीआई में अवैध निर्माण कराने में मददगार साबित हो चुके विजय सिंह सरीखे अफसरों की कारगुजारियों को बेपर्दा करने वाले एक्टिविस्टों को भी नवागत वीसी से अवैध निर्माणों और उनके मददगार अफसरों के पेंच कसने की पूरी उम्मीद है। गुरूगोरक्षनाथ मठ की वजह से दुनिया भर में खास पहचान रखने वाले गोरखपुर से भेजे गए वीसी से उम्मीद की जा रही है कि वह सीएम योगी की मंशा के अनुरूप अवैध निर्माण करने वालों व भूमाफियाओं के मददगार अफसरों के खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई करेंगे। सीएम को उनकी कारगुजारियों से अवगत कराएंंगे।

मेडा के टाउन प्लानर या कामधेनू गाय

टीपी विजय सिंह की कारगुजारियों की बात की जाए तो उसकी एक वानगी भर देने का यहां यह संवाददाता प्रयास कर रहा है। इसी प्रकार वानगियों के चलते टाउन प्लानर को पूर्ववर्ती कुछ अफसर मेडा की कामधेनू बताया करते नहीं अंधाते थे। भूमाफियाओं और उनके अवैध निर्माण करने वालों को आश्रय देने वाले टाउन प्लान को यदि मेडा की कामधेनु कहा जाता है तो वो यूं ही नहीं है उसके तमाम साक्ष्य और सबूत के साथ साक्ष्य मौजूद हैं। उसके लिए कहीं तलाश करने या जाने की जरूरत नहीं है। समाज के प्रति अपने सरोकारों व दायित्वों को लेकर पूरी तरह से सजग सीएम योगी की मंशा के अनुरूप भ्रष्टाचार पर लगातार प्रहार कर रहे दैनिक जनवाणी मेडा की कामधेनु के नाम से पहचान बना चुके टाउन प्लानकर की एक-एक कारगुजारी सामने रखेगा। प्राधिकरण में अब तो कहावत बन गयी है कि अवैध निर्माण करान है तो स्टाफ कहता है कि टीपी विजय हैं ना। जब ऐसे हालात बना दिए जाएंगे तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बड़े स्तर पर सुनियोजित विकास का नारा देने वाला प्राधिकरण शहर को अवैध निर्माणाें के जंगल में तब्दील करने पर तुला है ।

दा वन फेरर

एनएच-58 हाइवे पर खेतों के बीच केवल लोहे के एंगल पर खड़ा करा दिए गए बहुमंजिला इस होटल को मौत के कुंए की संज्ञा दी जाती है। सुरक्षा के तमाम मानकों के विपरीत सारे कायदे कानून ताक पर रखकर बनाए गए इस होटल को टीपी विजय सिंह मानचित्र पास की जानकारी मीडिया को देते रहे, लेकिन आरटीआई में मांगी गई जानकारी में प्राधिकरण ने मानचित्र स्वीकृति से इंकार किया। इतना ही नहीं यहां केवल अवैध निर्माण नहीं कराया गया बल्कि हरी भरी खेत पर जेसीबी चलाकर उसको कुचल दिया गया। अवैध होटल के लिए सिचाई विभाग के रजवाहे पर कब्जा कर लिया गया। जो होटल बनवाया गया है वो ग्रीन बैल्ट में आता है। इसके लिए पार्किंग के लिए हाइवे की सरकारी जमीन कब्जायी गयी है।

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किंग बैकरी का कांप्लैक्स

पीएल शर्मा रोड पर बनावाए गए इस अवैध कांप्लैक्स का पूरा निर्माण तब किया गया जब इस पर सील लगा दी गयी। सील लगे-लगे इसमें बेसमेट भी बनकर तैयार कर दिया गया। बेसमेंट के लिए भूगर्भीय जल विभाग की जिस एनओसी की जरूरत होती है वो नहीं ली गयी। इसके अलावा यहां चल रही बेकरी की भट्टियों के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से कोई एनओसी नहीं ली गयी और सबसे बड़ी बात करीब अस्सी दुकानों के इस अवेध कांप्लैक्स की फायर एनओसी तक न होने की जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट मनाेज चौधरी ने दी है। उन्होंने बताया कि सूचना आयुक्त की फटकार के बाद जब उन्हें प्राधिकरण में फाइल की जांच को बुलाया गया तब फायर एनओसी ना होने की पुष्टि हो गयी थी।

पीएल शर्मा रोड का अवैध होटल

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एक पुराने मकान को तोड़कर मेन रोड पर यह होटल भी तब बनवाया गया जब इस पर मेडा के प्रवर्तन दल ने सील लगा दी थी। इस पर सील लगाए जाने के बाद हरे पर्दे डाल दिया गया। हरे पर्दे की आड़ में यह शानदार होटल बन कर तैयार कराया गया है। कुछ दिन पहले ही इसमें फर्श की टाइल व अन्य फिनिंशिंग का कार्य होकर निपटाया गया है। अब इसके उद्घाटन की तैयारी है। यहां तक चर्चा है कि अवैध होटल बनाने वालों से बादा किया गया है कि इसका उद्घाटन भी प्राधिकरण के वीसी के हाथों कराया जाएगा। जब वीसी खुद ही अवैध होटल का उद्घाटन करेंगे तो भले ही यह अवैध हो लेकिन फिर किस की मजाल जो इसकी ओर आंखें उठाकर देख ले, ध्वस्त करना तो दूर की बात।

खड़ौली की अवैध कालोनी

एनएच-58 हाइवे पर सर्विस रोड से सटे खेतों में एक भूमाफिया द्वारा काटी गयी इस अवैध कालोनी के पीछे प्राधिकरण के टाउन प्लानर विजय सिंह का नाम बार-बार लिया जाता है। हैरानी की तो बात यह है कि जिस प्रकार से उक्त अवैध कांप्लैक्स सील लगे लगे बनवा दिए गए उसी तर्ज पर यह अवैध कालोनी भी प्राधिकरण की कार्रवाई के बाद ही काट दी गयी है। इसके लिए केवल हरियाली को ही तहस नहस नहीं किया गया बल्कि आने जाने के सरकारी जमीन यानि सलावा रजवाहे की पटरी पर अवेध कब्जा कर उसको पाटकर रास्ता बनाया गया है। मेरठ विकास प्राधिकरण की तर्ज पर सिंचाई विभाग व एनएचएआई के अफसर भी भूमाफिया नजर आते हैं।

लावड रोड का ओम गार्डन

लावड रोड का ओम गार्डन भी मेरठ विकास प्राधिकरण के भूमाफियाओं को संरक्षण व भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण हैं। यहां रात के अंधेरे में नहीं दिल के उजाले में ओम गार्डन को महज एक माह के भीतर एक खेत की हरियाली को कुचलकर तैयार करा दिया है। ऐसा नहीं कि अवैध ओम गार्डन से अफसर अंजान हों, जानकारों की माने तो इसमें होने वाले तमाम विवाह व दूसरे समारोह में प्राधिकरण के तमाम अफसर शामिल होने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इसके बाद भी उनहें यह अवैध ओम गार्डन नजर नहीं आता। दरअसल जिस ओम गार्डन को खुद प्राधिकरण प्रशासन के अफसरों ने तैयार कराया हो, उसके खिलाफ ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई को सोचना भी बेमाने होगा।

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