मिथुन-तुला-धनु-कुंभ जातक सावधान, ज्योतिषाचार्य व श्रीमद भागवताचार्य पंड़ित राम प्रकाश शास्त्री ने सभी जातकों को काल सर्प योग से विशेष सावधान रहने की चेतावनी दी है। पंड़ित राम प्रकाश शास्त्री ने बताया कि राहु और केतु के मध्य में सभी ग्रह इन दिनों है। यह बेहद अशुभ योग की स्थिति है। इसको हम लोग बहुदा काल सर्प योग के नाम से जानत हैं, परंतु यह असल में पापकर्तरी योग है। उन्होंने कहा कि जिन जातकों का जन्म विशाखा (तुला) और कृतिका (मेष) में हुआ है, उन्हें विशेष सावधानी तथा ईश्वर कृपा की परम आवश्यकता है। साथ ही मिथुन, तुला, धनु व कुंभ के जातक भी सावधान रहे तो हितकर होगा।
एक अन्य ज्योतिषी के अनुसार कुंडली के के छठे घर में राहु और बारहवें घर में केतु के बीच में सारे ग्रह होने पर महापद्म कालसर्प योग बनता है। इस योग में जातक धन बचत नहीं कर पाता है। शत्रुओं से कष्ट पाता है। प्रथम भाव स्वयं का व सप्तम भाव जीवनसाथी का होता है। जिसके कारण जीवनसाथी से मनमुटाव की स्थिति बनती है। वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव देता है। अनंत कालसर्प होने पर मनसा देवी की उपासना करें और ॐ नम: शिवाय का जप करें। कुंडली के दूसरे भाव में राहु और आठवें भाव में केतु के बीच में सभी ग्रहों के आ जाने से कुलिक कालसर्प योग बनता है। यह पैतृक सम्पत्ति पाने में दिक्कतें खड़ी करता है। ऐसी सम्पत्ति के पीछे कानूनी चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं। कुण्डली के तीसरे भाव में राहु और नवें भाव में केतु के होने से छोटे भाई-बहन का सुख नसीब नहीं होता है। 11 दिनों तक महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करना चाहिए। वासुकि कालसर्प दोष के कष्ट को दूर करने के लिए जातक को राहु केतु की दशा-अंर्तदशा के समय हर शनिवार को श्री शनिदेव का तेलाभिषेक करना चाहिए और साथ में श्री हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर चोला लगाना चाहिए।