मेला नौचंदी में कवि सम्मेलन , मेरठ के प्रान्तीयकृत नौचन्दी मेले के पटेल मण्डप में स्थानीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में कवि सुदेश जख्मी ने मां सरस्वती की वंदना कुछ इस प्रकार की— तेरे चरणों से नहीं दूर मां, पग धूल सा तेरा दास है। कवि रचना सिंह वानिया ने कुछ इस प्रकार अपनी बात कही— प्रेम से पुकार लो अजी दिल में उतार लो, जिंदगी है प्रेम की हंस के तुम गुजार लो। कवि प्रशांत दीक्षित प्रसून ने सुनाया— मेरे इस देश की माटी मेरे माथे का चंदन है। चन्द्रशेखर मयूर ने सुनाया—मोहब्बत में दिया हमने वही उपहार बोलेगा, तुम्हारी नफरतों में भी हमारा प्यार बोलेगा। कवि सुदेश जख्मी ने सुनाया— मस्त है आज मौसम चले आईये। डा. अनीता त्यागी ने सुनाया—पूनम की पावन रात का बिखरा हुआ सा नूर था, सरहद पर वतन की लड़ रहा वो मेरा ही सिन्दूर था। कवयित्री नीलम मिश्रा ने सुनाया— आज तक हमने संभाली है तुम्हारी चिट्ठियां, दिल के कमरे में छुपा ली है तुम्हारी चिट्ठियां। कवि सुल्तान सिंह ने सुनाया— दिल लगाने की कोई वजह चाहिए। कवि योगेश समदर्शी ने सुनाया—प्याऊ व छबील वाले देश में न जाने कैसे,कवि विनय नोंक ने सुनाया— अच्छा बताओ हाथ मिलाना कहां से आया। कवि सुमनेश सुमन ने सुनाया— भगत, अशफाक, शेखर की कहानी काम आयेगी। कवि विजय प्रेमी ने सुनाया— वक़्त के हाथों का निवाला है जिंदगी। डा.रामगोपाल भारतीय ने सुनाया— रिश्तों में वो पहली सी मुहब्बत नहीं रही। संजीव त्यागी ने सुनाया—है खुद्दारी सीने में वतन की। डा. ईश्वर चंद गंभीर ने सुनाया— आपस में सभी धर्मों को यह जोड रहा है, समरसता प्रेम एकता सदभाव का मेला। डा. शुभम त्यागी व कवि भूपेन्द्र त्यागी ने भी कविता पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन विनय नोंक ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. ईश्वर चंद गंभीर ने की। कार्यक्रम के संयोजक कवि सुदेश यादव जख्मी, सह संयोजक वैद्य जे.पी. यादव रहे। कार्यक्रम में नरेन्द्र राष्टवादी, अंकुर गोयल, प्रीतिश कुमारा सिंह, सुरेश छाबडा व अनिरूद्ध गोयल भी मौजूद रहे।